Muzaffarnagar : बजरंग दल पर घर में घुसकर ह्त्या करने संबंधी अफवाह का वीडियो किया था वायरल, सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश में तीन अभियुक्त गिरफ्तार
अभियुक्तों से गहन पूछताछ और साक्ष्यों के विश्लेषण से कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए। जांच में पाया गया कि वायरल वीडियो वास्तव में अप्रैल 2024 में पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़
मुजफ्फरनगर : जिले में पुलिस ने एक सनसनीखेज आतंकी साजिश का भंडाफोड़ किया है, जो कांवड़ यात्रा के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगे और आतंकवादी हमले भड़काने की योजना थी। ककरौली थाना क्षेत्र में तीन अभियुक्तों नदीम, मनशेर, और रहीस को गिरफ्तार किया गया है, जो व्हाट्सएप ग्रुपों के जरिए फर्जी और भड़काऊ वीडियो व ऑडियो वायरल कर रहे थे। इस साजिश का मकसद सामाजिक सौहार्द बिगाड़ना और लोगों को उग्रवाद की ओर आकर्षित करना था। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अभियुक्तों से तीन मोबाइल फोन बरामद किए और उनके खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया।
मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश का एक संवेदनशील जिला, कांवड़ यात्रा के दौरान विशेष सुरक्षा व्यवस्था के अंतर्गत था। पुलिस, एटीएस (आतंकवाद निरोधी दस्ता), और आरएएफ (रैपिड एक्शन फोर्स) की तैनाती के साथ-साथ सोशल मीडिया पर कड़ी निगरानी रखी जा रही थी। इस दौरान, ककरौली थाना पुलिस को खुफिया सूचना मिली कि कुछ लोग 'ककरौली युवा एकता' नामक व्हाट्सएप ग्रुप पर एक भयावह वीडियो और ऑडियो वायरल कर रहे थे। वीडियो में एक घर में महिला और छोटे बच्चों की लाशें खून में लथपथ दिखाई गई थीं। साथ ही, ऑडियो में दावा किया गया कि यह घटना मुरादाबाद जिले के मंसूरपुर थारक नंगला गांव की है, जहां बजरंग दल के लोग मुस्लिम घरों में घुसकर हत्याएं कर रहे हैं। ऑडियो में यह भी कहा गया कि कई गांवों में मुसलमानों की हत्या हो रही है और इस वीडियो को अधिक से अधिक शेयर करने की अपील की गई।
इस सूचना पर तत्काल कार्रवाई करते हुए ककरौली पुलिस ने एक विशेष टीम गठित की। जांच में पता चला कि यह वीडियो और ऑडियो एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा थे, जिसका उद्देश्य पश्चिमी उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक नफरत और हिंसा भड़काना था। पुलिस ने तुरंत अभियुक्तों नदीम (25 वर्ष), मनशेर (45 वर्ष), और रहीस उर्फ फुरकान (35 वर्ष) को ककरौली से गिरफ्तार कर लिया। उनके कब्जे से तीन मोबाइल फोन बरामद किए गए, जिनका उपयोग इस भड़काऊ सामग्री को वायरल करने के लिए किया गया था।
पुलिस ने इस मामले में ककरौली थाने में मुकदमा संख्या 111/2025 दर्ज किया। मुकदमे में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराएं 55, 61(2), 103(2), 113(3), 147, 152, 196, 197, 299, 351(3), और 353(2) शामिल की गईं। इसके अलावा, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) 1967 की धारा 13 और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 67 के तहत भी मामला दर्ज किया गया। ये धाराएं साम्प्रदायिक नफरत फैलाने, दंगे भड़काने, आतंकवादी साजिश, और सोशल मीडिया के दुरुपयोग से संबंधित हैं।
अभियुक्तों से गहन पूछताछ और साक्ष्यों के विश्लेषण से कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए। जांच में पाया गया कि वायरल वीडियो वास्तव में अप्रैल 2024 में पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ जिले की एक घटना से संबंधित था, जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी और सात बच्चों की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी थी। इस वीडियो को जानबूझकर मुरादाबाद की घटना के रूप में प्रस्तुत किया गया ताकि एक विशेष समुदाय को भड़काया जा सके। साजिश का समय सावन के महीने के दूसरे सोमवार को चुना गया, जब कांवड़ यात्रा अपने चरम पर थी। इसका मकसद साम्प्रदायिक तनाव पैदा करना, लोगों को उग्रवाद और आतंकवाद की ओर आकर्षित करना, और सामाजिक सौहार्द को नष्ट करना था।
पुलिस को यह भी पता चला कि अभियुक्तों का इरादा लोगों को भड़काकर "लोन वुल्फ" (अकेले हमलावर) जैसे आतंकवादी हमलों को अंजाम देना था। यह साजिश केवल मुजफ्फरनगर तक सीमित नहीं थी। भड़काऊ सामग्री को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुपों में वायरल किया गया था। इन ग्रुपों में शामिल थे:
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KHIDMAT ABBASI (मेरठ, लगभग 450 सदस्य)
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PROUD INDIAN MUSLIM (मुरादाबाद, लगभग 450 सदस्य)
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MUSLIM SAMAJ ZINDABAD (मुजफ्फरनगर, लगभग 150 सदस्य)
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ALL INDIA EMPLOYER GROUP (लगभग 850 सदस्य)
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KAKRAULLI YUVA EKTA (मुजफ्फरनगर, लगभग 150 सदस्य)
पुलिस अन्य राज्यों और जिलों के व्हाट्सएप ग्रुपों की भी जांच कर रही है।
पुलिस ने अभियुक्तों से तीन मोबाइल फोन बरामद किए, जिनका उपयोग भड़काऊ सामग्री वायरल करने के लिए किया गया था। इन फोनों का तकनीकी और फोरेंसिक विश्लेषण किया जाएगा। साथ ही, वायरल ऑडियो का वॉयस एनालिसिस भी किया जाएगा ताकि साजिश में शामिल अन्य लोगों की पहचान हो सके। पुलिस इस साजिश के "फॉरवर्ड और बैकवर्ड लिंकेज" की जांच कर रही है, ताकि इस नेटवर्क में शामिल सभी व्यक्तियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जा सके। प्रारंभिक जांच में यह संदेह है कि इस साजिश में कुछ असामाजिक तत्वों, राष्ट्रविरोधी संगठनों, आतंकी संगठनों, और संभवतः पाकिस्तानी एजेंसियों की संलिप्तता हो सकती है।
अभियुक्तों का विवरण
गिरफ्तार अभियुक्तों का विवरण इस प्रकार है:
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नदीम, पुत्र सगीर, उम्र 25 वर्ष, निवासी ककरौली, थाना ककरौली, मुजफ्फरनगर। शिक्षा: कक्षा 5, व्यवसाय: मजदूरी/सब्जी विक्रेता।
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मनशेर, पुत्र शफीक, उम्र 45 वर्ष, निवासी ककरौली, थाना ककरौली, मुजफ्फरनगर। शिक्षा: कक्षा 6, व्यवसाय: कबाड़ी।
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रहीस उर्फ फुरकान, पुत्र सगीर, उम्र 35 वर्ष, निवासी ककरौली, थाना ककरौली, मुजफ्फरनगर। शिक्षा: कक्षा 5, व्यवसाय: कपड़े/बर्तन की फेरी।
ये अभियुक्त सामान्य पेशे से जुड़े थे, जो संभवतः उनकी गतिविधियों के लिए एक आवरण था।
यह घटना सोशल मीडिया के दुरुपयोग और फर्जी जानकारी के जरिए साम्प्रदायिक नफरत फैलाने की गंभीरता को उजागर करती है। कांवड़ यात्रा जैसे धार्मिक आयोजन के दौरान ऐसी साजिशें सामाजिक सौहार्द को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं। इस साजिश का उद्देश्य न केवल दंगे भड़काना था, बल्कि भोले-भाले लोगों को आतंकवाद की ओर आकर्षित करना भी था। पुलिस ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली भड़काऊ सामग्री पर ध्यान न दें और ऐसी सामग्री को बिना आधिकारिक पुष्टि के आगे न भेजें। ऐसा करना कानूनी अपराध है, और इसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस ने लोगों से यह भी अनुरोध किया है कि किसी भी संदिग्ध सामग्री को तुरंत पुलिस के संज्ञान में लाएं। यह सामाजिक एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी है।
मुजफ्फरनगर पुलिस की त्वरित और सतर्क कार्रवाई ने एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम कर दिया, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक हिंसा और आतंकवादी हमलों का कारण बन सकती थी। तीन अभियुक्तों की गिरफ्तारी और मोबाइल फोनों की बरामदगी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पुलिस की चल रही जांच, जिसमें फोरेंसिक और वॉयस एनालिसिस शामिल है, इस साजिश के और गहरे तारों को उजागर करेगी। यह घटना सोशल मीडिया पर सतर्कता और जिम्मेदारी के महत्व को रेखांकित करती है। समाज को ऐसी साजिशों से बचाने के लिए पुलिस और नागरिकों का सहयोग अनिवार्य है। मुजफ्फरनगर पुलिस ने न केवल एक बड़े खतरे को टाला, बल्कि राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी साबित किया है।
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