कानपुर अन्जुमन फिरदौसिया ने ग्वालटोली मकबरा शिया जामा मस्जिद से कर्बला के नन्हें मुजाहिद हजरत अली असगर का जुलूसे झूला निकाला।
अन्जुमन फिरदौसिया के जनरल सेक्रेटरी तालिब सज्जादी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि आज मोहर्रम की 6 तारीख पर अन्जुमन फिरदौसिया के ...

बहुत करीब से देखा है मैंने सबरे खलील
मगर हुसैन अ. तेरे सब्र का जवाब नही
कानपुर। अन्जुमन फिरदौसिया के जनरल सेक्रेटरी तालिब सज्जादी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि आज मोहर्रम की 6 तारीख पर अन्जुमन फिरदौसिया के तत्वाधान में ग्वालटोली मकबरा शिया जामा मस्जिद में कर्बला के नन्हें मुजाहिद और इमाम हुसैन के 6 महीने के बेटे हज़रत अली असगर की शहादत की याद में मजलिसे अजा बरपा हुई । जिसे मौलाना सय्यद तौक़ीर हुसैन साहब ने सम्बोधित करते हुए कहा कि इतिहास गवाह है कि कोई शख्स मरता है तो उसके चेहरे पर रोने के आसार होते हैं।
लेकिन कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन ने अपने 6 महीने के बेटे हजरत अली असगर जो 3 दिन के भूखे और -प्यासे थे इमाम खेमे से कर्बला के मैदान में अपने हाथों पर लेकर पहुंचे और जालिम यजीदियों से मासूम बच्चे के लिये पानी का मुतालबा किया। इसके जवाब में तीन फल का तीर अली असगर का गला छेदता हुआ इमाम के बाजू में लगा और बच्चा मुस्कुराता हुआ इमाम की गोद में शहीद हो गया। यह बयान सुनकर मजलिस में मौजूद लोगों की आखों से आंसू छलक पड़े। इसके उपरान्त जुलूस झूला अली असगर बरामद हुआ। गश्त के दौरान मातम और सीनाजनी की जा रही थी। इस तरह कर्बला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश किया जा रहा था। यह जुलूस छोटी कर्बला में गश्त के बाद इमाम बारगाह नजरे आलम जाफरी में पहुचंकर समाप्त हुआ।
दूसरी तरफ कुरसवा, पटकापुर इमामबाड़ा, नवाब पप्पू मिर्जा में कर्बला के शहीद हज़रत अली अकबर का ताबूत उठाया गया। इससे पहले मजलिसे अजा बरपा हुई जिसे मौलाना अरबाज़ हुसैन जैदी ,साहब ने सम्बोधित करते हुए कहा कि इमाम हुसैन के गम में आंसू बहाना बिदअत नही है उन्होने कहा कि इस महान कुर्बानी का इल्म सरदारे अम्बिया हज़रत मोहम्मद स०अ० अमबियाएं मुरसलीन को था। इस गम को याद करके यह अजीम हस्तियां आंसू बहाये बिना न रह सकीं। उन्होंने आगे कहा कि एक अवसर पर पैगम्बरे इस्लाम मकामे अबवा पर पहुंचे जहां रसूले इस्लाम की वालिदा की कब्र है रसूले इस्लाम के साथ सहाबा की भारी जमात थी। आखिर हज़रत अपनी वालिदा की कब्र पर बहुत रोये यह मंज़र देखकर सहाबा इकराम भी रोने लगें अबू दाऊद व इब्ने माजा इसके रावी हैं।
मौलाना ने आगे कहा कि इमाम आली मकाम के बेटे हज़रत अली अकबर जिनकी उम्र सिर्फ 18 साल थी इंसानियत और दीने मोहम्मदी को बचाने के लिये कर्बला के मैदान में यजीदी फौजों से जिहाद करते हुए जब घोड़े से नीचे आये तो इमाम को पुकारा बाबा आपको मेरा आखिरी सलाम इमाम पहुंचे तो देखा कि अली अकबर के सीने में बरछी लगी हुई है। इमाम ने दोनों घुटने टेक कर दोनों हाथों से बरछी को खींचा तो बेटे का कलेजा बरछी के साथ निकल आया। यह बयान सुनकर मजलिस में बैठे लोगों की आंखो से आंसू निकलने लगे। इन दोनों जुलूसों में आसिफ अब्बास ,पप्पू मिर्जा, डा० जुल्फिकार अली रिज़वी, नवाब मुमताज़ हुसैन, नवाब इम्तियाज़ हुसैन, इब्ने हसन ज़ैदी, हसनैन अकबर, नकी हैदर , रानू नकव, मुन्तज़िर हसन, हाजी अख्तर हुसैन,हसनैन असगर,हैदर नक़वी, राशिद ज़ैदी, स. अली आला,शफी अब्बास, वसी हैदर,हसीन हुसैन,सदाक़त हुसैन रिज़वी आदि रहे।
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