राजगद्दी: उदयपुर सिटी पैलेस में भिड़ा मेवाड़ का राजशाही परिवार, युवराज  लक्ष्यराज और विश्वराज में बड़ा विवाद

राज तिलक के बाद विश्वराज सिंह उदयपुर सिटी पैलेस में स्थित धूणी माता के दर्शन करना चाहते थे। लेकिन वहां के गेट बंद कर दिए गए। चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ और चचेरे भाई लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ संग विश्वराज सिंह मेवाड़ का ऐसा क्या विवाद है कि बात ...

Nov 28, 2024 - 01:23
 0  104
राजगद्दी: उदयपुर सिटी पैलेस में भिड़ा मेवाड़ का राजशाही परिवार, युवराज  लक्ष्यराज और विश्वराज में बड़ा विवाद

By INA News Udaipur.

महाराणा प्रताप जिन्होंने मुगलों से लड़ते हुए अपनी जान गंवा दी। भारत के शीर्ष वीर योद्धा और महाराजा के तौर पर इन्हें आज भी याद किया जाता है। महाराणा प्रताप मेवाड़ राजवंश के राजा थे। एक बार फिर से मेवाड़ राजवंश चर्चा में हैं। इसकी वजह राजगद्दी को लेकर महाराणा प्रताप के वंशजों के बीच की लड़ाई है। उसी उदयपुर के राजघराने में विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक की रस्म को लेकर सोमवार को बवाल हो गया।

राज तिलक के बाद विश्वराज सिंह उदयपुर सिटी पैलेस में स्थित धूणी माता के दर्शन करना चाहते थे। लेकिन वहां के गेट बंद कर दिए गए। चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ और चचेरे भाई लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ संग विश्वराज सिंह मेवाड़ का ऐसा क्या विवाद है कि बात यहां तक बिगड़ गई। राजपूतों का इतिहास ऐसी कई लड़ाईयों से रक्तरंजित रहा है। जब किसी राजवंश के दो भाई ही आपस में गद्दी के लिए लड़ पड़े हों।

महेंद्र सिंह

मौजूदा समय में महाराणा प्रताप के वंशजों के बीच भी ऐसी ही एक लड़ाई शुरू हो गई है। इसमें दो भाई गद्दी पर अपना-अपना दावा कर रहे हैं। ऐसे में जानते हैं कि आखिर गद्दी को लेकर लड़ाई की वजह क्या है? और मेवाड़ पर दावा करने वाले महाराणा प्रताप के वंशज कौन-कौन हैं? उदयपुर में मेवाड़ राजवंश के राजा के तौर पर विश्वराज सिंह मेवाड़ की ताजपोशी सोमवार को की गई।

इसके बाद विश्वराज सिंह के छोटे चाचा अरविंद सिंह और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह ने इस ताजपोशी को गैरकानूनी करार दिया है। इसके बाद से दोनों भाईयों का विवाद सड़क पर आ गया है। राजस्थान में महाराणा प्रताप के वंशज और उदयपुर के राजपरिवार के सदस्य एवं पूर्व सांसद महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बड़े बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ के राजतिलक की रस्म पर सोमवार को बवाल हो गया। राजतिलक को लेकर विश्वराज सिंह और उनके चाचा के परिवार के बीच विवाद बढ़ गया है।

विश्वराज सिंह

महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार ने विश्वराज के राजतिलक पर नाखुशी जताई है। ऐसे में राज तिलक की परंपरा निभाने से रोकने के लिए उदयपुर के सिटी पैलेस के गेट बंद कर दिए गए थे। मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ किला मेवाड़ राजवंश का मुख्य ठिकाना है। इस किले के लिए मुगलों और महाराणा प्रताप के बीच कई जंग हुए।

आज इस किले की खातिर दो भाई आमने सामने हैं। ये दो भाई हैं विश्वराज सिंह और लक्ष्य राज सिंह। विश्वराज सिंह के पिता का नाम महेंद्र सिंह हैं और लक्ष्यराज सिंह के पिता का नाम अरविंद सिंह मेवाड़ है। महेंद्र सिंह अरविंद सिंह के बड़े भाई थे। बता दें कि इन दोनों के पिता का नाम भगवत सिंह था। भगवत सिंह को ही आधिकारिक तौर पर अंतिम महाराणा माना जाता है। क्योंकि मेवाड़ घराने की परंपरा के तहत इन्हें महाराणा घोषित किया गया था।

यह भी पढ़ें: हम मरने के लिए पुलिस में भर्ती नहीं हुए, डिप्टी एसपी अनुज चौधरी का बयान, संभल हिंसा में गोली लगने से हुए थे घायल

आजादी के बाद जब राजशाही खत्म हो गई, तो राजघराने की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए भगवत सिंह ने एक ट्रस्ट बनाया। इसका नाम था 'महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन'। इसी ट्रस्ट के जरिए मेवाड़ राजघराना चलाया जाने लगा। भगवत सिंह ने इस ट्रस्ट की जिम्मेदारी अपने छोटे बेटे अरविंद सिंह को दे दी। वहीं बड़े बेटे महेंद्र सिंह को इस ट्रस्ट से दूर रखा गया। इस बात को लेकर कई बार महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह में विवाद हुआ है। अरविंद सिंह चूंकि ट्रस्ट चलाते हैं, इसलिए उनके बाद उनका बेटा लक्ष्यराज सिंह पर इस ट्रस्ट की जिम्मेदारी आ गई।

लक्ष्यराज सिंह

चूंकि, इसी ट्रस्ट के जरिए राजघराने का संचालन हो रहा है। इसलिए अरविंद सिंह का दावा है कि उनका बेटा लक्ष्यराज सिंह ही मेवाड़ राजवंश की गद्दी का असली हकदार है। मौजूदा समय में सिटी पैलेस के ट्रस्टी विश्वराज सिंह मेवाड़ के चाचा अरविंद सिंह हैं। मेवाड़ के पूर्व राजघराने की नई पीढ़ियों में मालिकाना हक को लेकर विवाद चल रहा है। इनका मैनेजमेंट 9 ट्रस्ट के पास है। राजघराने की गद्दी को संभालने के लिए महाराणा भगवत सिंह ने महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन’ संस्था शुरू की थी। यह संस्था उदयपुर में सिटी पैलेस संग्रहालय चलाती है। इन सभी ट्रस्ट को विश्वराज सिंह के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ और चचेरे भाई लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ही संभालते हैं।

देखें पूरी वंशावली

मेवाड़ में साल 1955 में भगवंत सिंह महाराणा बने। उनके जीवनकाल में ही संपत्ति को लेकर यह विवाद शुरू हो गया था। जब भगवंत सिंह ने मेवाड़ में अपनी पैतृक संपत्तियों को बेचना या लीज पर देना शुरू किया तो यह बात उनके बड़े बेटे महेंद्र सिंह को पसंद नहीं आई। नाराज महेंद्र सिंह ने अपने पिता के खिलाफ केस दायर कर दिया और पैतृक संपत्तियों को हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत बांटने की मांग की। इसके बाद भगवंत सिंह ने 15 मई 1984 को अपनी वसीयत में छोटे बेटे अरविंद सिंह को संपत्तियों का एक्ज्यूक्यूटर बना दिया।

यह भी पढ़ें: SC: सनातन धर्म रक्षा बोर्ड के गठन की मांग वाली याचिका पर विचार करने को सुप्रीम कोर्ट का इनकार

साथ ही महेंद्र सिंह को ट्रस्ट और संपत्ति से बेदखल कर दिया गया। वहीं उसी साल तीन नवंबर को भगवत सिंह का निधन हो गया। अरविंद सिंह ने दस्तूर कार्यक्रम के तहत विश्वराज के एकलिंग नाथ मंदिर और उदयपुर में सिटी पैलेस में जाने के खिलाफ सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। आपसी पारिवारिक विवाद के बीच अरविंद सिंह मेवाड़ और उनके बेटे लक्ष्यराज सिंह ने इसे पूरी तरीके से गैरकानूनी कहा है। अरविंद सिंह मेवाड़ का कहना है कि मेवाड़ राजघराना एक ट्रस्ट के जरिए चलता है, जिसका संचालन उनके पिता ने उन्हें दे रखा है। ऐसे में राजगद्दी का अधिकार मेरे और मेरे बेटे (लक्ष्यराज सिंह) का है। 

विश्वराज सिंह राजसमंद से बीजेपी विधायक भी हैं। यहीं से उनकी पत्नी महिमा कुमारी मौजूदा सांसद हैं। विश्वराज सिंह के पिता महेंद्र सिंह मेवाड़ की मौत के 12 दिन बाद उनके राज्याभिषेक का ऐलान हुआ था। ऐतिहासिक चित्तौड़गढ़ किले में एक पारंपरिक राज्याभिषेक समारोह में औपचारिक रूप से उन्हें मेवाड़ राजवंश का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। विश्वराज सिंह मेवाड़ एकलिंगनाथजी के 77वें दीवान होंगे। 

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow