CM की बड़ी कार्रवाई- 2 SP, 1 IG और DIG पर गिरी गाज, महिला पुलिस अधिकारी के परिवार के साथ दुर्व्यवहार करने पर सीएम ने लिया एक्शन।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने चार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को उनके पदों से हटाने का आदेश जारी किया, जिससे प्रशासनिक और पुलिस ....
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने चार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को उनके पदों से हटाने का आदेश जारी किया, जिससे प्रशासनिक और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। इनमें कटनी के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अभिजीत रंजन, दतिया के एसपी वीरेंद्र कुमार मिश्रा, चंबल रेंज के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) सुशांत कुमार सक्सेना, और उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) कुमार सौरभ शामिल हैं। यह कार्रवाई कटनी में एक महिला पुलिस अधिकारी के परिवार के साथ कथित दुर्व्यवहार और दतिया में हवाई अड्डे के उद्घाटन के दौरान सार्वजनिक रूप से अनुचित व्यवहार के आरोपों के बाद की गई। मुख्यमंत्री ने इसे "लोकसेवा में खेदजनक व्यवहार" करार देते हुए तत्काल प्रभाव से इन अधिकारियों को पुलिस मुख्यालय, भोपाल में स्थानांतरित कर दिया। इस घटना ने मध्य प्रदेश में पुलिस सुधार और प्रशासनिक जवाबदेही के मुद्दों को फिर से चर्चा में ला दिया है।
- कटनी में विवाद: महिला अधिकारी के परिवार के साथ दुर्व्यवहार का आरोप
कटनी में यह विवाद तब शुरू हुआ जब कटनी की तत्कालीन सिटी एसपी (सीएसपी) ख्याति मिश्रा के पति, दमोह के तहसीलदार शैलेंद्र बिहारी शर्मा, ने कटनी पुलिस और विशेष रूप से एसपी अभिजीत रंजन पर गंभीर आरोप लगाए। शर्मा ने अपनी शिकायत में दावा किया कि उनकी पत्नी ख्याति मिश्रा, जो पहले कटनी में तैनात थीं, और उनके परिवार के सदस्यों को 31 मई 2025 को कटनी कोतवाली थाने में हिरासत में लिया गया और उनके साथ मारपीट की गई। शर्मा ने यह भी आरोप लगाया कि यह कार्रवाई ख्याति मिश्रा के तबादले के बाद बदले की भावना से की गई।
शिकायत के अनुसार, यह घटना ख्याति मिश्रा के सरकारी आवास पर शुरू हुई, जहां उनके पति और परिवार के अन्य सदस्यों को पुलिस ने हिरासत में लिया। शर्मा ने दावा किया कि पुलिस ने न केवल उनके साथ दुर्व्यवहार किया, बल्कि मीडिया को इस घटना को कवर करने से भी रोका। इस मामले ने स्थानीय स्तर पर तूल पकड़ा और सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा हुई। कई लोगों ने इसे पुलिस की मनमानी और दुरुपयोग का उदाहरण बताया।
हालांकि, कटनी एसपी अभिजीत रंजन ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि यह एक पारिवारिक विवाद का मामला था, जिसमें पुलिस ने नियमानुसार कार्रवाई की। लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस मामले को गंभीरता से लिया और इसे लोकसेवा में अनुचित व्यवहार का उदाहरण माना।
- दतिया में हवाई अड्डे पर विवाद: सार्वजनिक अनुशासनहीनता
दूसरी ओर, दतिया में हवाई अड्डे के उद्घाटन समारोह के दौरान एक और विवाद सामने आया, जिसमें चंबल रेंज के आईजी सुशांत कुमार सक्सेना, डीआईजी कुमार सौरभ, और दतिया के एसपी वीरेंद्र कुमार मिश्रा शामिल थे। यह समारोह 31 मई 2025 को आयोजित किया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। समारोह के दौरान भीड़ नियंत्रण को लेकर व्यवस्था में खामियां सामने आईं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार, आईजी सक्सेना ने एसपी मिश्रा को भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था को लेकर कुछ टिप्पणी की, जिसके जवाब में मिश्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। यह विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों अधिकारियों के बीच सार्वजनिक रूप से तीखी बहस हुई, जो लगभग शारीरिक टकराव तक पहुंच गई। डीआईजी कुमार सौरभ, जो उस समय मौके पर मौजूद थे, भी इस स्थिति को नियंत्रित करने में असफल रहे।
इस घटना की खबर मुख्यमंत्री तक पहुंची, जिन्होंने इसे पुलिस बल में अनुशासनहीनता का गंभीर मामला माना। मुख्यमंत्री ने X पर अपने बयान में कहा, "कटनी के पुलिस अधीक्षक और दतिया के पुलिस अधीक्षक तथा आईजी, डीआईजी चंबल रेंज द्वारा ऐसा व्यवहार किया गया जो लोकसेवा में खेदजनक है। इस कारण मैंने इन सभी को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्देश दिए हैं।"
- नए नियुक्तियों की घोषणा
चारों अधिकारियों को हटाए जाने के बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने तत्काल प्रभाव से नए अधिकारियों की नियुक्ति की। दतिया के नए एसपी के रूप में सूरज वर्मा को नियुक्त किया गया, जबकि कटनी में अभिनव विश्वकर्मा ने एसपी का पदभार संभाला। चंबल रेंज में साचिन अतुलकर को नया आईजी और सुनील कुमार जैन को डीआईजी नियुक्त किया गया। ये नियुक्तियां पुलिस बल में अनुशासन और विश्वसनीयता को बहाल करने के उद्देश्य से की गई हैं।
- मुख्यमंत्री मोहन यादव का सख्त रुख
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपने कार्यकाल में कई बार प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। यह पहली बार है जब उन्होंने एक साथ चार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को हटाया है। इससे पहले, अगस्त 2024 में, कटनी रेलवे पुलिस (जीआरपी) स्टेशन पर एक दलित महिला और उसके नाबालिग पोते के साथ मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद, यादव ने छह पुलिसकर्मियों को निलंबित किया था। इसके अलावा, जनवरी 2024 में, शाजापुर के कलेक्टर किशोर कन्याल को एक ट्रक ड्राइवर के साथ अभद्र व्यवहार के लिए निलंबित किया गया था। उसी महीने, उमरिया में एक एसडीएम और उनके सहयोगियों को दो लोगों के साथ मारपीट के लिए निलंबित किया गया था।
यादव का यह सख्त रुख उनकी सरकार की "शून्य सहनशीलता" नीति को दर्शाता है, खासकर जब बात लोकसेवा में अनुशासन और जवाबदेही की हो। उनके इस कदम को कई लोगों ने प्रशासनिक सुधारों की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना है, जबकि कुछ ने इसे पुलिस बल के मनोबल पर असर डालने वाला बताया।
- सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस कार्रवाई ने सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में व्यापक चर्चा छेड़ दी है। X पर #MPPolice और #MohanYadav जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई यूजर्स ने मुख्यमंत्री के इस कदम की सराहना की और इसे पुलिस सुधारों की दिशा में एक साहसिक कदम बताया। एक यूजर ने लिखा, "मोहन यादव ने सही समय पर सही कदम उठाया। पुलिस को यह समझना होगा कि वे जनता की सेवा के लिए हैं, न कि दुरुपयोग के लिए।"
विपक्षी दल कांग्रेस ने इस कार्रवाई को अपर्याप्त बताते हुए पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी ने X पर लिखा, "कटनी में पुलिस द्वारा एक तहसीलदार और उनकी पत्नी के परिवार के साथ दुर्व्यवहार शर्मनाक है। केवल तबादला काफी नहीं, इस मामले में गहन जांच और कठोर सजा की जरूरत है।"
- विश्लेषण और भविष्य के निहितार्थ
यह कार्रवाई मध्य प्रदेश में पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश देती है। कटनी में महिला पुलिस अधिकारी के परिवार के साथ कथित दुर्व्यवहार और दतिया में सार्वजनिक अनुशासनहीनता के मामले पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं। विशेष रूप से, कटनी का मामला यह दर्शाता है कि व्यक्तिगत विवाद और तबादले जैसे मुद्दे पुलिस बल के भीतर अनुशासन और पेशेवर रवैये को प्रभावित कर सकते हैं।
दतिया हवाई अड्डे की घटना ने भी पुलिस बल में आंतरिक समन्वय और नेतृत्व की कमी को उजागर किया है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब ऐसी घटनाएं प्रधानमंत्री जैसे उच्च पदस्थ व्यक्तियों की मौजूदगी में होती हैं।
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