लोकसभा में VB-G RAM G बिल पर चर्चा के दौरान चंद्रशेखर आजाद का तंज, कहा- राम की जगह जय भीम क्यों नहीं।
संसद के शीतकालीन सत्र में विकसित भारत – गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल 2025 पर लोकसभा में
संसद के शीतकालीन सत्र में विकसित भारत – गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल 2025 पर लोकसभा में हुई चर्चा के दौरान आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने बिल के नाम पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का नाम बदलना ही था तो इसे बाबासाहेब आंबेडकर के नाम पर क्यों नहीं रखा गया। चंद्रशेखर आजाद ने बिल के नाम में राम शब्द का जिक्र करते हुए पूछा कि राम की जगह जय भीम क्यों नहीं रखा जा सकता।
चंद्रशेखर आजाद ने बिल के प्रावधानों पर भी सवाल उठाए और सरकार की मंशा पर तीखा हमला किया। उन्होंने आधी रात तक चली बहस के दौरान मंत्री से सीधे भिड़ते हुए बिल के नामकरण पर आपत्ति जताई। यह बहस 17 दिसंबर 2025 को शुरू हुई और देर रात तक चली, जिसमें 98 सांसदों ने हिस्सा लिया। चंद्रशेखर आजाद ने बिल को दलितों और गरीबों के हितों के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध किया। VB-G RAM G बिल महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 की जगह लेगा। बिल में ग्रामीण परिवारों को 125 दिनों का रोजगार गारंटी देने का प्रावधान है। बिल पर लोकसभा में 14 घंटे से अधिक बहस हुई। विपक्षी सदस्यों ने बिल को स्टैंडिंग कमिटी में भेजने की मांग की, लेकिन बिल ध्वनिमत से पारित हो गया।
चंद्रशेखर आजाद ने बहस में हिस्सा लेते हुए बिल के नाम को लेकर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि नाम बदलने की जरूरत थी तो बाबासाहेब के नाम पर रखा जाता। उनका यह बयान बिल के नाम में राम शब्द से जुड़ा था, जिसे वे जय भीम से बदलने का सुझाव दे रहे थे। यह टिप्पणी सदन में चर्चा का हिस्सा बनी और बिल के नामकरण पर बहस को नई दिशा दी। बिल पर चर्चा के दौरान सदन में हंगामा हुआ। विपक्षी सदस्यों ने बिल की प्रतियां फाड़ीं और नारे लगाए। चंद्रशेखर आजाद ने बिल के वित्तीय प्रावधानों और राज्यों पर बोझ बढ़ाने पर भी सवाल उठाए। उन्होंने योजना को गरीबों और दलितों के लिए कमजोर करने वाला बताया। बहस आधी रात तक चली और कई सांसदों ने बिल के विभिन्न पहलुओं पर अपनी राय रखी।
VB-G RAM G बिल विकसित भारत 2047 के विजन से जुड़ा है। बिल में डिजिटल टूल्स और पारदर्शिता के प्रावधान हैं। चंद्रशेखर आजाद ने नाम बदलने को राजनीतिक बताते हुए कहा कि यदि बदलना था तो संविधान निर्माता के नाम पर रखा जाता। उनका सुझाव जय भीम रखने का था, जो बाबासाहेब आंबेडकर से जुड़ा नारा है। लोकसभा में बिल पेश होने के बाद विपक्ष ने इसे मनरेगा की भावना के खिलाफ बताया। चंद्रशेखर आजाद ने सदन में अपनी बात रखते हुए बिल के नाम पर तंज कसा। उन्होंने राम शब्द की जगह जय भीम रखने की बात कही। यह बयान बहस के दौरान आया और सदन में गूंजा। बिल पर कुल 14 घंटे बहस हुई, जिसमें चंद्रशेखर आजाद का योगदान प्रमुख रहा।
बिल पारित होने के बाद विपक्षी सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। चंद्रशेखर आजाद ने बिल को दलित विरोधी बताते हुए इसका विरोध जारी रखा। उनका बयान बिल के नामकरण पर केंद्रित था, जहां उन्होंने राम की जगह जय भीम रखने का सुझाव दिया। यह टिप्पणी संसद की कार्यवाही का हिस्सा बनी। VB-G RAM G बिल ग्रामीण रोजगार को नई दिशा देने का प्रयास है। चंद्रशेखर आजाद ने बहस में सक्रिय भूमिका निभाई और नाम पर सवाल उठाया। उनका कहना था कि नाम बदलने की जरूरत थी तो बाबासाहेब आंबेडकर के नाम पर रखा जाता। जय भीम का सुझाव उनके बयान का मुख्य हिस्सा था। यह बहस संसद के शीतकालीन सत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा बनी। चंद्रशेखर आजाद ने आधी रात मंत्री से भिड़ते हुए अपनी बात रखी। बिल के नाम में राम शब्द पर उनका तंज सदन में चर्चा का विषय रहा। बिल लोकसभा से पारित हो गया और राज्यसभा में भी भेजा गया।
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