जमीन कब्जे की पुलिस अधीक्षक से शिकायत, पुलिस ने रोका निर्माण कार्य।
हरदोई। एक ओर जहां भू माफियाओं पर सरकार सिकंजा कस रही है तो वहीं दूसरी ओर चोरी छिपे भू माफिया जमीनों पर कब्जा करने से बाज नहीं आ रहे। पूरा मामला थाना बघौली के काईमाऊ गांव का है। यहां के नीत प्रकाश पुत्र शिव कुमार ने पुलिस अधीक्षक को दिए शकायती पत्र के माध्यम से बताया कि गांव में गाटा संख्या 1152 में दर्ज भूमि को मेरे पुत्र अनमोल कृष्ण ने पूर्व में राजेंद्र प्रसाद व नरेंद्र कुमार पुत्रगण छोटे लाल से खरीदी थी।
वहीं काईमाऊ निवासी प्रमुदित तिवारी, आलोक तिवारी, सत्येंद्र तिवारी, दुर्गेश तिवारी पुत्रगण चंद्र कुमार व प्रियांशु तिवारी एवं हिमांशु तिवारी पुत्रगण दुर्गेश तिवारी जो दबंग किस्म के व्यक्ति हैं जिन्होंने पहले भी गांव के कई गरीबों की जमीनों को कब्जा कर निर्माण करा लिया है। उन्होंने कहा मेरे बैनामे में दर्ज भूमि पर खड़े ग्यारह यूकेलिप्टस पेड़ जिनकी कीमत लगभग एक लाख रुपए थी उन्हें भी शुक्रवार को तड़के सुबह कटवा लिया।
मना करने के बावजूद खाली भूमि पर कब्जा कर मकान निर्माण कर रहे हैं। मेरे द्वारा उपरोक्त मामले की शिकायत संबंधित कोतवाली में की गई तो पुलिस ने आकर मामले को नज़र अंदाज़ कर दिया जिससे दबंगों के हौसले बुलंद हैं। वहीं विख्यात कथा वाचक अनमोल कृष्ण शास्त्री ने कहा जमीन कब्जा करने वाले लोग समाजवादी पार्टी के समर्थक हैं जिनके द्वारा गांव के कई गरीबों की जमीनों को स्थानीय पुलिस की सांठ गांठ से अब तक कब्जा किया जा चुका है समय रहते कानूनी कार्यवाही न होने के कारण उनके हौसले बुलंद है।
कहा भारतीय जनता पार्टी की सरकार में भू माफियाओं पर कड़ी कार्यवाही की जाती रही है। मैं मथुरा में रहकर संत भक्तों की सेवा करता हूं जिसके कारण ऐसे धूर्त लोगों को हमारी जमीने कब्जा करने का अवसर मिल जाता है। पर सरकार और शासन प्रशासन ऐसे लोगों को बक्सने वाला नहीं है।
उन्होंने जनपद के शासन प्रशासन से न्याय की गुहार लगाते हुए कहा अगर विपक्षी नहीं माने तो बड़ी संख्या में संत समाज के साथ धरना प्रदर्शन को मजबूर होना पड़ेगा। पूंछे जाने पर इंस्पेक्टर विवेक वर्मा ने कहा कि कब्जा कर निर्माण करा रहे लोगों ने सन 1995 में उपरोक्त भूमि का एग्रीमेंट कराया था जबकि अनमोल कृष्ण शास्त्री द्वारा सन 2023 में बैनामा कराया गया है। मौके पर हो रहे निर्माण कार्य को रोक दिया गया है। राजस्व से संबंधित मामला होने के कारण दोनों पक्षों को न्यायालय जाना चाहिए।
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