बेहतर कमाई के सपने लेकर सऊदी गया लेकिन वहां.... पासपोर्ट छिना और अब करना पड़ रहा है ये काम.. पीएम मोदी से लगाई गुहार, देखें पूरा वीडियो
इंद्रजीत हंडिया तहसील के सराय ममरेज थाना क्षेत्र के शेखपुर छतौना गांव का रहने वाला है। यह गांव प्रयागराज शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर है, जहां ज्यादातर लो
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के एक साधारण गांव में रहने वाला युवक आज सऊदी अरब के विस्तारित रेगिस्तान में अकेला फंसा हुआ है। उसका नाम अंकित भारतीय है, जिसे लोग प्यार से इंद्रजीत कहते हैं। वह बेहतर कमाई के सपने लेकर एक महीने पहले ही खाड़ी देश रवाना हुआ था। लेकिन वहां पहुंचते ही उसके सपनों का चूरन हो गया। स्पॉन्सर ने न केवल उसका पासपोर्ट छीन लिया, बल्कि उसे रेगिस्तान की तपिश में ऊंट चराने का काम सौंप दिया। अब इंद्रजीत सोशल मीडिया पर रोते हुए वीडियो जारी कर रहा है। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगा रहा है कि उसे जल्द से जल्द वतन वापस बुला लिया जाए। यह घटना न केवल एक व्यक्ति की व्यथा को दर्शाती है, बल्कि विदेश जाने वाले लाखों भारतीय मजदूरों की असुरक्षा को भी उजागर करती है।
इंद्रजीत हंडिया तहसील के सराय ममरेज थाना क्षेत्र के शेखपुर छतौना गांव का रहने वाला है। यह गांव प्रयागराज शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर है, जहां ज्यादातर लोग खेती-बाड़ी और छोटे-मोटे मजदूरी पर निर्भर हैं। इंद्रजीत का परिवार भी आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। उसके पिता जयप्रकाश भारतीय एक मिस्त्री हैं, जो गांव में ही छोटे-मोटे मरम्मत के काम करते हैं। मां का नाम रामदुलारी है, जो घर संभालती हैं। इंद्रजीत की उम्र महज 25 साल है। वह गांव के सरकारी स्कूल से पढ़ा-लिखा है, लेकिन नौकरी की तलाश में भटक रहा था। शादी के बाद परिवार की जिम्मेदारियां बढ़ गईं। पत्नी पिंकी और ससुर राजेश सरोज के कहने पर ही उसने विदेश जाने का फैसला किया। इंद्रजीत ने बताया कि पत्नी और ससुर ने उसे रियाद में अच्छी नौकरी का लालच दिया। वे कहते थे कि वहां जाकर महीने के 1200 रियाल, यानी करीब 27 हजार रुपये कमाएगा। यह रकम परिवार के लिए वरदान जैसी थी। लेकिन कागजात तैयार करने और एजेंट को पैसे देने के बाद वह 1 अक्टूबर 2025 को सऊदी अरब के लिए रवाना हो गया।
रियाद पहुंचने पर इंद्रजीत को लगा कि सपनों का शहर अब उसके कदमों में है। लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली। स्पॉन्सर, जिसे अरबी में कफील कहते हैं, ने उसे एयरपोर्ट से ही एक दूरस्थ रेगिस्तानी इलाके में ले जाकर छोड़ दिया। इंद्रजीत के मुताबिक, कफील ने वादा किया था कि वह कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करेगा, जहां मशीनरी चलाने और मजदूरी का अच्छा वेतन मिलेगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। कफील ने सबसे पहले उसका पासपोर्ट और मोबाइल फोन जब्त कर लिया। अब इंद्रजीत के पास सिर्फ एक पुराना फोन है, जिससे वह कभी-कभी संपर्क कर पाता है। उसे रेगिस्तान के बीच में एक छोटे से टेंट में रखा गया है। वहां दिनभर ऊंटों का झुंड चराना पड़ता है। सुबह से शाम तक धूप की मार झेलते हुए वह ऊंटों को पानी पिलाता है, घास चराता है और रेत के टीलों पर भटकता रहता है। रातें ठंडी हवाओं में कांपते हुए गुजारनी पड़ती हैं। खाना भी सादा, ज्यादातर रोटी-सब्जी या दाल-चावल। महीने का वेतन? वह तो सपना ही बन गया। कफील ने कहा है कि काम अच्छा करेगा तो पैसे मिलेंगे, लेकिन अभी तक एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी।
इंद्रजीत की यह दर्दभरी कहानी एक वीडियो के जरिए सामने आई है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में वह आंसुओं से तरबतर होकर बोल रहा है। "मैं सऊदी में फंस गया हूं। रेगिस्तान में अकेला हूं। ऊंट चरा रहा हूं। कफील ने मेरा पासपोर्ट ले लिया है। मुझे बहुत डर लगता है। प्लीज मुझे वापस बुला लो। मां के पास जाना है।" वह बार-बार अपनी मां का जिक्र करता है। कहता है कि मां की गोद में लौटना चाहता है। वीडियो में वह पत्नी पिंकी और ससुर राजेश पर भी आरोप लगाता है। कहता है कि उनके दबाव में ही वह यहां आया। अब वे फोन पर बात करने से कतरा रहे हैं। इंद्रजीत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर अपील की है। कहा है कि सर, आपकी सरकार मजदूरों की रक्षा करती है। मुझे बचा लीजिए। यह वीडियो अब ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक पर तेजी से फैल रहा है। हजारों लोग इसे शेयर कर रहे हैं। कई लोग भारतीय दूतावास से संपर्क करने की सलाह दे रहे हैं।
इंद्रजीत का परिवार अब गांव में चिंता की चादर ओढ़े बैठा है। पिता जयप्रकाश ने बताया कि बेटा फोन पर रो-रोकर हाल बयान करता है। हम एजेंट के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई मदद नहीं मिल रही। पत्नी पिंकी ने कहा कि वह भी परेशान है। ससुर राजेश सरोज ने एजेंट से बात की, लेकिन वे टालते रहते हैं। गांव वाले भी सहानुभूति जता रहे हैं। कुछ लोग स्थानीय विधायक से मिलने की बात कर रहे हैं। प्रयागराज के सांसद केसी तिवारी ने भी इस मामले पर नजर रखने की बात कही है। लेकिन परिवार की मुख्य उम्मीद केंद्र सरकार पर है। वे चाहते हैं कि विदेश मंत्रालय इसकी सूचना ले और भारतीय दूतावास रियाद से संपर्क करे।
यह पहला मामला नहीं है जब सऊदी अरब में भारतीय मजदूर फंस जाते हैं। खाड़ी देशों में लाखों भारतीय काम करते हैं। लेकिन पासपोर्ट जब्ती, कम वेतन और खराब काम की शिकायतें आम हैं। सऊदी सरकार ने कफाला सिस्टम में सुधार की कोशिश की है, लेकिन जमीनी स्तर पर समस्या बरकरार है। भारत सरकार ने ई-मिग्रेशन पोर्टल और मदद केंद्र स्थापित किए हैं। पीएम मोदी की अगुवाई में कई ऐसे मामलों में मजदूरों को वापस लाया गया है। उदाहरण के तौर पर, 2023 में कतर से 200 से ज्यादा भारतीयों को बचाया गया था। अब इंद्रजीत का केस भी वैसा ही लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि वीडियो वायरल होने से दबाव बनेगा और जल्द मदद मिलेगी।
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