मानवीय संवेदना: कुत्ते की मौत पर 13वीं कर 1000 लोगों को मृत्यु भोज कराया, अंतिम संस्कार कर निश्छल प्रेम को दी नयी परिभाषा
इलाज के दौरान कुत्ते(Dog) की मौत हो गई जिसके उसे गांव में लाकर दफनाया गया और उज्जैन में शिप्रा किनारे दशाकर्म किया गया। वहीं, सोमवार को विधिवत तेरहवीं करवाई गई जिसके मृत्युभोज(Funeral Feast) में करीब 1000 लो...

By INA News Madhya Pradesh.
मानवीय संवेदनाओं को एक अनूठी परिभाषा देने वाली एक असल कहानी सामने आई है। अक्सर सुना होगा कि कुत्ता अपने मालिक के प्रति वफादार होता है लेकिन यहां सच्चाई कुछ और ही है। इस सच्ची कहानी में एक व्यक्ति ने कुत्ते(Dog) की मौत पर उसका विधिवत अंतिम संस्कार किया और 1000 लोगों को मृत्युभोज(Funeral Feast) कराया। जिसमें जीवन नागर नाम के युवक का जर्मन शेफर्ड कुत्ता तेज सर्दी में अचानक बीमार हो गया। मालिक ने पहले कुत्ते(Dog) का सांरगपुर में इलाज करवाया। जब आराम नहीं मिला तो अपने पालतू कुत्ते(Dog) को लेकर वह कार से भोपाल पहुंचा। लेकिन पशु चिकित्सालय में इलाज के दौरान कुत्ते(Dog) ने दम तोड़ दिया।
इसके बाद जीवन नागर ने अपने सुल्तानिया गांव में लाकर कुत्ते(Dog) को दफनाया और 13वें दिन मृत्युभोज(Funeral Feast) का आयोजन किया। जिसमें एक हजार से अधिक लोगों ने शिरकत की। इतना ही नहीं, मृत्युभोज(Funeral Feast) के पहले मौत के दस दिन बाद उज्जैन की शिप्रा नदी के किनारे दशाकर्म करवाते हुए अपना मुंडन भी करवाया। किसी डॉग के प्रति इंसान की संवेदनशीलता का किस्सा मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में देखने को मिला है। यहां पर जर्मन शेफर्ड डॉग की मौत के बाद उसकी 13वीं की गई और परिवार के सदस्य की तरह शोक पत्रिका के माध्यम से 1000 लोगों को भोजन कराया गया। इसके साथ ही उज्जैन में उसका पिंडदान भी किया गया। सारंगपुर के सुल्तानिया गांव में जीवन नागर का पालतू कुत्ता बीमार हुआ तो पहले सारंगपुर और फिर इलाज के लिए कार से भोपाल लेकर गए जहां पशु चिकित्सालय में इलाज कराया।
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इलाज के दौरान कुत्ते(Dog) की मौत हो गई जिसके उसे गांव में लाकर दफनाया गया और उज्जैन में शिप्रा किनारे दशाकर्म किया गया। वहीं, सोमवार को विधिवत तेरहवीं करवाई गई जिसके मृत्युभोज(Funeral Feast) में करीब 1000 लोगों ने भोजन किया। जीवन नागर ने जर्मन शेफर्ड प्रजाति का यह कुत्ता साल 2018 में भोपाल से खरीदा था। बीते 10 जनवरी को ठंड के कारण बीमार हुआ था। कुत्ते(Dog) की मौत के बाद युवक ने उसे अपने गांव लाकर पूरे सम्मान के साथ दफनाया। लेकिन, यह यहीं खत्म नहीं हुआ। कुत्ते(Dog) के प्रति गहरे लगाव और श्रद्धा के चलते युवक ने धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे दशाकर्म किया। दशाकर्म के साथ ही हिंदू परंपरा अनुसार शांति के मुंडन करवाकर परम्परा निभाई। सोमवार को युवक ने अपने पालतू कुत्ते(Dog) की तेरहवीं का आयोजन किया।
इस मौके पर गांव और आसपास के इलाकों से लगभग 1000 लोगों ने भाग लिया। मृत्युभोज(Funeral Feast) में सभी के लिए भोजन की व्यवस्था की गई थी। आयोजन में शामिल होने वाले लोगों ने युवक के इस कदम की सराहना की और इसे पालतू जानवरों के प्रति प्यार और जिम्मेदारी का अद्भुत उदाहरण बताया। बताया जा रहा है कि सुल्तानिया निवासी जीवन नागर ने साल 2018 में जर्मन शेफर्ड प्रजाति का यह कुत्ता भोपाल से खरीदा था, जो उनके परिवार में एक सदस्य की तरह से रह रहा था। उस पालतू कुत्ते(Dog) के अचानक 10 जनवरी को ठंड के कारण प्लेटलेट्स घट गए और गंभीर बीमार हो गया।उसकी देखभाल के लिए हर संभव प्रयास किया गया, लेकिन जब स्थानीय स्तर पर बीमार कुत्ते(Dog) के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ तो उसे कार से भोपाल ले जाकर वहां पशु चिकित्सालय में दिखाया, लेकिन कुत्ते(Dog) की मौत हो गई। मालिक जीवन नागर ने कुत्ते(Dog) को अपने गांव में सम्मान के साथ दफनाया दिया। मालिक जीवन नागर का कुत्ते(Dog) के प्रति गहरा लगाव था। इसके चलते उसने धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे दशाकर्म किया। राजगढ़ जिले की सुल्तानिया गांव के रहने वाले जीवन नागर ने जानकारी देते हुए बताया कि हमने रोमी का अंतिम संस्कार किया। रोमी उनके परिवार का सदस्य बन गया था, इसलिए उन्होंने परिवार के सदस्य की तरह उसकी दशकर्म भी किया और तेरहवीं पर आसपास के गांव के लोगों को भोजन भी कराया।
जीवन नागर ने कहा कि रोमी से उनका पूरा परिवार प्रेम करता था, इसलिए उनके मन में रोमी के प्रति कुछ करने की इच्छा थी। उन्होंने अपनी इच्छा पूर्ण करते हुए जानवर और इंसान के बीच के अटूट प्रेम को दर्शाया है। राजगढ़ जिले के रहने वाले जीवन नगर ने आगे ये भी कहा कि रोमी का कर्मकांड करने के लिए वे उज्जैन पहुंचे और उन्होंने विधि विधान के साथ तर्पण और पिंडदान किया। इसके अलावा उन्होंने सर के बाल भी मुंडवाए और पगड़ी का कार्यक्रम भी आयोजित किया। पूरे कार्यक्रम में उनके परिवार के सदस्य और रिश्तेदार भी शामिल हुए। यह घटना न केवल सुल्तानिया गांव बल्कि पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है। कुछ लोगों ने इसे अतिशयोक्ति माना, तो कुछ ने युवक के इस प्रेम को आदर्श बताया। कुत्ते(Dog) की मौत के बाद किए गए इस तरह के आयोजन ने कई सवाल भी खड़े किए हैं। हालांकि, युवक का कहना है कि उसके लिए उसका कुत्ता सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि परिवार का सदस्य था।
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