शाहाबाद: पालिका का नया कारनामा, कब्रिस्तान की जमीन से संबंधित दस्तावेज लापता, मुस्लिम समुदाय में आक्रोश
नगर पालिका अध्यक्ष व अधिशाषी अधिकारी की मिली भगत के चलते मोहल्ला मीराबस्ती में गाटा सं.1388 का हिस्सा जो कि कब्रिस्तान है जिसको नगर पालिका अध्यक्ष ने अपने चहते अंसार खां उर्फ बब्बन पुत्र अजहर खां निवासी मूजागढ़ गृहकर सं० 123 के नाम मोटी रकम लेकर दर्ज..
By INA News Hardoi.
शाहाबाद: नगर पालिका परिषद के तहत मीरा बस्ती स्थित कब्रिस्तान की जमीन से संबंधित दस्तावेज लापता हो गए हैं, जिससे स्थानीय मुस्लिम समाज में नाराजगी है। पिछले कुछ सालों से यह कब्रिस्तान अलॉट किया गया था और अब इस जमीन के दस्तावेजों के लापता होने से स्थिति और जटिल हो गई है। बताया जा रहा है कि 2015 के बाद कब्रिस्तान की जमीन का मूल्य लगातार बढ़ता गया।
नगर पालिका अध्यक्ष व अधिशाषी अधिकारी की मिली भगत के चलते मोहल्ला मीराबस्ती में गाटा सं.1388 का हिस्सा जो कि कब्रिस्तान है जिसको नगर पालिका अध्यक्ष ने अपने चहते अंसार खां उर्फ बब्बन पुत्र अजहर खां निवासी मूजागढ़ गृहकर सं० 123 के नाम मोटी रकम लेकर दर्ज कर दी पालिका अध्यक्ष हाउस टैक्स रसीद काटकर कब्रिस्तान को दुकानों के उद्देश्य से विक्रय करने में लगे हुए हैं जबकि नगर पालिका में 2008 से 2010 के बीच पालिका द्वारा कब्रिस्तान की बाउंड्री बाल स्वयं करवाई गई थी जब समाज सेवी जाहिर खान के द्वारा नगर पालिका द्वारा अधिशासी अधिकारी से जानकारी ली गई तो उनके द्वारा बात को टालमटोल कर गुमराह किया गया।
पालिका द्वारा कोई भी अभिलेख नहीं दिखाए गए जिसकी वजह से मोहल्ला मीरा बस्ती के लोगों में आक्रोश व्याप्त है जबकि कब्रिस्तान 100 साल से ज्यादा पुराना है जिसमें 250 से अधिक कबरे मौजूद है। राजस्व विभाग के अनुसार मोहल्ला मीराबस्ती में ब्लाक मुख्यालय से सटे गाटा स।1388 भूमि ला-वलद संपत्ति के नाम दर्ज है। जिसपर पालिका प्रशासन की ओर से अवैध रूप से कब्रिस्तान के नाम दर्ज कराया फिर उसको अपने चहेते मूजागढ़ निवासी अंसार खां उर्फ़ बब्बन पुत्र अजहर के नाम गृहकर सं.123 के नाम पर मोटी रकम लेकर दर्ज करा दिया। बताया जा रहा है कि उक्त करोड़ों की ला-वलद(लावारिश) भूमि को गुप्त तरीके से अभिलेखों में हेर-फेर कर पालिका अध्यक्ष अपने चाहेते के नाम मोटी रकम लेकर दर्ज कराई गई है। जो सूचना अधिकार के तहत ईओ नगरपालिका द्वारा जानकारी दी गयी है।
इस संबंध में ज़ब अधिशाषी अधिकारी आर.आर. अम्बेश से जानकारी चाही गई तो उन्होंने गुमराह करते हुए उक्त करोड़ों की ला-वलद भूमि के पुराने दस्तावेज न होने की बात कही एवं पालिका अध्यक्ष के आदेशानुसार अंसार खां का नाम दर्ज किया जाना बताया है। 2017-18 में नगर पालिका ने इस जमीन का मालिकाना हक किसी अन्य व्यक्ति के नाम कर दिया। इस पर मुस्लिम समाज के लोग नगर पालिका से कब्रिस्तान से जुड़े दस्तावेज की मांग कर रहे हैं, लेकिन अधिकारियों द्वारा इसे टालमटोल किया जा रहा है। इस सम्बंध में नगर लेखपाल अमित कुमार ने बताया कि उक्त सम्पत्ति ला-वलद में दर्ज है। वहां पर कुछ थोड़ी जमीन पुराने जमींदारों की है। उक्त जमीन सरकारी है इसलिये उसकी बाउंड्री बनने से रुकवा दी गयी है।
Also Read: हरदोई: सुदामा चरित्र और राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा सुनकर श्रद्धालु हुए मंत्रमुग्ध
नगर पालिका परिषद के ईओ (एग्जीक्यूटिव ऑफिसर) के अनुसार, दस्तावेज लापता होने की जानकारी दी गई है। यह स्थिति सवाल उठाती है कि ये दस्तावेज कहां गायब हो गए या फिर क्या इन्हें जानबूझकर गायब कर दिया गया है। इससे भी बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या मोटी रकम लेकर कब्रिस्तान की जमीन का कब्जा किसी और को दिलवाने की साजिश तो नहीं रची जा रही है।
नगर पालिका परिषद शाहाबाद ने कब्रिस्तान की भूमि को गुप्त तरीके से अभिलेखों में हेर-फेर करके करोड़ों की संपत्ति को बेचने के उद्देश्य से अपने चहेते के नाम हाउस टैक्स की रसीद काट दी और जब कब्रिस्तान की बाउंड्री वॉल की डिटेल मांगी तो अधिशासी अधिकारी राम रतन अंबेश द्वारा व लेखाकार असद खां के द्वारा बहाने बनाकर देने से इंकार कर दिया गया। मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति को दी गई जमीन इस मामले में एक और गंभीर सवाल उठता है कि जिस व्यक्ति के नाम कब्रिस्तान की जमीन अलॉट की गई वह भी मुस्लिम समुदाय से है। यह बात सोचने पर मजबूर कर देती है कि आखिर भाजपा सरकार में मुस्लिम व्यक्ति को इतनी हिम्मत कहां से मिली और इस मामले में क्या कुछ और तो नहीं चल रहा है। शाहाबाद नगर पालिका परिषद द्वारा सरकारी दस्तावेजों के गायब होने पर अब चर्चा तेज हो गई है और यह मामला सुर्खियों में है।
What's Your Reaction?