Pilibhit News: स्कूल ऑफ़ एक्वाटिक वाइल्डलाइफ बायोलॉजी एंड कंज़र्वेशन के दूसरे दिन का सफल आयोजन।
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व में आयोजित स्कूल ऑफ़ एक्वाटिक वाइल्डलाइफ बायोलॉजी एंड कंज़र्वेशन के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने संरक्षण...

रिपोर्ट- कुँवर निर्भय सिंह , आईएनए पीलीभीत
पीलीभीत टाइगर रिज़र्व में आयोजित स्कूल ऑफ़ एक्वाटिक वाइल्डलाइफ बायोलॉजी एंड कंज़र्वेशन के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने संरक्षण संबंधी व्यावहारिक गतिविधियों में भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन टीएसए फाउंडेशन इंडिया (TSAFI), उत्तर प्रदेश वन विभाग और पीलीभीत टाइगर रिज़र्व के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है, जिसमें अंबिका मिश्रा का विशेष सहयोग रहा है। दिन की शुरुआत में टीएसएएफआई निदेशक, डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने ग्रांट लेखन, एनक्लोजर डिज़ाइनिंग और जलीय जीवों के प्रबंधन पर व्यावहारिक अभ्यास कराया। इस सत्र में प्रतिभागियों को संरक्षण परियोजनाओं के लिए आवश्यक अनुदान प्राप्ति और जल्य जीवों के अनुकूल आवास प्रबंधन की बारीकियां सिखाई गईं।
इसके बाद, अंजलि अग्रहरि ने कहानी कहने की तकनीक, फिल्मांकन और वेदों में निहित वन्यजीव संरक्षण की कहानियों पर एक इंटरएक्टिव सत्र लिया। उन्होंने प्रतिभागियों को यह सिखाया कि कैसे वे अपने संरक्षण अनुभवों को प्रभावशाली कहानियों में ढालकर जनता तक पहुंचा सकते हैं और एक संरक्षण कथाकार बन सकते हैं।
दोपहर में, महौफ रेंज के रेंजर अधिकारी साहेंद्र यादव ने ग्रासलैंड मैनेजमेंट पर फील्ड टॉक आयोजित की। उन्होंने घासभूमि प्रबंधन, वन्यजीव संरक्षण में इसकी भूमिका और निवास स्थान के संतुलन को बनाए रखने के महत्व पर चर्चा की।
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शाम को आर. पी. सिंह ने सस्टेनेबल टूरिज्म (सतत पर्यटन) पर एक सत्र लिया, जिसमें उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए पर्यटन को बढ़ावा देने के तरीकों पर प्रतिभागियों को मार्गदर्शन दिया। यह दिन संरक्षण प्रयासों को समझने के साथ-साथ कहानी कहने और ज्ञान को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने की कला को सीखने का अवसर लेकर आया। प्रतिभागियों ने फील्ड में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने के साथ-साथ संरक्षण संचारक बनने की दिशा में भी कदम बढ़ाया।
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