Sambhal : सम्भल हिंसा बरसी पर अमन की दुआ, बाबरी मस्जिद बनना संवैधानिक हक़ और अयोध्या में धर्मध्वजा पर पीएम से सभी धर्मों को साथ लेने की अपील – जियाउर्रहमान बर्क
वहीं राम मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री द्वारा धर्म ध्वजा फहराने के सवाल पर उन्होंने प्रतिक्रिया में कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक और संवैधानिक देश है, न कि धार्मिक।
Report : उवैस दानिश, सम्भल
सम्भल हिंसा को एक साल पूरा होने पर स्थानीय नेता ने शांति और सद्भावना की अपील की है। उन्होंने कहा कि वह उन परिवारों के दुख को समझते हैं जिनके लोगों की उस घटना में जान गई थी, और वे लोग जो आज भी जेल में हैं उनकी पीड़ा भी कम नहीं है। उन्होंने दुआ करते हुए कहा कि भविष्य में सम्भल में अमन और सुकून का माहौल बना रहे ताकि किसी भी प्रकार की जान–माल की हानि न हो। उन्होंने पुलिस प्रशासन से भी उम्मीद जताई कि वे हालात को नियंत्रित रखकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने दें, जिससे शहर तरक्की की राह पर आगे बढ़ सके।
इसी दौरान टीएमसी विधायक हमायूँ कबीर द्वारा पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद बनाने के ऐलान पर उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थलों को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। मस्जिद बनना किसी भी मुसलमान का मज़हबी और संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि जहां जरूरत हो, वहां मस्जिद बननी चाहिए, और मुसलमान अपने तरीक़े से इबादत कर सकें। टीएमसी नेता के बुलावे पर उन्होंने कहा कि उन्हें कोई निमंत्रण प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए टिप्पणी का सवाल ही नहीं उठता।
वहीं राम मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री द्वारा धर्म ध्वजा फहराने के सवाल पर उन्होंने प्रतिक्रिया में कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक और संवैधानिक देश है, न कि धार्मिक। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति या मुख्यमंत्री—सभी को हर धर्म और हर वर्ग का समान सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी एक धर्म विशेष को संदेश देने से केवल राजनीतिक लाभ मिल सकता है, देश का भला नहीं। उन्होंने जनता से अपील की कि वे जागरूक रहें और समझें कि उनके हित में क्या है। उन्होंने कहा कि धर्म सभी के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन जब बात देश की हो तो नेतृत्व को हर धर्म और हर वर्ग को साथ लेकर चलना चाहिए।
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