Mathura News: सुरेश खन्ना मामले में पुलिस द्वारा दी गई रिपोर्ट से न्यायालय असंतुष्ट, पुन: तीन दिन में सही जवाब देने का आदेश
पुलिस एफआईआर से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की एवं न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया।जबकि न्यायालय ने सुरेश कुमार खन्ना के विरुद्ध याची द्वारा कोई एफआईआर दर्ज है अथवा न...

सनातन धर्म रक्षा पीठ की ओर से एडवोकेट रीना एन सिंह ने की बहस
By INA News Mathura.
मथुरा की विशेष अदालत एमपी-एमएलए कोर्ट ,में राज्य के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना (Suresh Kumar Khanna) के ख़िलाफ़ दायर याचिका सनातन धर्म रक्षापीठ वृंदावन बनाम सुरेश कुमार खन्ना (Suresh Kumar Khanna) की सुनवाई सोमवार को हुई। यह याचिका राज्य के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना (Suresh Kumar Khanna) के खिलाफ उनके द्वारा विजलेंस जांच को प्रभावित करने एवं भ्रष्टाचारियों को बचाने के साथ भूमाफियाओं के संरक्षण में संलिप्तता पाए जाने पर उनपर एफ़आईआर दर्ज कराने के विषयक दायर हुई थी याचिकाकर्ता सनातन धर्म रक्षापीठ वृन्दावन के द्वारा संस्थापक अध्यक्ष कथावाचक कौशल किशोर ठाकुर हैं जिनके द्वारा आश्रमों पर अवैध कब्जा करने वाले भूमाफिया एवं भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के संरक्षण का आरोप वित्त मंत्री पर लगाया गया था.
पूर्व में न्यायालय द्वारा वृंदावन थाने से रिपोर्ट तलब की थी जिसमें वृंदावन कोतवाली पुलिस द्वारा दी गई रिपोर्ट से न्यायालय असंतुष्ट रहा अदालत ने पाया कि पुलिस FIR से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की एवं न्यायालय को गुमराह करने का प्रयास किया।जबकि न्यायालय ने सुरेश कुमार खन्ना (Suresh Kumar Khanna) के विरुद्ध याची द्वारा कोई FIR दर्ज है अथवा नहीं के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था न्यायालय ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए पूछा कि क्या संबंधित शिकायत याचिका के मामले में कोई उचित FIR दर्ज की गई है? जिसपर वृंदावन पुलिस द्वारा एक अन्य एफ़आईआर की रिपोर्ट सूचना कोर्ट में प्रस्तुत कर दी गई जो कि अन्य फर्जी वसीयत के विषय में थी जिसकी विवेचना अभी चल रही है.
न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह वास्तविक FIR जिसमें वित्त मंत्री के हस्तक्षेप से संबंधित याचिकाकर्ता के आरोपों की शिकायत पर कोई मुकदमा पंजीकृत है या नहीं कि सही रिपोर्ट तीन दिन के भीतर प्रस्तुत करें इस मामले में सुप्रीमकोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता रीना सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक ‘ललिता कुमारी बनाम राज्य’ निर्णय का हवाला देते हुए ज़ोरदार तर्क रखा कि संज्ञेय अपराध की स्थिति में FIR दर्ज करने हेतु कोई प्रारंभिक जांच आवश्यक नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मामले में FIR दर्ज किया जाना कानूनन आवश्यक है नहीं तो अपराधी के साथ साथ अपराध को बढ़ावा देने वाले मंत्री भी कुछ न कुछ ग़लत करते रहेंगे। इस सुनवाई में अधिवक्ता ठाकुर किशन सिंह, पूर्व अध्यक्ष बार एसोसिएशन मथुरा, एवं सर्वोच्च न्यायालय की अधिवक्ता रीना एन. सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहे।
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