Hardoi : पुलिस हिरासत में मौत के बाद हंगामा, ग्रामीणों ने किया कोतवाली का घेराव, कई किलोमीटर लंबा जाम लगा
कई किलोमीटर तक सड़क पर गाड़ियों की आवाजाही प्रभावित है। परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। मौके पर भारी
हरदोई :
उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के शाहाबाद कोतवाली क्षेत्र में 31 अगस्त 2025 की रात एक युवक की पुलिस हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इस घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। मृतक की पहचान अहमदनगर गांव के निवासी रवि राजपूत (20) के रूप में हुई है। रवि पर एक 16 साल की नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर भगाने का आरोप था। इस घटना के बाद गुस्साए परिजनों और ग्रामीणों ने शाहाबाद कोतवाली का घेराव कर कोतवाली गेट पर शव रखकर लखनऊ-पलिया हाइवे को जाम कर दिया। सोमवार, 1 सितंबर 2025 को सुबह से शुरू हुआ यह हंगामा कई घंटों तक चला, जिससे हाइवे पर कई किलोमीटर तक वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल और पीएसी को तैनात किया गया है। इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें गुस्साए ग्रामीणों और परिजनों को कोतवाली के बाहर प्रदर्शन करते देखा जा सकता है।
यह घटना 28 अगस्त 2025 को शुरू हुई, जब शाहाबाद थाना क्षेत्र के निवासी रामप्रसाद ने अपनी 16 साल की नाबालिग बेटी को बहला-फुसलाकर भगाने का आरोप रवि राजपूत पर लगाते हुए कोतवाली में शिकायत दर्ज की थी। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए नाबालिग लड़की को बरामद कर लिया और रवि को हिरासत में ले लिया। रवि को पूछताछ के लिए कोतवाली लाया गया था। पुलिस के अनुसार, रविवार रात करीब 7:50 बजे रवि की अचानक तबीयत बिगड़ गई। उसे तुरंत शाहाबाद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां डॉक्टर विक्रम सिंह ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस का दावा है कि रवि ने कोतवाली परिसर के शौचालय में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। हालांकि, परिजनों ने इस दावे को खारिज करते हुए पुलिस पर हत्या का गंभीर आरोप लगाया है।
परिजनों का कहना है कि रवि को पांच दिन तक कोतवाली में रखा गया था और उसे जेल नहीं भेजा गया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने नाबालिग लड़की के परिवार से तीन लाख रुपये लेकर रवि की हत्या कर दी। गुस्साए परिजनों और सैकड़ों ग्रामीणों ने रवि का शव लेकर कोतवाली का घेराव शुरू कर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने लखनऊ-पलिया हाइवे पर जाम लगा दिया, जिससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया। हाइवे पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, और यात्रियों को घंटों तक परेशानी का सामना करना पड़ा। ग्रामीणों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और न्याय की मांग की।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अधीक्षक (एसपी) नीरज कुमार जादौन और अपर पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी) मार्तंड प्रकाश सिंह कोतवाली पहुंचे। एसपी ने परिजनों से मुलाकात की और मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि शव का पोस्टमार्टम डॉक्टरों के पैनल द्वारा वीडियोग्राफी के साथ कराया जाएगा, और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दिशा-निर्देशों का पालन किया जाएगा। कोतवाली में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज को भी सुरक्षित किया गया है, जिसकी जांच की जाएगी। इसके अलावा, मृतक के पिता की तहरीर पर विवेचक उपनिरीक्षक वरुण कुमार शुक्ला, डायल 112 के दो पुलिसकर्मियों, अन्य पुलिसकर्मियों और नाबालिग लड़की के परिजनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उपनिरीक्षक वरुण कुमार शुक्ला को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।
परिजनों और ग्रामीणों का गुस्सा इस बात को लेकर भी है कि पुलिस ने रवि को हिरासत में लेने के बाद उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया। उनका कहना है कि रवि को पांच दिन तक कोतवाली में रखा गया, लेकिन उसे मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं किया गया और न ही जेल भेजा गया। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने रवि के साथ मारपीट की, जिसके कारण उसकी मौत हुई। इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली और हिरासत में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शाहाबाद कोतवाली में पहले भी पुलिस की कार्यशैली को लेकर सवाल उठ चुके हैं। हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक द्वारा एक पीड़ित के साथ बदसलूकी करते देखा गया था। इस घटना ने पुलिस महकमे की छवि को और धक्का पहुंचाया है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस की लापरवाही और दबंगई के कारण इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने मांग की है कि रवि की मौत की निष्पक्ष जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों को कड़ी सजा दी जाए।
इस हादसे ने पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। हाइवे पर जाम के कारण कई घंटों तक यातायात बाधित रहा। पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारी दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे। कई घंटों की बातचीत के बाद पुलिस के आश्वासन पर जाम हटाया गया, लेकिन परिजन और ग्रामीण शव का अंतिम संस्कार करने को तैयार नहीं थे। अंततः, पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा, और जांच की प्रक्रिया शुरू की।
उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत में मौत की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले, अक्टूबर 2024 में लखनऊ के विकासनगर में अमन गौतम नामक युवक की हिरासत में मौत के बाद परिजनों ने हंगामा किया था। इसी तरह, हरदोई के बिलग्राम थाना क्षेत्र में भी पुलिस पर एक व्यक्ति को पीटकर मारने का आरोप लगा था। इन घटनाओं ने पुलिस की कार्यप्रणाली और हिरासत में सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं। शाहाबाद की इस घटना ने एक बार फिर पुलिस प्रशासन की जवाबदेही पर चर्चा छेड़ दी है।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में कोतवाली के बाहर भारी भीड़ और गुस्साए ग्रामीणों को देखा जा सकता है। लोग पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं और न्याय की मांग कर रहे हैं। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे प्रदेश में पुलिस की कार्यशैली को लेकर बहस छेड़ दी है। लोग सोशल मीडिया पर इस घटना की निंदा कर रहे हैं और सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
पुलिस प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई थानों की पुलिस और पीएसी को तैनात किया है। एसपी ने कहा कि मामले की जांच पूरी पारदर्शिता के साथ की जाएगी, और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। फिलहाल, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है, जो रवि की मौत के कारणों को स्पष्ट करेगी।
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