मसूरी में 15 वां श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ कथा का शुभारंभ, महिलाओं ने निकाली कलश यात्रा।
रिपोर्टर सुनील सोनकर
मसूरी के नागदेवता मंदिर समिति ने हाथीपांव रोड स्थित नाग मंदिर परिसर में आयोजित 15 वां श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ कथा का शुभारंभ किया गया। इससे पूर्व भारी संख्या में मसूरी भटटा क्यारकूली गांव और स्थानीय क्षेत्र के श्रद्वालुओं ने डोली और कलश यात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। वहीं, महिलाओं ने सर पर कलश रख कर,नंगे पैर धुमावदार पहाड़ी रास्ते के करीब 10 किलो मीटर का सफर पैदल तय कर नाग मंदिर पहुंची । इस अनुष्ठान को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.भक्त पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुन में नाग देवता की भक्ति में झूमते हुए नजर आये। इस दौरान नाग देवता के भक्तों ने नागराज देवता का जयकारे लगाया। .यात्रा के पड़ावों पर पर्यटकों व राहगीरों ने भी भगवान नाग देवता की डोली के दर्शन किए। कलश यात्रा के नाग मंदिर पहुंचने पर महिलाओं ने कलश को श्रीमद भागवत कथा मंडप में स्थापित किए। जिसके बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओ ने भगवान नाग देवता के दर्शन कर शिवलिंग जलाभिषेक किया और नाग देवता की प्रतिमा पर दुग्धाभिषेक कर परिवार की खुशहाली की कामना की।
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स्थानीय निवासी आशीष रावत, सुधांशु रावत और शूरवीर सिंह का मानना है कि कलश यात्रा के दौरान महिलाएं अपने सर पर रखे कलश को हटाती नहीं है. क्योंकि अगर कलश हट जाये तो यात्रा पूरी नहीं मानी जाती. गांव के बुजुर्गों का मानना है कि यह मंदिर 500 साल पुराना है. कई साल पहले एक गाय शाम के समय चरकर अपने गौशाला में पहुंचती है. तो उसके थानों में दूध नहीं पाया गया. क्योंकि वह अपना दूध पत्थर पर छोड़ कर आ जाती थी. जिसे नाग देवता पी जाते थे.गौर है कि मालिक द्वारा एक दिन गाय का विदा किया गया तो उन्होंने गाय को पत्थर पर दूध छोड़ते देखा कि उस दूध को एक नाग पी रहा था. तभी से इस स्थान पर नाग मंदिर की स्थापना की गई . जिसे क्यार कुली भट्टा गांव के लोग नागदेवता को कुलदेवता मानने लगे. वहीं, इस दिन नागपंचमी के एक सप्ताह पूर्व ढोल नगाड़ों के साथ पारंपरिक वेशभूषा में त्यौहार के रूप मे मनाया जाता है।
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