Deoband News: मदरसों को सरकारी वित्तीय सहायता पर बैन की मांग से उलमा खफा।
बोले-एनसीपीसीआर के चेयरमैन ने मदरसों को सहायता नहीं दिए जाने की उठाई है मांग...
देवबंद। जमीयत दावतुल मुसलीमीन के संरक्षक व प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की मदरसों को सरकारी वित्तीय सहायता न दिए जाने की मांग पर कड़ा ऐतराज जताया है।
रविवार को जारी बयान में मौलाना कारी इस्हाक गोरा ने कहा कि देश के मदरसे सदियों से भारत की सांस्कृतिक और शैक्षिक धरोहर का अभिन्न अंग रहे हैं। एनसीपीसीआर यह अच्छी तरह समझ ले कि मदरसों ने दीनी शिक्षा के साथ ही समाज में देश के प्रति प्रेम, नैतिकता, अनुशासन और मानवता के मूल्यों का प्रसार किया है। आज मदरसे आधुनिक विद्यालयों से कम नहीं है। इनमें विज्ञान, गणित और कम्प्यूटर सहित सामाजिक अध्ययन की शिक्षा भी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि मदरसों पर हमेशा सवाल खड़ा करने वाले आयोग को यह भी समझ लेना चाहिए कि देश में अल्पसंख्यकों को संविधान के अनुच्छेद-30 के तहत शैक्षिक संस्थाएं स्थापित करने और उनके संचालन का अधिकार है।
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गौरतलब है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के चेयरमैन प्रियंक कानूनगो ने देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने तर्क दिया है कि मदरसे बच्चों को बुनियादी और आधुनिक शिक्षा देने में विफल रहे हैं। इसलिए इनको सहायता देने का कोई औचित्य नहीं बैठता।
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