विवाह पंचमी पर अयोध्या राम मंदिर में राम आरती करते नजर आये पीएम मोदी, भगवान विष्णु के शेष अवतार की पूजा की।
सप्त मंदिर के दर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेषावतार मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने भगवान विष्णु के शेष अवतार की पूजा की। यह मंदिर विष्णु के विभिन्न
सप्त मंदिर के दर्शन के बाद प्रधानमंत्री शेषावतार मंदिर पहुंचे। यहां उन्होंने भगवान विष्णु के शेष अवतार की पूजा की। यह मंदिर विष्णु के विभिन्न अवतारों को समर्पित है। लगभग सवा दस बजे वे माता अन्नपूर्णा मंदिर गए। अन्नपूर्णा भोजन और समृद्धि की देवी हैं। उनका आशीर्वाद जीवन को पोषित करता है। इसके बाद राम दरबार गर्भगृह में दर्शन और पूजन किया। राम दरबार में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, माता सीता और हनुमान जी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह दृश्य भक्तों के लिए भावुक क्षण रहा। प्रधानमंत्री ने फूल अर्पित कर आरती उतारी। फिर राम लला के गर्भगृह में बाल रूप में विराजमान राम लला के दर्शन किए। राम लला की मूर्ति देखकर उनकी आंखों में आंसू छलक पड़े। पूरे परिसर में वेद मंत्रों की ध्वनि गूंज रही थी।
अयोध्या की पावन भूमि पर आज विवाह पंचमी का पर्व विशेष उत्साह के साथ मनाया गया। मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर भगवान राम और माता सीता के विवाह की स्मृति ताजा हुई। इसी शुभ अवसर पर श्री राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण होने का प्रतीक बने ध्वजारोहण समारोह आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह करीब नौ बजकर तीस मिनट पर अयोध्या पहुंचकर एक भव्य रोड शो में भाग लिया। शहर के प्रमुख मार्गों पर भक्तों ने फूल बरसाए और भजन-कीर्तन गाए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने उनका स्वागत किया। यह यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का नया अध्याय साबित हुई। मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही प्रधानमंत्री ने सबसे पहले सप्त मंदिर का दर्शन किया। यहां महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, महर्षि वाल्मीकि, देवी अहल्या, निषादराज गुहा और माता शबरी के छोटे मंदिर स्थित हैं। ये सभी रामायण की महत्वपूर्ण कथाओं से जुड़े हैं। वशिष्ठ जी भगवान राम के कुलगुरु थे। विश्वामित्र ने उन्हें शिक्षा दी। अगस्त्य ने लंका विजय का मार्ग प्रशस्त किया। वाल्मीकि ने रामायण की रचना की। अहल्या को राम ने पापमुक्त किया। निषादराज गुहा ने राम का नाव से पार कराया। शबरी ने जूठे बेर चखाकर भक्ति दिखाई। इन दर्शनों से प्रधानमंत्री के चेहरे पर गहन श्रद्धा झलकी।
दोपहर करीब बारह बजे अभिजीत मुहूर्त में मुख्य ध्वजारोहण समारोह हुआ। प्रधानमंत्री ने मंदिर के 191 फीट ऊंचे शिखर पर भगवा धर्म ध्वजा फहराई। यह ध्वजा 22 फीट लंबी और 11 फीट चौड़ी है। इसमें भगवान राम की आभा का प्रतीक सूर्य चिन्ह, ओम अक्षर और कोविदार वृक्ष की आकृति बनी है। ध्वजा को 161 फीट ऊंचे दंड पर स्थापित किया गया, जिसमें 21 किलोग्राम सोना जड़ा है। वैदिक परंपरा में ध्वजारोहण मंदिर को पूर्ण रूप से सक्रिय करने का कार्य है। भक्त मानते हैं कि ध्वजा के दर्शन से सभी देवताओं का पुण्य मिलता है। समारोह के दौरान शंखनाद, घंटाध्वनि और वेदपाठ हुआ। आसपास आतिशबाजी और दीप प्रज्वलन से अयोध्या दीपमालिका जैसी चमक उठी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत भी उपस्थित थे। उन्होंने भी पूजन में भाग लिया।
कार्यक्रम में 7500 से अधिक अतिथि आमंत्रित थे। मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ के अलावा अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार, सचिन तेंदुलकर, राम चरण जैसे कलाकार और खिलाड़ी आए। 3000 स्थानीय और 3000 पूर्वांचल के निवासी शामिल हुए। वनवासी क्षेत्रों के संतों को प्राथमिकता दी गई। ट्रस्ट ने 1800 कमरों का होटल और होमस्टे व्यवस्था की। 100 टन फूलों से सजावट हुई। लेजर शो, रंगोली और रोशनी से शहर जगमगा उठा। सुरक्षा के लिए 10,000 पुलिसकर्मी, अर्धसैनिक बल, एनएसजी कमांडो और स्नाइपर तैनात थे। पांच स्तर की व्यवस्था में 14 एसपी, 30 एएसपी और 90 डीएसपी लगे। एंटी ड्रोन सिस्टम और सीसीटीवी से निगरानी की गई। भारत-नेपाल सीमा पर सतर्कता बढ़ाई। ट्रैफिक डायवर्जन से भीड़ नियंत्रित की गई। मंदिर दोपहर दो बजकर तीस मिनट तक बंद रहा। दर्शन शाम को फिर शुरू हुए।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर लिखा कि भगवान राम भारत की आत्मा हैं। यह मेरे लिए सौभाग्य का क्षण है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अयोध्या वैदिक दर्शन से प्रेरित स्मार्ट शहर बनेगी। सौर ऊर्जा, पर्यटन और विकास से वैश्विक पहचान मिलेगी। कार्यक्रम दूरदर्शन पर लाइव दिखाया गया। देशभर के भक्त घर बैठे जुड़े। यह दशकों के संघर्ष का फल है। 2019 के सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद निर्माण शुरू हुआ। लाखों ने दान दिया। ट्रस्ट को 3000 करोड़ रुपये मिले, आधे खर्च हो चुके। मंदिर धार्मिक स्थल के साथ पर्यटन केंद्र बनेगा। अयोध्या में रेल, सड़क और हवाई कनेक्टिविटी मजबूत हुई। अयोध्या धाम जंक्शन वास्तुशिल्पीय चमत्कार है।
यह तिथि विवाह पंचमी होने से और भी पवित्र है। त्रेता युग में इसी दिन राम-सीता का विवाह जनकपुर में हुआ था। यह प्रेम, मर्यादा और धर्म का प्रतीक है। अयोध्या और जनकपुर में सामूहिक विवाह आयोजित हुए। आज ही नौवें सिख गुरु तेग बहादुर जी का शहादत दिवस है। उन्होंने 17वीं शताब्दी में अयोध्या में 48 घंटे ध्यान किया था। इसलिए सिख समुदाय के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। यह संयोग हिंदू-सिख एकता का संदेश देता है। मंदिर परिसर में कुल 14 अतिरिक्त मंदिर हैं। पूरा क्षेत्र 2.7 एकड़ में फैला है। निर्माण जनवरी 2024 की प्राण प्रतिष्ठा के बाद तेजी से पूरा हुआ। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि नींव 15 फीट गहरी है और भूकंप प्रतिरोधी है। पत्थर राजस्थान के बांसवाड़ा से आए। मूर्तियां मकराना संगमरमर से बनीं। ट्रस्ट अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि यह सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक है।
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