शामली में अपराध का अंत- बावरिया गैंग सरगना मिथुन एनकाउंटर में ढेर, हेड कांस्टेबल गोली लगने से घायल, साथी राहुल फरार, हेड कांस्टेबल घायल। 

उत्तर प्रदेश के शामली जिले में बावरिया गिरोह के कुख्यात सरगना और सवा लाख रुपये के इनामी अपराधी मिथुन को पुलिस मुठभेड़

Dec 2, 2025 - 15:23
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शामली में अपराध का अंत- बावरिया गैंग सरगना मिथुन एनकाउंटर में ढेर, हेड कांस्टेबल गोली लगने से घायल, साथी राहुल फरार, हेड कांस्टेबल घायल। 
शामली में अपराध का अंत- बावरिया गैंग सरगना मिथुन एनकाउंटर में ढेर, हेड कांस्टेबल गोली लगने से घायल, साथी राहुल फरार, हेड कांस्टेबल घायल। 

उत्तर प्रदेश के शामली जिले में बावरिया गिरोह के कुख्यात सरगना और सवा लाख रुपये के इनामी अपराधी मिथुन को पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया, जो क्षेत्र में लंबे समय से फैले अपराध के सिलसिले को तोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है। यह घटना 1 दिसंबर 2025 की देर रात झिंझाना थाना क्षेत्र के बिडोली जंगल में वेदखेड़ी-मंसूरा मार्ग पर हुई, जहां स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की टीम ने बदमाशों को घेर लिया था। वारदात की योजना बना रहे बदमाशों ने पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी, जिसके जवाब में हुई गोलीबारी में मिथुन को गोली लगी और वह मौके पर ही ढेर हो गया। उसका साथी राहुल फरार होने में सफल रहा, जबकि मुठभेड़ में एसओजी का एक हेड कांस्टेबल गोली लगने से घायल हो गया। पुलिस ने मिथुन के कब्जे से एक कार्बाइन, पिस्टल, जिंदा कारतूस और अन्य हथियार बरामद किए, जो गिरोह की हथियारों से लैस गतिविधियों को दर्शाते हैं। शामली के एसपी नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मुठभेड़ लगभग आधे घंटे तक चली, और यह कार्रवाई खुफिया जानकारी के आधार पर की गई थी।

मुठभेड़ की शुरुआत देर रात करीब 11 बजे हुई, जब एसओजी की टीम को सूचना मिली कि बावरिया गिरोह के सदस्य नई वारदात की तैयारी में जुटे हैं। टीम ने वेदखेड़ी-मंसूरा मार्ग पर नाकाबंदी की, और संदिग्ध वाहन को रोकने का प्रयास किया। बदमाशों ने विरोध करते हुए फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें हेड कांस्टेबल को पैर में गोली लगी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिससे मिथुन को सीने और पेट में कई गोलियां लगीं। राहुल ने घने जंगल का फायदा उठाकर भागने में सफलता हासिल की, और अब उसके लिए व्यापक सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। घायल हेड कांस्टेबल को तुरंत जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज चल रहा है, और उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। मिथुन का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया, और घटनास्थल से बरामद हथियारों का फोरेंसिक परीक्षण कराया जा रहा है। एसपी ने कहा कि मिथुन गिरोह का मुख्य सूत्रधार था, और उसकी मौत से क्षेत्र में अपराध की कमर टूटेगी।

मिथुन की आपराधिक पृष्ठभूमि काफी लंबी और हिंसक रही है, जो बावरिया गिरोह की कुख्यात परंपरा को प्रतिबिंबित करती है। मूल रूप से शामली के झिंझाना क्षेत्र के निवासी मिथुन के खिलाफ उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में 20 से अधिक मुकदमे दर्ज थे, जिनमें हत्या, लूट, डकैती, मारपीट और गैंगस्टर एक्ट की धाराएं शामिल हैं। उसका पहला अपराध रिकॉर्ड मारपीट से जुड़ा था, जो कई वर्ष पहले दर्ज हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे वह लूटपाट और हिंसक वारदातों की दुनिया में गहरा गया। मिथुन बावरिया गिरोह का सरगना था, जो राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में सक्रिय रहा है। गिरोह पर लूट, हत्या और डकैती के सैकड़ों मामले दर्ज हैं, और मिथुन ने कई बड़े ऑपरेशनों का नेतृत्व किया। सवा लाख रुपये का इनाम उसके सिर पर था, जो शामली, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर पुलिस ने मिलकर घोषित किया था। उसके कब्जे से बरामद कार्बाइन और पिस्टल ऐसी वारदातों में इस्तेमाल होने वाले हथियार साबित हो सकते हैं।

बावरिया गिरोह उत्तर भारत के प्रमुख अपराधी समूहों में से एक है, जो घुमंतू जीवनशैली अपनाकर अपराध करता रहा है। यह गिरोह मूल रूप से राजस्थान का है, लेकिन उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड में फैला हुआ है। ब्रिटिश काल में क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट 1871 के तहत इसे आपराधिक जनजाति घोषित किया गया था, जो आजादी के बाद डिनोटिफाइड ट्राइब्स के रूप में दर्ज हुआ। गिरोह के सदस्य 5 से 10 की टोलियों में घूमते हैं, और सड़कों के किनारे कैंप लगाकर हमले करते हैं। वे चेहरा ढककर, तेल या कीचड़ लगाकर भागने में माहिर हैं, जिससे पकड़े जाना मुश्किल होता है। गिरोह पर लूट, हत्या, बलात्कार और चेन स्नैचिंग जैसे अपराधों के सैकड़ों मामले हैं। 2013 में दिल्ली-एनसीआर, मेरठ और बुलंदशहर में गिरोह के 5 सदस्यों ने 24 हत्याओं और 100 से अधिक लूट के मामलों की कबूली थी। दीवाली के बाद प्रार्थना करने के बाद वे अपराध पर निकलते हैं, और विभिन्न नामों जैसे छड़ी-बनियान गैंग या हबूडा गैंग से जाने जाते हैं।

शामली और आसपास के जिलों में बावरिया गिरोह की सक्रियता ने ग्रामीण इलाकों में दहशत फैला रखी थी। मिथुन के नेतृत्व में गिरोह ने हाल के वर्षों में कई लूटपाट की घटनाओं को अंजाम दिया, जिनमें सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली के ग्रामीण क्षेत्र शामिल हैं। मिथुन पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कई चार्ज थे, और वह हथियारों की तस्करी में भी लिप्त था। पुलिस के अनुसार, मुठभेड़ से पहले गिरोह नई डकैती की योजना बना रहा था, जो सीमावर्ती इलाकों को लक्ष्य बना रही थी। राहुल, जो मिथुन का करीबी साथी था, पर भी कई मुकदमे दर्ज हैं, और वह गिरोह के अन्य सदस्यों के संपर्क में है। पुलिस ने उसके फरार होने के बाद आसपास के जिलों में अलर्ट जारी कर दिया है, और खुफिया तंत्र को सक्रिय कर दिया गया है। एसओजी की टीम ने मुठभेड़ के दौरान पूर्ण सतर्कता बरती, जिससे बड़े हादसे को रोका जा सका।

इस मुठभेड़ से पहले भी शामली में बावरिया गिरोह से जुड़े कई अपराधी पुलिस कार्रवाई में मारे गए हैं। उदाहरण के लिए, जनवरी 2025 में झिंझाना क्षेत्र में ही मुस्तफा कग्गा गैंग के चार सदस्यों को विशेष टास्क फोर्स ने मार गिराया था, जिसमें एक लाख का इनामी अरशद भी शामिल था। उस घटना में भी पुलिसकर्मी घायल हुए थे। अक्टूबर 2025 में संजीव जीवा गैंग के शार्पशूटर शाह फैसल को झिंझाना में ही एनकाउंटर में मार गिराया गया था, जिस पर एक लाख का इनाम था। ये घटनाएं दर्शाती हैं कि शामली और आसपास के सीमावर्ती जिलों में अपराधी गिरोहों पर पुलिस का दबाव बढ़ रहा है। बावरिया गिरोह के सदस्य विभिन्न राज्यों में घूमते हैं, और दिल्ली को ट्रांजिट बेस बनाते हैं। ओडिशा, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में भी इस गिरोह की सक्रियता देखी गई है, जहां चेन स्नैचिंग और लूट के मामले दर्ज हुए।

मिथुन की मौत के बाद बावरिया गिरोह की संरचना कमजोर पड़ेगी, लेकिन राहुल जैसे फरार सदस्यों की गिरफ्तारी आवश्यक है। पुलिस ने उसके संभावित ठिकानों पर नजर रखी है, और सीसीटीवी फुटेज तथा तकनीकी निगरानी का सहारा लिया जा रहा है। मुठभेड़ में बरामद हथियारों से यह स्पष्ट है कि गिरोह अवैध हथियारों से लैस था, जो अंतरराज्यीय तस्करी का संकेत देता है। एसपी नरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी जारी रहेगी, और खुफिया आधारित कार्रवाइयां तेज होंगी। हेड कांस्टेबल की चोट से टीम का मनोबल प्रभावित नहीं हुआ, और वे राहुल की तलाश में जुटे हैं। यह घटना क्षेत्रीय अपराध नियंत्रण में मील का पत्थर साबित हो सकती है, जहां ग्रामीण इलाकों में लूट की घटनाएं कम होंगी।

बावरिया गिरोह की कार्यप्रणाली घुमंतू होने के कारण जटिल रही है। सदस्य विभिन्न नामों से पहचाने जाते हैं, और हमलों के बाद तुरंत स्थान बदल लेते हैं। ब्रिटिश काल से चली आ रही इस जनजाति को आपराधिक घोषित करने की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ने सामाजिक अलगाव को बढ़ावा दिया, लेकिन अपराध की श्रृंखला आजादी के बाद भी जारी रही। हेबिचुअल ऑफेंडर्स एक्ट 1953 ने निगरानी को कड़ा किया, लेकिन गिरोह ने वन्यजीव संरक्षण कानून 1972 के बाद शिकार से अपराध की ओर रुख किया। शामली जैसे जिलों में यह गिरोह सड़क लूट और ग्रामीण डकैतियों में सक्रिय रहा। मिथुन जैसे सरगनाओं की गिरफ्तारी या मौत से गिरोह के नेटवर्क पर असर पड़ेगा, लेकिन पूर्ण सफाया के लिए अंतरराज्यीय समन्वय जरूरी है। पुलिस ने अन्य राज्यों के साथ सूचना साझा की है, ताकि राहुल को पकड़ा जा सके।

इस मुठभेड़ ने स्थानीय स्तर पर सुरक्षा उपायों को मजबूत करने पर जोर दिया है। शामली पुलिस ने ग्रामीण इलाकों में गश्त बढ़ा दी है, और खुफिया नेटवर्क को सक्रिय रखा गया है। बरामद हथियारों की जांच से गिरोह के आपूर्तिकर्ताओं का पता लगाया जा रहा है। मिथुन के खिलाफ दर्ज मुकदमों में सहारनपुर के बेहत थाने में लूट का प्रमुख केस शामिल था, जहां गैंगस्टर एक्ट लागू हुआ था। उसके अपराधों की शुरुआत 2011 से मानी जाती है, जब रामपुर मणिहारन में हत्या हुई थी। 2013 में डकैती और लूट के मामले बढ़े, और शामली कोतवाली में गैंगस्टर चार्ज दर्ज हुए। यह क्राइम कुंडली दर्शाती है कि मिथुन व्यवस्थित अपराधी था, जो गिरोह को निर्देशित करता रहा। पुलिस जांच में उसके अन्य साथियों के नाम भी सामने आ सकते हैं।

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