Viral: राजस्थान के अलवर में 15 करोड़ की ऑनलाइन लूडो ठगी का पर्दाफाश, रामगढ़ पुलिस ने चार आरोपियों को दबोचा, जांच में और बड़े खुलासे की संभावना।
राजस्थान के अलवर जिले की रामगढ़ पुलिस ने एक सनसनीखेज कार्रवाई में ऑनलाइन सट्टेबाजी और ठगी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़...

राजस्थान के अलवर जिले की रामगढ़ पुलिस ने एक सनसनीखेज कार्रवाई में ऑनलाइन सट्टेबाजी और ठगी के एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। यह गिरोह ऑनलाइन लूडो और अन्य गेमिंग प्लेटफॉर्म्स की आड़ में लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी कर रहा था। शुरुआती जांच में 15 करोड़ रुपये के लेन-देन का हिसाब-किताब सामने आया है, और पुलिस का मानना है कि यह राशि कई गुना अधिक हो सकती है। इस ऑपरेशन में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, और उनके पास से दो कारें, नकदी, मोबाइल फोन, स्कैनर, पैन कार्ड, एटीएम कार्ड, और बैंक पासबुक बरामद किए गए हैं।
- गुप्त सूचना से भंडाफोड़ तक
रामगढ़ पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि पिपरोली गांव में कुछ लोग फर्जी वेबसाइट्स के जरिए ऑनलाइन सट्टेबाजी और ठगी का धंधा चला रहे हैं। इस सूचना के आधार पर, पुलिस अधीक्षक (SP) संजीव नैन के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया गया। 24 जून 2025 को, रामगढ़ पुलिस ने पिपरोली गांव में छापेमारी की और चार आरोपियों—राहुल मेघवाल, सूरज मेघवाल, अशोक मेघवाल, और सुभाष मेघवाल—को गिरफ्तार किया। ये सभी अलवर जिले के निवासी हैं और इनका आपराधिक इतिहास भी रहा है।
पुलिस ने छापेमारी के दौरान दो कारें, 2.5 लाख रुपये नकद, छह मोबाइल फोन, एक स्कैनर, पांच पैन कार्ड, सात एटीएम कार्ड, और तीन बैंक पासबुक बरामद किए। जांच में पता चला कि यह गिरोह एक फर्जी वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन लूडो और अन्य गेम्स का संचालन करता था, जिसमें प्रतिदिन लाखों रुपये का लेन-देन होता था। SP संजीव नैन ने बताया, “जब कोई खिलाड़ी बड़ी राशि जीतता था, तो उसे पैसे नहीं दिए जाते थे। वेबसाइट के एडमिन की जानकारी गुप्त होने के कारण पीड़ित शिकायत भी दर्ज नहीं कर पाते थे।”
- ठगी का तरीका: लूडो की आड़ में साइबर फ्रॉड
इस गिरोह का मॉडस ऑपरेंडी अत्यंत सुनियोजित था। यह लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, और टेलीग्राम पर विज्ञापनों के जरिए लोगों को लुभाते थे, जिसमें दोगुना-तिगुना रिटर्न का वादा किया जाता था। पीड़ितों को एक लॉगिन आईडी दी जाती थी, जिसके जरिए वे ऑनलाइन लूडो या अन्य गेम्स खेल सकते थे। शुरुआत में, छोटी राशि जीतने की सुविधा दी जाती थी ताकि विश्वास जीता जा सके। इसके बाद, जैसे ही खिलाड़ी बड़ी राशि निवेश करते, उनके खाते ब्लॉक कर दिए जाते थे, और पैसे गायब हो जाते थे।
पुलिस ने पाया कि यह गिरोह जीएसटी खातों और फर्जी बैंक खातों का उपयोग करके ठगी के पैसे को वैध दिखाने की कोशिश करता था। इसके लिए, उन्होंने कई फर्जी पैन कार्ड और बैंक खातों का जाल बिछाया था। SP नैन ने बताया कि शुरुआती जांच में 15 करोड़ रुपये के लेन-देन का हिसाब मिला है, लेकिन यह राशि और बढ़ सकती है, क्योंकि यह गिरोह कई राज्यों में सक्रिय था।
- साइबर अपराध का केंद्र: अलवर और मेवात क्षेत्र
अलवर और आसपास का मेवात क्षेत्र (जो राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर स्थित है) लंबे समय से साइबर अपराध का गढ़ रहा है। 2021 में राजस्थान पुलिस ने बताया था कि मेवात क्षेत्र में साइबर फ्रॉड के 17,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें 55.56 करोड़ रुपये की ठगी हुई थी। अलवर के इस मामले में भी, पुलिस को संदेह है कि यह गिरोह एक बड़े अंतर-राज्यीय नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है, जो दुबई, थाईलैंड, और अन्य देशों में फैला हुआ है।
पुलिस ने पाया कि ये अपराधी तकनीक-प्रेमी युवा थे, जो हवाला और क्रिप्टोकरेंसी के जरिए पैसे को विदेशी खातों में ट्रांसफर करते थे। इस तरह के अपराधों में शामिल लोग अक्सर फर्जी आधार कार्ड, विदेशी सिम, और नकली बैंक खातों का उपयोग करते हैं, जैसा कि नोएडा में हाल ही में एक नकली अपहरण मामले में सामने आया था।
यह मामला ऑनलाइन गेमिंग की बढ़ती लोकप्रियता और इसके दुरुपयोग को रेखांकित करता है। भारत में ऑनलाइन गेमिंग का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, जिसमें 2024 में 421 मिलियन गेमर्स दर्ज किए गए। हालांकि, इस लोकप्रियता के साथ साइबर फ्रॉड के मामले भी बढ़ रहे हैं। इस मामले ने न केवल व्यक्तियों की वित्तीय हानि को उजागर किया, बल्कि समाज में डिजिटल साक्षरता और साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूकता की कमी को भी सामने लाया
X पर इस मामले को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। एक यूजर ने लिखा, “ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर ठगी अब आम हो गई है। सरकार को सख्त कानून और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।” इस तरह के अपराधों ने लोगों का ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भरोसा कम किया है, और कई लोग अब ऐसे गेम्स से दूरी बनाने की बात कर रहे हैं।
रामगढ़ पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की धाराओं 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (IT Act) की धारा 66 के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने बरामद सामग्री की फोरेंसिक जांच शुरू कर दी है, और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल है। SP नैन ने कहा, “हम इस मामले को अंतर-राज्यीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच रहे हैं। हमें संदेह है कि इस रैकेट के तार दुबई और थाईलैंड से जुड़े हो सकते हैं।”
पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि इस गिरोह ने कई फर्जी बैंक खातों का उपयोग किया, जिनमें से कुछ को जीएसटी रजिस्ट्रेशन के जरिए वैध दिखाने की कोशिश की गई थी। यह तकनीक हाल के वर्षों में साइबर अपराधियों के बीच लोकप्रिय हो रही है, जैसा कि पुणे में 2024 में एक अन्य मामले में देखा गया था, जहां एक साइबर मनी लॉन्ड्रिंग रैकेट का पर्दाफाश हुआ था।
यह मामला राजस्थान में साइबर अपराध के बढ़ते खतरे को दर्शाता है। अलवर और मेवात क्षेत्र को साइबर क्राइम का केंद्र माना जाता है, जहां तकनीक-प्रेमी युवा आसान पैसा कमाने के लिए ऐसे अपराधों में लिप्त हो रहे हैं। पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई की, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर अपराधों को रोकने के लिए अधिक मजबूत तकनीकी ढांचे और जन जागरूकता की आवश्यकता है।
हाल के वर्षों में, भारत में साइबर फ्रॉड के कई बड़े मामले सामने आए हैं। उदाहरण के लिए, 2023 में नागपुर में एक व्यवसायी को ऑनलाइन जुए में 58 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, और पुलिस ने 17 करोड़ रुपये नकद और 14 किलोग्राम सोना बरामद किया था। इसी तरह, 2024 में वाराणसी में 190 करोड़ रुपये की गेमिंग ठगी का मामला सामने आया था, जिसमें 11 लोग गिरफ्तार किए गए थे।
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