Deoband News: हल्द्वानी हिंसा केस-  अदालत से उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 22 आरोपियों की डिफॉल्ट जमानत मंजूर की

जमीयत की हल्द्वानी इकाई मामले की पैरवी कर रही है। उन्होंने बताया कि आरोपी फरवरी 2024 से जेल में बंद थे। हल्द्वानी सेशन कोर्ट ने 3 जुलाई 2024 को उनकी डिफॉल्ट जमानत याचिका खा..

Mar 12, 2025 - 00:03
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Deoband News: हल्द्वानी हिंसा केस-  अदालत से उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 22 आरोपियों की डिफॉल्ट जमानत मंजूर की

मौलाना अरशद मदनी बोले- 22 लोगों की रिहाई का फैसला स्वागत योग्य

By INA News Deoband.

देवबंद: हल्द्वानी हिंसा मामले में पुलिस ज्यादती के शिकार 22 आरोपियों की डिफॉल्ट जमानत याचिका पर मंगलवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने फैसला सुनाते हुए रिहाई का आदेश दिया। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने अदालत के रिहाई के फैसले को स्वागत योग्य बताया है।

जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रेस सचिव मौलाना फजुलर्रहमान कासमी ने बताया कि अदालत ने अभियोजन पक्ष के निर्धारित समय सीमा में आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल न करने के कारण तकनीकी आधार पर उनकी डिफॉल्ट जमानत मंजूर की। हाईकोर्ट ने आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद फैसले को सुरक्षित रख लिया था। जमीयत की हल्द्वानी इकाई मामले की पैरवी कर रही है। उन्होंने बताया कि आरोपी फरवरी 2024 से जेल में बंद थे।

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हल्द्वानी सेशन कोर्ट ने 3 जुलाई 2024 को उनकी डिफॉल्ट जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि निचली अदालत का जांच एजेंसी को आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी करने की अनुमति देने वाला आदेश अवैध है। इसे खारिज किया जाता है।

अदालत ने आगे कहा कि यूएपीए कानून के तहत जांच एजेंसी को निर्धारित समय सीमा में जांच पूरी करनी होती है, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। इसलिए आरोपियों की डिफॉल्ट जमानत मंजूर की जाती है। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक फैसला है और जमानत पाने वालों के परिवारों के लिए यह खुशी का अवसर है, जो लंबे इंतजार के बाद आया है।

मौलाना मदनी ने इस बात पर गहरी निराशा व्यक्त की है कि ऐसे मामलों में पुलिस और जांच एजेंसियां जान बूझकर अड़चनें पैदा करती हैं और चार्जशीट दाखिल करने में बहाने बाजी अपनाती हैं। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी हिंसा में पुलिस की अवैध फायरिंग से सात निर्दोष लोगों की मौत हुई थी, लेकिन उनकी कोई चर्चा नहीं करता। यह गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन का मामला है।

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