Hardoi : हरदोई में बलात्कार के मामले में आरोपी को 10 साल की सजा और 30 हजार रुपये का जुर्माना
न्यायालय ने अभियोजन और बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनीं। अभियोजन की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता अमलेंद्र सिंह और सत्यम तिवारी ने पैरवी की, जबकि
हरदोई : जिले के माधौगंज थाना क्षेत्र में बलात्कार के एक मामले में अपर सत्र न्यायालय, कोर्ट संख्या-4 ने आरोपी सर्वेंद्र सिंह को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही उस पर 30 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला "ऑपरेशन कन्विक्शन" अभियान के तहत माधौगंज पुलिस और अभियोजन विभाग की प्रभावी पैरवी के बाद आया, जिसका मकसद अपराधियों को जल्द से जल्द सजा दिलाना है।
4 मार्च 2021 को पीड़िता ने माधौगंज थाने में शिकायत दर्ज की थी। उसने बताया कि भैंसीखेड़ा गांव का निवासी सर्वेंद्र सिंह, जो उसका दूर का रिश्तेदार है, ने उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए। पीड़िता ने कहा कि उसके पति की मृत्यु 2018 में हो गई थी, जिसके बाद से सर्वेंद्र उसे परेशान करता था। उसने शादी का झांसा देकर कई बार उसका शारीरिक शोषण किया और धमकी दी कि अगर वह उसकी बात नहीं मानेगी तो उसकी वीडियो सार्वजनिक कर देगा। सर्वेंद्र ने उसे मारने-पीटने और जान से मारने की धमकी भी दी। इस शिकायत के आधार पर माधौगंज थाने में मुकदमा संख्या 99/21 दर्ज किया गया, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाए गए।
पुलिस ने मामले की गहन जांच की। विवेचक ने पीड़िता की निशानदेही पर घटनास्थल का निरीक्षण किया और नक्शा-नजरी तैयार किया। पांच गवाहों के बयान दर्ज किए गए, जिनमें पीड़िता, चिकित्सक डा. स्मिता सिंह, पीड़िता के पिता कमलेश कुमार, प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखने वाले उप-निरीक्षक प्रेमचंद्र कुशवाहा और विवेचक निरीक्षक अमरजीत सिंह शामिल थे। अभियोजन पक्ष ने प्रथम सूचना रिपोर्ट, चिकित्सीय रिपोर्ट, प्रेग्नेंसी रिपोर्ट, नक्शा-नजरी और आरोप पत्र जैसे दस्तावेजी सबूत भी पेश किए।
6 सितंबर 2021 को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हरदोई ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया और मामले को सत्र न्यायालय में भेजा। 10 मई 2022 को सर्वेंद्र सिंह के खिलाफ धारा 376 और 506 के तहत आरोप तय किए गए। अभियुक्त ने आरोपों से इनकार किया और मुकदमे की मांग की। अभियोजन साक्ष्य 1 जून 2022 से शुरू हुए और 18 दिसंबर 2024 को पूरे हुए।
न्यायालय ने अभियोजन और बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनीं। अभियोजन की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता अमलेंद्र सिंह और सत्यम तिवारी ने पैरवी की, जबकि बचाव पक्ष की ओर से टी.एन. मिश्रा ने। न्यायालय ने पीड़िता के बयान, चिकित्सीय सबूतों और अन्य गवाहों के बयानों को विश्वसनीय पाया। यह माना गया कि सर्वेंद्र ने शादी का झांसा देकर पीड़िता की इच्छा के खिलाफ बलात्कार किया और उसे धमकाया।
28 जुलाई 2025 को अपर सत्र न्यायाधीश यशपाल की अध्यक्षता वाली कोर्ट ने सर्वेंद्र सिंह को धारा 376 के तहत दोषी ठहराया और 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई। साथ ही, 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया, जिसके भुगतान न करने पर 6 महीने की अतिरिक्त जेल होगी। जुर्माने की आधी राशि पीड़िता को मुआवजे के रूप में दी जाएगी। जेल में पहले बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित किया जाएगा।
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