बिहार चुनाव हार के बाद RJD ने 32 भोजपुरी गायकों को भेजे कारण बताओ नोटिस, अनधिकृत गानों से पार्टी की छवि खराब होने का आरोप।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार झेलने के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने एक नया मोर्चा खोल दिया है। पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान अनधिकृत
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार झेलने के बाद राष्ट्रीय जनता दल ने एक नया मोर्चा खोल दिया है। पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान अनधिकृत रूप से RJD और उसके नेताओं के नाम लेकर गाने गाने वाले 32 भोजपुरी गायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं। इन गानों में हिंसा, अपहरण और जंगल राज की छवि को बढ़ावा देने वाली लाइनें थीं, जो पार्टी की हार का एक कारण माने जा रहे हैं। नोटिस में गायकों से पूछा गया है कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों न की जाए। पार्टी का कहना है कि अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो अदालत का रास्ता अपनाया जाएगा। यह कदम तेजस्वी यादव के निर्देश पर उठाया गया है, जो हार के बाद पार्टी की समीक्षा कर रहे हैं।
यह कार्रवाई 23 नवंबर 2025 को शुरू हुई। RJD के प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बताया कि चुनाव के दौरान कई भोजपुरी गाने वायरल हुए, जिनमें लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और अन्य नेताओं का नाम लिया गया। लेकिन ये गाने पार्टी की अनुमति के बिना बने थे। इनमें 'सिक्सर के छह गोली छाती में' और 'लठिया के जोर से लनटेनवा' जैसी लाइनें थीं, जो हिंसा का प्रतीक लग रही थीं। पार्टी का मानना है कि इन गानों ने जनता में जंगल राज की पुरानी यादें ताजा कर दीं, जिससे वोटर नाराज हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रैलियों में इन गानों का जिक्र कर RJD पर हमला बोला था। हार के बाद RJD ने इन गानों को अपनी इमेज खराब करने का दोषी ठहराया। नोटिस सभी गायकों को रजिस्टर्ड डाक से भेजे गए हैं।
32 गायकों की सूची में टुनटुन यादव, खेसारी लाल यादव जैसे बड़े नाम शामिल हैं। टुनटुन यादव ने एक गाने में यादव वर्चस्व की बात की थी, जो जातिवादी माना गया। खेसारी लाल यादव छपरा से RJD के उम्मीदवार थे और उनके गाने चुनावी रैलियों में बजाए गए। लेकिन पार्टी कहती है कि ये अनधिकृत थे। नोटिस में गायकों से सात दिनों में जवाब मांगा गया है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो मानहानि का मुकदमा दायर होगा। RJD का तर्क है कि गाने पार्टी को बदनाम करने वाले थे और चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन करते थे। चित्तरंजन गगन ने कहा कि ये गाने RJD की छवि को धक्का पहुंचाने वाले थे, इसलिए कार्रवाई जरूरी है।
बिहार चुनाव 2025 महागठबंधन के लिए झटका साबित हुआ। RJD ने 143 सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन सिर्फ 25 जीतीं। NDA ने 202 सीटें हासिल कर सरकार बना ली। तेजस्वी यादव रघोपुर से जीते लेकिन पार्टी की हार ने सवाल खड़े कर दिए। हार के कारणों में जंगल राज की छवि, जातिवादी राजनीति और कमजोर संगठन शामिल हैं। चुनाव से पहले ये गाने सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे। यूट्यूब पर लाखों व्यूज आए। लेकिन पीएम मोदी ने इन्हें जंगल राज का प्रतीक बताकर हमला किया। RJD ने पहले इनकी निंदा नहीं की, लेकिन हार के बाद पछतावा हो गया। पार्टी की आंतरिक समीक्षा में यह मुद्दा प्रमुख रहा।
भोजपुरी इंडस्ट्री में यह खबर हलचल मचा रही है। गायक टुनटुन यादव ने कहा कि उनके गाने लोकप्रिय थे और पार्टी ने खुद रैलियों में बजाए। वे नोटिस का जवाब देंगे। खेसारी लाल ने कहा कि वे RJD के समर्थक हैं और गाने समर्थन में बने थे। लेकिन RJD का कहना है कि बिना अनुमति नाम लेना गलत था। बिहार में भोजपुरी गाने चुनावी हथियार बन जाते हैं। 2020 में भी ऐसे गाने वायरल हुए थे। लेकिन इस बार ये उल्टे पड़े। विशेषज्ञ कहते हैं कि RJD को अपनी इमेज सुधारनी होगी। हिंसा वाले गाने युवाओं को आकर्षित करते हैं लेकिन जनता को डराते भी हैं।
RJD की यह कार्रवाई पार्टी के अंदरूनी सफाई का हिस्सा लग रही है। हार के बाद तेज प्रताप यादव ने 'जयचंदों' पर हमला बोला। रोहिणी आचार्य ने हरियाणा के प्रभाव का जिक्र किया। पार्टी ने 27 नेताओं को निष्कासित भी किया। लेकिन गायकों पर नोटिस पहला बड़ा कदम है। तेजस्वी ने समीक्षा बैठक में कहा कि गलतियां सुधारनी होंगी। लालू प्रसाद ने कार्यकर्ताओं को एकजुट रहने की सलाह दी। लेकिन सोशल मीडिया पर RJD की आलोचना हो रही है। लोग कह रहे हैं कि हार की जिम्मेदारी गायकों पर क्यों।
चुनाव आयोग ने भी इन गानों पर नजर रखी थी। NHRC ने एक गाने पर नोटिस जारी किया था, जिसमें नाबालिग बच्चों को जातिवादी गाने गाते दिखाया गया। समस्तीपुर का वह वीडियो वायरल हुआ था। NHRC ने चुनाव आयोग से जांच के आदेश दिए। RJD ने कहा कि वह गाना अनधिकृत था। अब पार्टी खुद ऐसे गायकों पर कार्रवाई कर रही है। यह दोहरा चरित्र लग सकता है लेकिन RJD का कहना है कि हार ने आंखें खोल दीं।
भोजपुरी गाने बिहार की राजनीति का हिस्सा हैं। ये लोकल भाषा में होते हैं और ग्रामीण इलाकों में असर डालते हैं। लेकिन हिंसक लाइनें विवादास्पद होती हैं। 2015 चुनाव में भी ऐसे गाने थे। RJD को लगता है कि इन्होंने यादव वोट बैंक को तो एकजुट किया लेकिन अन्य जातियों को भयभीत कर दिया। एनडीए ने विकास और कानून व्यवस्था पर फोकस किया। नीतीश कुमार की छवि मजबूत रही। तेजस्वी का 10 लाख नौकरियों का वादा पुराना हो गया।
गायकों का पक्ष भी मजबूत है। वे कहते हैं कि गाने बाजार की मांग पर बने। RJD समर्थक खुद शेयर करते थे। लेकिन पार्टी अब अनधिकृत को रोकना चाहती है। अगर मुकदमा चला तो भोजपुरी इंडस्ट्री प्रभावित होगी। गायक संगठन ने RJD से बातचीत की अपील की। बिहार में 40 प्रतिशत भोजपुरी बोलने वाले हैं। ये गाने उनकी संस्कृति का हिस्सा हैं। लेकिन राजनीतिक इस्तेमाल से विवाद बढ़ता है।
RJD की यह रणनीति भविष्य के लिए संदेश दे रही है। पार्टी कहती है कि अब साफ-सुथरी राजनीति। लेकिन आलोचक कहते हैं कि यह हार छिपाने का बहाना है। तेजस्वी को विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में मजबूत होना होगा। अगले लोकसभा चुनाव में RJD को सुधार की जरूरत। गायकों पर नोटिस से पार्टी की छवि सुधर सकती है। लेकिन अगर ज्यादा सख्ती की तो समर्थक नाराज हो सकते हैं।
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