Trending: पीएम मोदी को त्रिनिदाद और टोबैगो का सर्वोच्च सम्मान, वैश्विक नेतृत्व और भारत-कारिबियाई संबंधों को मिली मजबूती।
Political Samachar: त्रिनिदाद और टोबैगो की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस कैरिबियाई देश...

Political News: त्रिनिदाद और टोबैगो की राजधानी पोर्ट ऑफ स्पेन में एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस कैरिबियाई देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो’ से नवाजा गया। यह सम्मान प्राप्त करने वाले वह पहले विदेशी नेता हैं, जो इस पुरस्कार की विशिष्टता को और बढ़ाता है। यह पीएम मोदी का 25वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है, जो उनके वैश्विक नेतृत्व, भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ गहरे जुड़ाव, और कोविड-19 महामारी के दौरान मानवीय प्रयासों के लिए दिया गया। इस सम्मान ने भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच 180 साल पुराने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत किया है।
4 जुलाई 2025 को पोर्ट ऑफ स्पेन में राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘द ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद एंड टोबैगो’ प्रदान किया। यह सम्मान पीएम मोदी के वैश्विक नेतृत्व, ग्लोबल साउथ के हितों की पैरोकारी, और भारत-त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान के लिए दिया गया। इस समारोह में त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला परसाद-बिसेसर, उनके मंत्रिमंडल के सदस्य, सांसद, और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
पीएम मोदी ने इस सम्मान को 140 करोड़ भारतीयों की ओर से स्वीकार करते हुए कहा, “मैं त्रिनिदाद और टोबैगो की सरकार और जनता का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। यह सम्मान हमारे दोनों देशों की शाश्वत और गहन मित्रता का प्रतीक है।” उन्होंने इस पुरस्कार को भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच साझा इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर पर आधारित संबंधों की गहराई का प्रतीक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यह सम्मान उनके लिए एक जिम्मेदारी है, जिसके तहत वे दोनों देशों के बीच सहयोग को और गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
- त्रिनिदाद और टोबैगो के साथ भारत के संबंध
भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच संबंध 180 साल पुराने हैं, जो 1845 में शुरू हुए, जब भारतीय मजदूरों को गन्ना बागानों में काम करने के लिए इस कैरिबियाई देश में लाया गया था। आज, त्रिनिदाद और टोबैगो की 13 लाख की आबादी में लगभग 35-40% लोग भारतीय मूल के हैं, जिनमें से अधिकांश बिहार और उत्तर प्रदेश के भोजपुरी भाषी क्षेत्रों से हैं। इस प्रवासी समुदाय ने अपनी सांस्कृतिक परंपराओं, जैसे होली, दीवाली, और भोजपुरी लोक संगीत, को जीवित रखा है, जो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक सेतु का काम करता है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में इस समुदाय की सराहना करते हुए कहा, “उन्होंने अपनी मिट्टी छोड़ी, लेकिन अपनी आत्मा नहीं। वे केवल प्रवासी नहीं थे, बल्कि एक कालजयी सभ्यता के दूत थे।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि अब भारतीय मूल के छठी पीढ़ी के नागरिक भी ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड के लिए पात्र होंगे, जिससे वे भारत में बिना किसी प्रतिबंध के रह और काम कर सकेंगे।
- पीएम मोदी की वैश्विक छवि
यह सम्मान पीएम मोदी के वैश्विक नेतृत्व और उनकी ‘भारत पहले’ की विदेश नीति की स्वीकृति का प्रतीक है। त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला परसाद-बिसेसर ने 3 जुलाई 2025 को अपने संबोधन में पीएम मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा, “हम एक ऐसे नेता की उपस्थिति से सम्मानित हैं, जो न केवल प्रोटोकॉल का हिस्सा है, बल्कि दोस्ती का गहरा इशारा है।” उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के वैश्विक वैक्सीन पहल की सराहना की, जिसमें त्रिनिदाद और टोबैगो को 40,000 वैक्सीन खुराकें प्रदान की गईं।
यह पुरस्कार पीएम मोदी का 25वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है। इससे पहले, उन्होंने घाना, गुयाना, डोमिनिका, साइप्रस, श्रीलंका, मॉरीशस, और नाइजीरिया जैसे देशों से सर्वोच्च सम्मान प्राप्त किए हैं। विशेष रूप से, घाना में 2 जुलाई 2025 को उन्हें ‘द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना’ से सम्मानित किया गया था। ये सम्मान उनकी वैश्विक छवि और भारत की कूटनीतिक ताकत को दर्शाते हैं।
हालांकि, इस सम्मान की घोषणा ने त्रिनिदाद और टोबैगो में कुछ विवाद भी खड़ा किया। देश की सबसे बड़ी मुस्लिम संगठन, अंजुमन सुन्नत-उल-जमात एसोसिएशन (ASJA), ने पीएम मोदी को यह सम्मान देने पर आपत्ति जताई। संगठन ने भारत में धार्मिक असहिष्णुता और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित भेदभाव को लेकर चिंता व्यक्त की। ASJA ने प्रधानमंत्री कार्यालय और भारतीय उच्चायोग को पत्र लिखकर इस निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की।
इसके बावजूद, त्रिनिदाद और टोबैगो के हिंदू समुदाय ने इस सम्मान को ऐतिहासिक और गर्व का क्षण बताया। सनातन धर्म महासभा के पूर्व कार्यकारी सदस्य डॉ. देवंत महाराज ने कहा, “यह केवल राजनीति या कूटनीति का मामला नहीं है, बल्कि एक ऐसे समुदाय का पुनर्जागरण है, जो बिखरा हुआ था, लेकिन कभी टूटा नहीं।”
पीएम मोदी की यह यात्रा, जो उनकी पांच देशों की यात्रा का दूसरा चरण थी, ने दोनों देशों के बीच सहयोग को और गहरा करने की दिशा में कई कदम उठाए। उन्होंने त्रिनिदाद और टोबैगो को कैरिबियाई क्षेत्र में पहला देश बनने के लिए बधाई दी, जिसने यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) को अपनाया। इसके अलावा, उन्होंने डिजिटल फाइनेंस, नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा, और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई।
पीएम मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित किया, जो किसी भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा पहली बार किया गया। उन्होंने भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और ऐतिहासिक अनुभवों पर जोर दिया।
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