लोकसभा में राहुल गांधी के मेज थपथपाने पर ओम बिरला की फटकार, कहा- यह सदन की संपत्ति है, इसे मत तोड़िए।
Political News: लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जोश में आकर मेज पर हाथ मारा। इस पर...
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने जोश में आकर मेज पर हाथ मारा। इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें हल्के अंदाज में टोकते हुए कहा, “माननीय सदस्य, यह सदन की संपत्ति है, इसे मत तोड़िए।” राहुल गांधी ने तुरंत माफी मांगते हुए कहा, “सॉरी सर, गलती हो गई।” यह घटना उस समय हुई, जब राहुल गांधी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर को दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी की आलोचना कर रहे थे। इस घटना ने सदन में हल्का तनाव पैदा किया और सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन गया।
यह घटना लोकसभा के मॉनसून सत्र के छठे दिन, 30 जुलाई 2025 को हुई, जब सदन में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा हो रही थी। राहुल गांधी ने अपने भाषण में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर का हाथ था। उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मुनीर को दोपहर के भोजन के लिए आमंत्रित किया, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोई आपत्ति नहीं जताई। राहुल ने जोश में आकर कहा, “पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड एक पाकिस्तानी जनरल आसिम मुनीर है। वह अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ दोपहर का भोजन कर रहा है। हमारा प्रधानमंत्री वहां नहीं जा सकता। ट्रंप सारे प्रोटोकॉल तोड़ रहे हैं और आतंकवाद करने वाले व्यक्ति को आमंत्रित कर रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं कहा। उन्होंने यह नहीं कहा कि ट्रंप ने मुनीर को अपने कार्यालय में बुलाने की हिम्मत कैसे की।”
इस दौरान राहुल गांधी ने जोश में आकर मेज पर जोर से हाथ मारा, जिससे सदन में हल्का हंगामा हुआ। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने तुरंत हस्तक्षेप किया और हल्के अंदाज में कहा, “माननीय सदस्य, यह सदन की संपत्ति है, इसे मत तोड़िए।” इस पर राहुल गांधी ने तुरंत जवाब दिया, “सॉरी सर, गलती हो गई।” यह छोटा-सा वाकया सदन में मौजूद सदस्यों के बीच चर्चा का विषय बन गया और सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया।
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बाइसारन घाटी में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे। इस हमले की जिम्मेदारी द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली, जिसे भारत ने लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी संगठन बताया। भारत ने इस हमले को पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद से जोड़ा, जिसे पाकिस्तान ने खारिज किया। जवाब में, भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के नौ ठिकानों पर हवाई हमले किए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे सटीक और गैर-वृद्धि वाला ऑपरेशन बताया।
पाकिस्तान ने दावा किया कि इन हमलों में 26 नागरिक मारे गए, जबकि भारत ने कहा कि कोई नागरिक हताहत नहीं हुआ। भारत ने स्वीकार किया कि ऑपरेशन में तीन विमान खो गए, जिनमें संभवतः एक राफेल शामिल था। राहुल गांधी ने अपने भाषण में ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने वायुसेना के पायलटों के हाथ बांध दिए और उन्हें पर्याप्त स्वतंत्रता नहीं दी, जिसके कारण भारत ने रणनीतिक लाभ खो दिया। उन्होंने यह भी दावा किया कि चीन ने ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान को युद्धक्षेत्र की खुफिया जानकारी साझा की।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस घटना के दौरान न केवल राहुल गांधी को टोका, बल्कि पहले भी विपक्षी सांसदों को सदन की गरिमा बनाए रखने की सलाह दी थी। 28 जुलाई 2025 को, जब विपक्षी सांसद बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर हंगामा कर रहे थे, बिरला ने राहुल गांधी से कहा कि वे अपने दल के नेताओं को समझाएं कि जनता ने उन्हें पर्चियां फेंकने और तख्तियां लहराने के लिए नहीं चुना है। उन्होंने यह भी पूछा कि प्रश्नकाल को बार-बार क्यों बाधित किया जा रहा है।
विपक्ष ने बिरला पर पक्षपात का आरोप लगाया है। 27 मार्च 2025 को, इंडिया गठबंधन के सांसदों ने बिरला से मुलाकात की और शिकायत की कि राहुल गांधी को बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा। उन्होंने यह भी कहा कि बिरला की टिप्पणियां सदन के बाहर राजनीतिक प्रचार के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। गठबंधन ने अपनी चिंताओं को एक पत्र में सूचीबद्ध किया, जिसमें उपाध्यक्ष की नियुक्ति न होना, विपक्षी सांसदों के माइक्रोफोन बंद करना, और बजट चर्चा में प्रमुख मंत्रालयों को शामिल न करना जैसे मुद्दे शामिल थे।
- राहुल गांधी का भाषण
राहुल गांधी का भाषण ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम हमले के संदर्भ में था। उन्होंने कहा कि सरकार ने ऑपरेशन के दौरान वायुसेना को हवाई रक्षा प्रणालियों पर हमला करने से रोका, जिसके कारण विमान खो गए। उन्होंने रक्षा स्टाफ प्रमुख जनरल अनिल चौहान और सेना के उपप्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल राहुल सिंह के बयानों का हवाला देते हुए दावा किया कि भारत ने रणनीतिक लाभ गंवा दिया। राहुल ने यह भी आरोप लगाया कि डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम करवाया, लेकिन मोदी ने इसका खंडन नहीं किया।
राहुल के मेज थपथपाने की घटना ने सदन में हल्का तनाव पैदा किया, लेकिन उनकी तुरंत माफी ने माहौल को हल्का कर दिया। हालांकि, सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो वायरल हो गया, और कई लोगों ने इसे मजेदार बताया। एक यूजर ने X पर लिखा, “राहुल गांधी का जोश और ओम बिरला की टिप्पणी ने सदन में हल्का-फुल्का पल दे दिया।” लेकिन कुछ लोगों ने इसे सदन की गरिमा के खिलाफ बताया।
- विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तनाव
इस घटना ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनाव को और बढ़ा दिया। विपक्ष ने बिरला पर आरोप लगाया कि वे विपक्षी सांसदों को बोलने से रोक रहे हैं। 26 मार्च 2025 को, कांग्रेस के 70 सांसदों ने बिरला से मुलाकात की और शिकायत की कि राहुल गांधी को बोलने का मौका नहीं दिया जा रहा। उन्होंने यह भी कहा कि बिरला ने राहुल की आलोचना बिना किसी स्पष्ट कारण के की, जिसे बीजेपी की आईटी सेल ने प्रचार के लिए इस्तेमाल किया।
बीजेपी ने जवाब में दावा किया कि राहुल गांधी ने 18 मार्च 2025 को सदन में अपनी बहन और सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के गाल थपथपाकर संसदीय मर्यादा का उल्लंघन किया था। बीजेपी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस घटना का एक पुराना वीडियो साझा किया, जिसमें राहुल प्रियंका के गाल थपथपाते नजर आए। हालांकि, कांग्रेस ने इसे बकवास बताया और कहा कि यह कोई नियम तोड़ने वाली बात नहीं है।
राहुल गांधी के मेज थपथपाने और ओम बिरला की टिप्पणी ने संसद में मर्यादा और व्यवहार के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया। कई लोगों का मानना है कि राहुल का जोश उनकी बात को और प्रभावी बनाने की कोशिश थी, लेकिन इसे कुछ लोगों ने अतिशयोक्ति के रूप में देखा। दूसरी ओर, बिरला की टिप्पणी को विपक्ष ने पक्षपातपूर्ण माना, क्योंकि उनका कहना है कि सत्ता पक्ष के सांसदों को ऐसी फटकार नहीं मिलती।
सोशल मीडिया पर इस घटना ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं बटोरीं। कुछ लोगों ने बिरला की हल्की-फुल्की टिप्पणी की सराहना की, तो कुछ ने राहुल के जोश को देश की चिंता से जोड़ा। एक यूजर ने लिखा, “राहुल गांधी का गुस्सा जायज है, क्योंकि सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर चुप है। लेकिन मेज तोड़ना सही नहीं।” वहीं, बीजेपी समर्थकों ने इसे बचकाना व्यवहार बताया।
- संसद में मर्यादा का सवाल
लोकसभा में पहले भी कई बार मर्यादा को लेकर बहस हुई है। 29 जुलाई 2024 को, राहुल गांधी ने बजट चर्चा के दौरान ‘हलवा समारोह’ की तस्वीर दिखाने की कोशिश की, जिस पर बिरला ने उन्हें टोका और कहा कि वे सदन की मर्यादा बनाए रखें। राहुल ने तब भी माफी मांगी थी। इसी तरह, 27 मार्च 2025 को बिरला ने राहुल को नियम 349 का पालन करने की सलाह दी, जिसमें सांसदों के व्यवहार के नियम शामिल हैं।
विपक्ष का कहना है कि बिरला की टिप्पणियां अक्सर अस्पष्ट होती हैं, और वे बिना कारण बताए विपक्षी सांसदों को निशाना बनाते हैं। इंडिया गठबंधन ने अपनी शिकायत में कहा कि सांसदों के माइक्रोफोन बंद किए जा रहे हैं, और संसद टीवी कैमरे विपक्षी नेताओं को नहीं दिखाते।
राहुल गांधी के मेज थपथपाने और ओम बिरला की टिप्पणी की घटना ने लोकसभा में एक छोटा-सा विवाद पैदा किया, लेकिन यह संसद में मर्यादा और पक्षपात के बड़े मुद्दों को सामने लाया। राहुल का जोश पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर जैसे गंभीर मुद्दों पर सरकार की चुप्पी को लेकर था, लेकिन मेज थपथपाने की उनकी हरकत ने हल्का तनाव पैदा किया।
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