Hardoi: 28 साल बाद मिला न्याय- बंधक बनाकर सामूहिक दुष्कर्म की घटना में दरोगा सहित 3 को 10-10 साल की सजा
बताया था कि उसकी पुत्री (13) 24 अगस्त को दिन में 12 बजे लघुशंका के लिए घर से गई थी। गांव के ही राजाराम ने उसे अपने घर में बंधक बना लिया था। पुत्री को तलाशने के दौरान राजाराम के घर से आवाजें आने पर वहां दस्तक दी गई थी, तब पुत्री वहीं मिली। इ...
Hardoi Court News.
करीब 28 साल पहले हुई बंधक बनाकर सामूहिक दुष्कर्म करने की घटना में विवेचक दरोगा सहित दो सगे भाइयों को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है। सिर्फ बंधक बनाए जाने का आरोप सिद्ध होने पर एक अभियुक्त काे नौ माह की सजा सुनाई गई है। कुल 23 हजार रुपये का जुर्माना भी सभी आरोपियों पर हुआ है। जुर्माने की आधी रकम पीड़िता को देने के आदेश भी अपर जिला जज (एफटीसी महिला) सुनील कुमार सिंह ने दिए हैं। पुलिस ने पिता के खिलाफ दुष्कर्म के आरोप में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके बाद जब गवाही का क्रम सुनवाई के दौरान आया तो किशोरी ने 10 अप्रैल 2002 को बताया कि वह लघुशंका के लिए गई थी तो गांव के ही राजाराम, रामचंद्र, रामलड़ैते ने उसे पकड़ लिया था। राजाराम के घर में बंधक बना लिया था। रामचंद्र और राजाराम ने उसके साथ दुष्कर्म किया था। इसके बाद बाबूराम के घर में बंधक बनाकर रखा।
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इसी दौरान थाने में तैनात तत्कालीन उपनिरीक्षक कुलपतिराम वहां आए और उसे थाने ले जाकर नौ दिन रखा। वहीं, किशोरी के साथ दुष्कर्म भी किया। इसके बाद उसे चठिया के अवधेश सिंह के घर में रखा। यहां अवधेश ने भी उसके साथ दुष्कर्म किया। मझिला थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी व्यक्ति ने 28 अगस्त 1996 काे रिपोर्ट दर्ज कराई थी। बताया था कि उसकी पुत्री (13) 24 अगस्त को दिन में 12 बजे लघुशंका के लिए घर से गई थी। गांव के ही राजाराम ने उसे अपने घर में बंधक बना लिया था। पुत्री को तलाशने के दौरान राजाराम के घर से आवाजें आने पर वहां दस्तक दी गई थी, तब पुत्री वहीं मिली। इसी दौरान राजाराम ने जान माल की धमकी दी थी। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने किशोरी का बयान 19 अक्तूबर 1996 को जज के सामने कराया था। इसमें किशोरी ने अपने पिता पर ही दुष्कर्म करने का आरोप लगा दिया था। न्यायालय में मामला पहुंचने के बाद 28 साल में 430 बार प्रकरण की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कुल आठ गवाह पेश किए गए। इसके अलावा बड़ी संख्या में लिखित साक्ष्य भी पेश किए गए।
किशोरी ने बयानों के दौरान बताया था कि घटना के विवेचक कुलपतिराम ने आरोपियों के साथ मिलकर उसे धमकाया था। कहा था कि न्यायालय में पिता पर ही दुष्कर्म करने की बात कहनी है। ऐसा न किया तो पिता की हत्या कर देंगे। किशोरी से दुष्कर्म की वारदात में तत्कालीन पुलिस कर्मियों ने जमकर हीलाहवाली की। किशोरी के 164 के तहत दिए गए बयान के आधार पर उसके पिता को जेल भेज दिया था, लेकिन पीड़िता का मेडिकल कराया ही नहीं। जमानत पर बाहर आए पिता ने तत्कालीन डीआईजी से गुहार लगाई और तब घटना के 11 माह बाद पुलिस ने किशोरी का मेडिकल कराया था। इसमें सामूहिक दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी।
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