मुंबई लोकल ट्रेन हादसा- दिवा-कोपर के बीच भीड़भाड़ के कारण 13 यात्री गिरे, चार की मौत, नौ घायल।
मुंबई की सेंट्रल रेलवे लाइन पर सोमवार सुबह एक बड़ा हादसा हो गया, जिसमें चलती लोकल ट्रेन से 13 यात्री रेलवे ट्रैक पर गिर गए। इस घटना में ...
मुंबई की सेंट्रल रेलवे लाइन पर सोमवार सुबह एक बड़ा हादसा हो गया, जिसमें चलती लोकल ट्रेन से 13 यात्री रेलवे ट्रैक पर गिर गए। इस घटना में चार यात्रियों की मौत हो गई, जबकि नौ अन्य घायल हो गए। सेंट्रल रेलवे ने शुरुआत में मृतकों की संख्या पांच बताई थी, लेकिन बाद में जारी बयान में चार लोगों की मौत की पुष्टि की गई। यह हादसा दिवा और कोपर रेलवे स्टेशनों के बीच हुआ, जब छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) की ओर जा रही एक फास्ट लोकल ट्रेन में अत्यधिक भीड़ के कारण यह दुर्घटना हुई।
सेंट्रल रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी डॉ. स्वप्निल नीला के अनुसार, यह हादसा सुबह करीब 9:50 बजे हुआ। कसारा से CSMT की ओर जा रही एक फास्ट लोकल ट्रेन और दूसरी दिशा में जा रही एक अन्य ट्रेन मुंब्रा स्टेशन के पास एक-दूसरे के बगल से गुजर रही थीं। दोनों ट्रेनों में भारी भीड़ थी, जिसके कारण कई यात्री दरवाजों पर और फुटबोर्ड पर लटककर यात्रा कर रहे थे। इस दौरान, यात्रियों के बैग आपस में टकराए, जिससे उनका संतुलन बिगड़ गया और करीब 13 यात्री ट्रैक पर गिर गए।
हादसे की सूचना सबसे पहले कसारा की ओर जा रही एक अन्य ट्रेन के गार्ड ने दी, जिसके बाद रेलवे प्रशासन और पुलिस तुरंत मौके पर पहुंचे। घायलों को तुरंत कलवा के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल के डीन डॉ. राकेश बारोट ने बताया कि कुल नौ घायलों (सात पुरुष और दो महिलाओं) को भर्ती किया गया, जिनमें से चार की मौत हो गई। कुछ गंभीर रूप से घायल यात्रियों को ब्रेन सर्जरी के लिए जुपिटर अस्पताल में शिफ्ट किया गया है। मृतकों में से तीन की पहचान हो चुकी है: 23 वर्षीय केतन दिलीप सरोज (उल्हासनगर), 34 वर्षीय रेलवे कर्मचारी विक्की बाबासाहेब मुखिदल, और राहुल संतोष गुप्ता। चौथे मृतक की पहचान अभी बाकी है।
- भीड़भाड़ बनी हादसे की वजह
सेंट्रल रेलवे ने हादसे की प्राथमिक वजह अत्यधिक भीड़ को बताया है। सुबह के पीक आवर्स में ट्रेनें इतनी भरी होती हैं कि यात्रियों को फुटबोर्ड पर लटककर यात्रा करनी पड़ती है। इस मामले में भी, दोनों ट्रेनों के फुटबोर्ड पर लटके यात्रियों के बैग आपस में टकराने से यह हादसा हुआ। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इस रूट पर ट्रेनों की फ्रीक्वेंसी पहले से ही हर तीन मिनट पर है, लेकिन इसके बावजूद भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा है।
मुंबई रेलवे पैसेंजर्स एसोसिएशन ने इस हादसे के लिए डिविजनल रेलवे मैनेजर (DRM) को जिम्मेदार ठहराया है। एसोसिएशन का कहना है कि उन्होंने कई बार रेलवे बोर्ड को दिवा से कल्याण तक के इस खतरनाक रूट के बारे में शिकायत की थी, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। एसोसिएशन ने बताया कि कल्याण और ठाणे के बीच दो नए रूट जोड़े गए थे, जिससे लोकल ट्रेनों की संख्या बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन DRM ने मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को प्राथमिकता देकर इस फैसले को पलट दिया।
- मुंबई की लोकल ट्रेनों में बढ़ते हादसे
मुंबई की लोकल ट्रेनें रोजाना लाखों यात्रियों को ढोती हैं, लेकिन भीड़भाड़ के कारण हादसे एक गंभीर समस्या बन गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, पिछले 20 वर्षों में मुंबई की लोकल ट्रेनों में 51,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। सेंट्रल रेलवे के मुताबिक, 2009 में जहां 1,782 मौतें हुई थीं, वहीं 2023 में यह संख्या घटकर 1,221 रह गई। फिर भी, ज्यादातर हादसे ट्रैक पार करने, भीड़भाड़ में ट्रेन से गिरने, और प्लेटफॉर्म-ट्रेन के बीच के गैप में फंसने के कारण होते हैं।
पिछले कुछ सालों में दिवा-कोपर और ठाणे-दिवा के बीच कई हादसे दर्ज किए गए हैं। उदाहरण के लिए:
2019 में: 26 वर्षीय शिव गुजर और 22 वर्षीय चार्मी प्रसाद की भीड़भाड़ के कारण ट्रेन से गिरकर मौत हो गई थी।
2024 में: 25 वर्षीय अवधेश दुबे और 49 वर्षीय राहुल पुरुषोत्तम अष्टेकर भी इसी रूट पर भीड़ के कारण ट्रेन से गिरकर मारे गए थे।
- सरकार और रेलवे का रुख
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हादसे को "दुर्भाग्यपूर्ण" करार देते हुए कहा कि सभी घायलों को तुरंत शिवाजी अस्पताल और ठाणे जनरल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने रेलवे प्रशासन को जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिवारों को वित्तीय सहायता का आश्वासन दिया है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी दुख जताया और कहा कि "लोगों की जान बचाना पहली प्राथमिकता है।" उन्होंने एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने की बात कही, जो हादसे की वजहों की जांच करेगी और जवाबदेही तय करेगी।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इसे मुंबई की सबअर्बन रेल प्रणाली में भीड़भाड़ और सुरक्षा की गंभीर समस्या का उदाहरण बताया। ठाणे से शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने भी गहन जांच की मांग की है और सवाल उठाया कि क्या यह हादसा केवल भीड़ की वजह से हुआ, या इसमें किसी धक्का-मुक्की या विवाद की भूमिका थी। विपक्षी नेता अंबादास दानवे ने रेलवे सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए जवाबदेही की मांग की है।
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- रेलवे की नई पहल
इस हादसे के बाद रेलवे बोर्ड ने घोषणा की है कि मुंबई सबअर्बन के लिए बन रहे सभी नए रेक में ऑटोमैटिक डोर क्लोजर सिस्टम लगाया जाएगा। साथ ही, मौजूदा रेक को भी री-डिज़ाइन कर डोर क्लोजर की सुविधा दी जाएगी। रेलवे का कहना है कि इससे भीड़भाड़ के कारण होने वाले हादसों को कम करने में मदद मिलेगी।
- यात्रियों और एक्टिविस्ट्स की मांग
ठाणे डिस्ट्रिक्ट रेलवे यूजर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने रेलवे प्रशासन की निष्क्रियता की आलोचना की और कहा कि भीड़भाड़ को लेकर बार-बार चेतावनी दी गई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यात्रियों और एक्टिविस्ट्स ने लंबे समय से मांग की है कि:
ठाणे-दिवा के बीच 5वीं और 6वीं लाइन का काम जल्द पूरा किया जाए, ताकि ट्रेनों की फ्रीक्वेंसी बढ़ाई जा सके।रेलवे स्टेशनों पर इमरजेंसी मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि हादसे के बाद तुरंत इलाज मिल सके।विभिन्न कंपनियों के ऑफिस टाइमिंग में बदलाव किया जाए, ताकि पीक आवर्स में भीड़ कम हो।
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