Deoband : ऐ मेरे यार बता क्या ये मुनासिब होगा, तू मेरे सामने औरों से मुखातिब होगा
बृहस्पतिवार को मोहल्ला खानकाह में हुए कार्यक्रम की शुरुआत जुहैर अहमद जुहैर की नात-ए-पाक से हुई। उस्ताद शायर शमीम किरतपुरी ने अपना कलाम सुनाते हुए कहा..
- बहुत गुरुर था सीने में दिल के होने का, अदबी संस्था बज्म-ए-यारां के बैनर तले हुआ शेरी नशिस्त का आयोजन
देवबंद। अदबी संस्था बज्म-ए-यारां के बैनर तले शेरी नशिस्त का आयोजन किया गया। इसमें युवा शायर वली वकास ने अपने जज्बातों को कुछ यूं बयां किया..तुम्हारे तर्ज-ए-तगाफ़ुल ने छन से तोड़ दिया, बहुत गुरुर था सीने में दिल के होने का सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी।
बृहस्पतिवार को मोहल्ला खानकाह में हुए कार्यक्रम की शुरुआत जुहैर अहमद जुहैर की नात-ए-पाक से हुई। उस्ताद शायर शमीम किरतपुरी ने अपना कलाम सुनाते हुए कहा..ऐ मेरे यार बता क्या ये मुनासिब होगा, तू मेरे सामने औरों से मुखातिब होगा।
जुहैर अहमद जुहैर ने कुछ यूं पढ़ा..मैं जानता हूं कि आमाल मेरे कैसे हैं, जो दे रहा है तू मौला वही गनीमत है। काशिफ अख्तर ने अपने जज्बात कुछ यूं बयां किए..उनके पहलू में बैठ जाने से, गम लगे सब के सब ठिकाने से। उजैर अनवर ने पढ़ा..इक शौक-ए-ऐतबार का मारा हुआ है दिल, मैं खुद को भूल जाऊं तो कितना सुकुन हो।
वसीम शेहपर ने कहा..दब गई है फसाद की ताकत, देख लो इत्तेहाद (एकजुटता) की ताकत। सैयद काशिफ ने कुछ यूं कहा..शाख-ए-वाबस्तगी तो सूख गई, हिज़्र के गुल की ताजगी न गई। सुनाकर श्रोताओं से जमकर दाद बटोरी। अध्यक्षता शमीम किरतपुरी व संचालन उजैर अनवर ने किया। कार्यक्रम आयोजक वली वकास ने सभी का आभार जताया। इस मौके पर एयाज कासमी, शिराज अहमद, माविया खालिद, नबील मसूदी आदि मौजूद रहे।
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