Saharanpur : 29 अगस्त को सभी ग्रामों में होगा ग्रीन चौपाल का शुभारम्भ, ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में आयोजित होगी ग्रीन चौपाल
जिलाधिकारी ने कहा कि पर्यावरण- अनुकूल जीवन शैली को अपनाने, कृषि वानिकी के सतत् कृषि- वन मॉडल को प्रोत्साहित करने तथा पारम्परिक पर्यावरणीय
सार-
- पर्यावरण एवं वन संरक्षण तथा संवर्धन एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता के दृष्टिगत की गई पहल
- जनपद की प्रत्येक ग्राम पंचायत में शुक्रवार को आयोजित होगी ग्रीन चौपाल
- प्लास्टिक मुक्त ग्राम, पौधारोपण, बच्चों में वृक्षों के प्रति जागरूकता तथा जैविक खेती को भी किया जाएगा प्रोत्साहित
- पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन वर्तमान में सभी के लिए महती आवश्यकता - मनीष बंसल
सहारनपुर : जिलाधिकारी मनीष बंसल ने निर्देश दिये कि सतत् विकास की अवधारणा को जनमानस से जोडने हेतु सभी ग्राम पंचायतों एवं नगरीय निकायों में ग्रीन चौपाल का आयोजन किया जाए। जनपद की प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्रीन चौपाल बनाई जाए। जिसकी अध्यक्षता ग्राम प्रधान द्वारा की जाए। इसके तहत सभी सचिवों का संवेदीकरण किया जाए। पर्यावरण को संरक्षित करने एवं हरियाली बनाने के लिए ग्रीन चौपाल प्रत्येक माह के तीसरे शुक्रवार को आयोजित किया जाए। उन्होने इस माह में आने वाले शुक्रवार दिनांक 29 अगस्त को ग्रीन चौपाल को सभी ग्राम पंचायतों में आयोजित करने के निर्देश दिए। उन्होने कहा कि इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरती जाए। पर्यावरण संरक्षण वर्तमान की महती आवश्यकता है।
जिलाधिकारी ने कहा कि पर्यावरण- अनुकूल जीवन शैली को अपनाने, कृषि वानिकी के सतत् कृषि- वन मॉडल को प्रोत्साहित करने तथा पारम्परिक पर्यावरणीय ज्ञान को पुर्नस्थापित करने का प्रयास करें। पर्यावरण एवं वन के संरक्षण एवं संवर्धन के दृष्टिगत भारत की अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को साकार करने के उद्देश्य से प्लास्टिक मुक्त ग्राम, पौधारोपण करना, बच्चों में वृक्षों के प्रति जागरूकता लाना, जैविक खेती को प्रोत्साहित करना ग्रीन चौपाल स्थानीय स्व-शासन के महत्वपूर्ण अंग ग्राम पंचायत स्तर पर जन-मानस की सहभागिता सुनिश्चित करने की एक संस्थागत पहल है। उन्होने ग्रीन चौपाल के आयोजन के सम्बन्ध में समस्त आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करने के संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए।
ग्रीन चौपाल के तहत ग्राम प्रधान अध्यक्ष रहेंगे। इसके साथ बीट अधिकारी वन विभाग सदस्य सचिव के साथ ही ग्राम पंचायत सचिव, स्वयं सहायता समूह, विद्यालय के अध्यापक, आंगनवाडी कार्यकत्री, रोजगार सेवक, प्रगतिशील कृषक या कृषक, पर्यावरणविद् एवं स्थानीय एनजीओ के प्रतिनिधि, जैव विविधता प्रबन्धन समिति के प्रतिनिधि, समाज के संभ्रान्त जन शामिल रहेंगे।
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