Sitapur : जिंदा मवेशियों को नोच- नोच कर निवाला बना रहे कौऐं, गौशाला में कीचड़ एवं पेट भर चारे के अभाव से जूझ रहे मवेशी

भर पेट चारा ना मिलने के कारण आय दिन मवेशी कमजोर हो जा रहे हैं। और कमजोर होने के बाद इलाज के अभाव से भी जूझना पड़ता है। बीमार और कमजोर मवेशि

Sep 18, 2025 - 20:02
 0  33
Sitapur : जिंदा मवेशियों को नोच- नोच कर निवाला बना रहे कौऐं, गौशाला में कीचड़ एवं पेट भर चारे के अभाव से जूझ रहे मवेशी
जिंदा मवेशियों को नोच- नोच कर निवाला बना रहे कौऐं, गौशाला में कीचड़ एवं पेट भर चारे के अभाव से जूझ रहे मवेशी

Report : संदीप चौरसिया INA NEWS ब्यूरो Sitapur

पहला सीतापुर विकास खण्ड पहला की ग्राम पंचायत खाल गांव पंचायत में बने गौशाला में मवेशियों को घुट घुट कर जीना पड़ रहा है। गौशाला की स्थिति देखकर लगता है किसी तालाब या पोखर में गौवंश को बंद किया गया है। गौशाला परिसर में बरसात का पानी और कीचड़ भरे होने के कारण मवेशियों को बैठने उठने की भी समस्याएं झेलनी पड़ रही है।बात करें गौशाला में बंद मवेशियों के चारे की व्यवस्था के बारे में तो चूना चोकर तो दूर की बात है हरा चारा भी भर पेट नहीं दिया जा रहा है। कागजों की खाना पूर्ति के लिए सिर्फ थोड़ी थोड़ी मात्रा में चारे को रखा गया है।

भर पेट चारा ना मिलने के कारण आय दिन मवेशी कमजोर हो जा रहे हैं। और कमजोर होने के बाद इलाज के अभाव से भी जूझना पड़ता है। बीमार और कमजोर मवेशियों की सही ढंग से देख रेख ना होने के कारण जिंदा मवेशियों को चील कौवे नोच नोच कर अपना निवाला बनाना शुरू कर देते हैं। जानकारी मिलने के बाद जब मीडिया टीम ने गौशाला की पड़ताल किया तो देखकर हैरत हुई।जिवित बछड़े की आंख को कौओं के द्वारा नोच नोच कर खाया जा रहा था।जिसको फोटो वीडियो के माध्यम से देखा जा सकता है। कहने को तो इस गौशाला में चार या चार से अधिक लोगों को गौवंश की देखभाल के लिए नियुक्त किया गया है लेकिन मौके पर सिर्फ एक ही व्यक्ति मिला। सूत्रों की मानें तो कुछ लोगों ऐसे भी नियुक्ति की गई है जो कभी गौशाला के गेट तक नहीं झांक कर देखने आते हैं फिर भी मानदेय अपने तिजोरी में भर रहें हैं।

इस गौशाला में और भी कई मवेशियों को बीमारी से जूझते हुए पाया गया। कागजों पर भले ही ब्लाक में बैठे अफसरों के द्वारा खाल गांव पंचायत के गौशाला में मवेशियों को गुड़ चोकर सहित अच्छा खिलाया जा रहा है लेकिन धरातल पर हकीकत में मवेशियों को जेल मे बंद कैदियों से भी बद्तर जीवन यापन करना पड़ रहा है।

ब्रजेश यादव सेक्रेटरी से जानकारी के लिए कई बार फोन किया गया लेकिन लाट साहब ने अपनी जिम्मेदारी को मुनासिब ना समझते हुए मीडिया कर्मियों का फोन तक उठाना उचित नहीं समझा।

Also Click : Lucknow : पहली अक्टूबर से शुरू होगी 'मोटे अनाज' की खरीद, मोटे अनाज (श्रीअन्न) मक्का, बाजरा व ज्वार की खरीद के लिए चल रहा किसानों का पंजीकरण

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow