राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर हमला- बिहार में SIR को लेकर विवाद, कहा- ‘हम आपके पीछे पड़ेंगे।
Political News: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 24 जुलाई 2025 को संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने....
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 24 जुलाई 2025 को संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बिहार में चल रहे विशेष गहन संशोधन (SIR) अभियान को लेकर कहा, “मैं चुनाव आयोग को संदेश देना चाहता हूँ कि अगर आपको लगता है कि आप बच निकलेंगे, तो आप गलत हैं। हम आपके पीछे पड़ेंगे।” राहुल गांधी ने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट पर मतदाता सूची में हेरफेर का भी दावा किया और कहा कि उनके पास इसके “100% सबूत” हैं। इस बयान ने सियासी हलचल मचा दी है और विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की माँग की है।
- राहुल गांधी का बयान और आरोप
24 जुलाई 2025 को संसद के मॉनसून सत्र के दौरान राहुल गांधी ने पत्रकारों से कहा कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहा है। उन्होंने बिहार में SIR अभियान पर सवाल उठाए, जिसमें मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए घर-घर जाँच की जा रही है। राहुल ने दावा किया कि इस अभियान के जरिए मतदाता सूची से लाखों लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं, खासकर कमजोर और गरीब समुदायों के। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग भारत के चुनाव आयोग की तरह काम नहीं कर रहा। यह एक गंभीर मामला है। आज उन्होंने जो बयान दिया, वह पूरी तरह बकवास है।”
राहुल ने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके पास वहाँ मतदाता सूची में हेरफेर के पक्के सबूत हैं। उन्होंने दावा किया कि हजारों नए मतदाता, जिनकी उम्र 45, 50, 60 या 65 साल है, अचानक सूची में जोड़े गए। साथ ही, कई पुराने मतदाताओं के नाम हटाए गए। राहुल ने कहा, “हमने सिर्फ एक सीट की जाँच की और यह पाया। मुझे पूरा यकीन है कि हर सीट पर यही खेल चल रहा है।” उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द ही इन सबूतों को जनता के सामने रखेंगे।
- बिहार में SIR अभियान और विवाद
बिहार में SIR अभियान जून 2025 में शुरू हुआ था, जिसका मकसद मतदाता सूची को साफ करना है। इसमें मृत, स्थानांतरित, या दो जगहों पर पंजीकृत मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने बताया कि इस अभियान में 52 लाख से ज्यादा मतदाता अपने पते पर नहीं मिले। लेकिन विपक्षी दल, जैसे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी, इस अभियान को लोकतंत्र के खिलाफ मानते हैं। उनका कहना है कि इससे गरीब और कमजोर वर्गों के मतदाताओं को निशाना बनाया जा रहा है, जिससे बिहार विधानसभा चुनाव प्रभावित हो सकते हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि SIR अभियान के जरिए मतदाता सूची में हेरफेर किया जा रहा है, जिससे बीजेपी को फायदा हो सकता है। उन्होंने इसे “वोट की चोरी” बताया और कहा कि उनकी पार्टी ने कर्नाटक में इसकी कार्यप्रणाली समझ ली है। विपक्षी नेताओं, जैसे अखिलेश यादव और टीआर बालू, ने भी संसद परिसर में इस मुद्दे पर प्रदर्शन किया। उन्होंने “SIR लोकतंत्र की हत्या है” जैसे नारे लगाए।
- कर्नाटक में मतदाता सूची विवाद
राहुल गांधी ने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट पर मतदाता सूची में हेरफेर का दावा किया। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने उनका समर्थन करते हुए कहा कि उनके पास एक सीट पर 60,000 से ज्यादा वोटों में हेरफेर के सबूत हैं। उन्होंने कहा, “हमारी कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी की रिसर्च टीम ने इस पर काम किया। हमें लोकसभा चुनाव के नतीजों पर हैरानी हुई, और हमने पाया कि मतदाता सूची में गड़बड़ी हुई है।” कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने भी कहा कि बीजेपी ने चुनाव आयोग का दुरुपयोग कर कांग्रेस को नुकसान पहुँचाया।
हालाँकि, राहुल और कांग्रेस ने अभी तक ये सबूत सार्वजनिक नहीं किए हैं। उन्होंने कहा कि वे सही समय पर इन्हें जनता और मीडिया के सामने रखेंगे।
- चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को “निराधार” और “अनुचित” बताया। आयोग ने कहा कि अगर कोई शिकायत है, तो उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जा सकती है। आयोग ने यह भी कहा कि कर्नाटक के 2024 लोकसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची सभी मान्यता प्राप्त दलों, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, को दी गई थी। कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी वी. अनबुकुमार ने कहा कि 2024 में ड्राफ्ट और अंतिम मतदाता सूची के बीच 9.17 लाख दावे और आपत्तियाँ मिली थीं, लेकिन कांग्रेस ने कोई अपील दायर नहीं की।
आयोग ने एक बयान में कहा, “क्या हमें मृत, स्थानांतरित, या दो जगह पंजीकृत मतदाताओं के नाम पर वोट डालने की इजाजत देनी चाहिए? मतदाता सूची को पारदर्शी तरीके से तैयार किया जाता है। यह लोकतंत्र का आधार है।” आयोग ने यह भी कहा कि SIR अभियान 1 अगस्त से 1 सितंबर तक चलेगा, जिसमें कोई भी पात्र मतदाता अपना नाम जुड़वा सकता है।
- महाराष्ट्र में पहले के आरोप
राहुल गांधी ने इससे पहले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में भी मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप लगाए थे। 7 जून 2025 को एक लेख में उन्होंने दावा किया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच पाँच महीनों में 41 लाख नए मतदाता जोड़े गए, जबकि 2019 से 2024 के बीच पाँच साल में केवल 31 लाख मतदाता बढ़े थे। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में मतदाता सूची में 16 लाख ज्यादा लोग थे, जितने वहाँ की वयस्क आबादी थी।
कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि महाराष्ट्र में MVA गठबंधन 170 सीटें जीतने की स्थिति में था, लेकिन हेरफेर के कारण केवल 50 सीटें मिलीं। राहुल ने माँग की कि आयोग महाराष्ट्र के सभी मतदान केंद्रों का 5 बजे के बाद का CCTV फुटेज और डिजिटल मतदाता सूची जारी करे।
विपक्षी गठबंधन INDIA ने चार दिन तक संसद में SIR के खिलाफ प्रदर्शन किया। नेताओं ने “न्याय, न्याय, न्याय” और “SIR से लोकतंत्र की हत्या” जैसे नारे लगाए। कांग्रेस ने कहा कि बिहार में 56 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए, जो लोकतंत्र पर हमला है। RJD नेता तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव के बहिष्कार की बात कही, जिसे राहुल ने समर्थन दिया।
बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज किया। बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि SIR अभियान को जनता का समर्थन मिल रहा है और विपक्ष हार मान चुका है। उन्होंने कहा, “तेजस्वी यादव ने SIR के खिलाफ प्रदर्शन किया, लेकिन बिहार की जनता उनके साथ नहीं है।”
राहुल गांधी के बयान ने चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। कई लोग मानते हैं कि मतदाता सूची में गड़बड़ी से चुनाव नतीजे प्रभावित हो सकते हैं। एक्स पर कुछ यूजर्स ने राहुल का समर्थन किया और कहा कि चुनाव आयोग को पारदर्शिता दिखानी चाहिए। एक यूजर ने लिखा, “लोकतंत्र को बचाने के लिए राहुल गांधी सही लड़ाई लड़ रहे हैं।”
वहीं, कुछ लोगों ने इसे सियासी ड्रामा बताया। एक यूजर ने लिखा, “बिना सबूत के आरोप लगाना गलत है। अगर सबूत हैं, तो कोर्ट में पेश करें।” चुनाव आयोग ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट में SIR की वैधता का बचाव करेगा।
राहुल गांधी के बयान और SIR को लेकर विवाद ने भारत में चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। बिहार में 52 लाख मतदाताओं के नाम हटने और कर्नाटक में हेरफेर के दावों ने सियासी माहौल गरमा दिया है। राहुल का “हम आपके पीछे पड़ेंगे” वाला बयान चुनाव आयोग के लिए सख्त चेतावनी है। लेकिन बिना ठोस सबूतों के ये आरोप कितने सही हैं, यह अभी साफ नहीं है।
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