Delhi AQI : दिल्ली पर ठंड और प्रदूषण का दोहरा प्रहार- दो साल का रिकॉर्ड टूटा, AQI 'बहुत खराब' श्रेणी में
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में मौसम के बदलाव ने लोगों को गर्म कपड़ों की तलाश में भेज दिया है। गुरुवार को दिन का अधिकतम तापमान 31 डिग्री के आसपास रहा, लेकिन
दिल्ली की सर्द हवाओं ने अचानक तापमान को नीचे गिरा दिया है, जबकि वायु प्रदूषण ने शहर को घुटन भरी हवा में लपेट लिया है। भारत मौसम विभाग के अनुसार, शुक्रवार रात को दिल्ली का न्यूनतम तापमान 17 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया, जो पिछले दो सालों में अक्टूबर का सबसे कम तापमान है। यह सामान्य से 0.2 डिग्री कम है और मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि यह सर्दी की शुरुआत का संकेत है। उधर, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि शनिवार सुबह शहर का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI 318 पर पहुंच गया, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है। यह संख्या स्वास्थ्य के लिए खतरा बनी हुई है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए।
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में मौसम के बदलाव ने लोगों को गर्म कपड़ों की तलाश में भेज दिया है। गुरुवार को दिन का अधिकतम तापमान 31 डिग्री के आसपास रहा, लेकिन रात होते ही ठंड ने दस्तक दे दी। मौसम विभाग ने बताया कि उत्तर-पश्चिमी हवाओं के कारण तापमान में यह गिरावट आई है। शनिवार को भी सुबह धुंध छाई रही और तापमान 17 डिग्री के आसपास ही रहा। अगले कुछ दिनों में हल्की धुंध और ठंडी सुबहें जारी रहने की संभावना है। विशेषज्ञों के मुताबिक, हिमालय की निकटता के कारण दिल्ली में सर्दियों में ठंड का असर ज्यादा पड़ता है, जो हवा की ठंडक से और बढ़ जाता है। दो साल पहले, 2023 के अक्टूबर में तापमान 18 डिग्री से ऊपर ही रहा था, लेकिन इस बार जल्दी ही सर्द लहर ने रिकॉर्ड तोड़ दिया।
ठंड के साथ-साथ प्रदूषण की समस्या ने दिल्ली को और परेशान कर दिया है। दिवाली के बाद से ही पटाखों के धुएं ने हवा को जहरीला बना दिया। मंगलवार को AQI 429 तक पहुंच गया था, जो दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली को शीर्ष पर ले गया। इसके बाद थोड़ी सुधार की उम्मीद थी, लेकिन शुक्रवार को 293 और शनिवार को 318 पर पहुंच गया। एनसीआर के शहर जैसे नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद में भी AQI 200 से ऊपर है। आनंद विहार में सबसे ज्यादा 318, जबकि वजीरपुर में 400 के करीब दर्ज किया गया। यह स्तर सांस लेने में कठिनाई पैदा करता है और आंखों में जलन, खांसी जैसी समस्याएं बढ़ा देता है।
प्रदूषण के मुख्य कारणों में वाहनों का धुआं, निर्माण कार्यों की धूल, पराली जलाना और मौसम की स्थिर हवाएं शामिल हैं। निर्णय समर्थन प्रणाली के अनुसार, परिवहन उत्सर्जन प्रदूषण का 17.8 प्रतिशत योगदान दे रहा है। पंजाब और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाएं बढ़ रही हैं, जहां गुरुवार को 28 और 13 मामले दर्ज हुए। कम हवा की गति के कारण प्रदूषक हवा में फंस जाते हैं और नीचे की सतह पर जमा हो जाते हैं। ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान यानी GRAP के दूसरे चरण को सक्रिय कर दिया गया है, जिसमें निर्माण पर रोक, पुराने वाहनों पर पाबंदी और धूल नियंत्रण के उपाय शामिल हैं।
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने क्लाउड सीडिंग का ट्रायल बुराड़ी में किया, जो कृत्रिम वर्षा पैदा करने का प्रयास है। अगर मौसम अनुकूल रहा, तो 29 अक्टूबर को पहली कृत्रिम बारिश हो सकती है। मौसम विभाग ने सोमवार और मंगलवार को हल्की बारिश या बूंदाबांदी की भविष्यवाणी की है, जो प्रदूषण कम करने में मददगार साबित हो सकती है। एयर क्वालिटी अर्ली वॉर्निंग सिस्टम के अनुसार, अगले सप्ताह AQI 'खराब' से 'बहुत खराब' के बीच रहेगा।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इस मौसम में बाहर कम निकलें। N95 मास्क पहनें, घरों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और गर्म पानी पिएं। अस्पतालों में सांस संबंधी रोगियों की संख्या बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार, AQI 50 से नीचे ही सुरक्षित है, लेकिन दिल्ली में यह 15 गुना ज्यादा है। ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े, गर्म भोजन और व्यायाम जरूरी है।
दिल्ली के निवासियों को यह दोहरा संकट हर साल झेलना पड़ता है। सर्दियों में ठंड और प्रदूषण का मिश्रण शहर को कठिन बनाता है। सरकारें प्रयास कर रही हैं, लेकिन जन जागरूकता ही असली हल है। पराली जलाने के विकल्प, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा और हरित पटाखों का उपयोग जरूरी है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में राहत मिलेगी।
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