Sitapur News: रेलवे विभाग की बड़ी लापरवाही, रेलवे क्रासिंग पर भारी अव्यवस्था की तस्वीरें सामने आईं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र सभी तीर्थों का राजा माना जाता है। यहां भगवान को पुत्र के रूप में प्राप्त करने हेतु स्व्वाम्भु मनु एवं मां सतरूपा ने कठिन तप किया जिसके पश्चात् भगवान रामके रू....

रिपोर्ट :- सुरेन्द्र कुमार नीमसार
By INA News Sitapur.
नैमिषारण्य एक पौराणिक तीर्थ स्थल है यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु देश के कोने-कोने से आते हैं। एक बार फिर से बालामऊ से नैमिषारण्य होते हुए सीतापुर के लिए स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन हो गया है जो सुबह एवं दोपहर में आना जाना रहता हैं, जिसमे हजारों की संख्या में यात्री व श्रद्धालुओं का आवागमन होता हैं और इस समय चैत्र नवरात्री का महा पर्व चल रहा जिसमे दूर दूर से यात्री व श्रद्धालुओं अपने बच्चों का मुंडन संस्कार एवं दर्शन करने हेतु अपने निजी वाहन व ट्रेन गाड़ी से पहुचते हैं, ऐसे में रेलवे विभाग के द्वारा लापरवाही के कारण आज आने वाले यात्री व श्रद्धालुओं को माँ ललिता देवी मंदिर के मुख्य सड़क मार्ग पर पड़ने वाले रेलवे क्रोसिंग का गेट अचानक लॉक हो जाने से यात्री व श्रद्धालु लगभग आधे घंटे तक जाम में फसे रहे।
सैकड़ों की संख्या में जाम में फसे वाहन व यात्री लगभग 500 मीटर दूर तक लम्बी लाइन में फसें व विचलित नज़र आये, जिसमे एक एम्बुलेंस मरीज को सीतापुर मुख्यालय ले जाना था पर वो भी जाम में फंसी रही समय लगभग 3:40 से 4: बजे तक गेट बंद रहा। रेलवे क्रोसिंग के निकट बने गार्ड रूम में रहने वाले गार्ड से हमारे INA NEWS टीम ने पता किया तो मालूम चला की रेलवे क्रासिंग का गेट किसी तकनिकी कारण से लॉक हो गया जो काफी मक्शकत के बाद भी नहीं खुला उसके बाद गार्ड ने नैमिष रेलवे स्टेशन के मास्टर को सूचना दी तब वह से मास्टर चाभी दी गयी जिससे रेलवे क्रासिंग का गेट को खोला गया तब जाकर जाम में फसे यात्री को राहत मिली गेट खुलने के बाद यात्री अपने अपने गतव्य को चले।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र सभी तीर्थों का राजा माना जाता है। यहां भगवान को पुत्र के रूप में प्राप्त करने हेतु स्व्वाम्भु मनु एवं मां सतरूपा ने कठिन तप किया जिसके पश्चात् भगवान रामके रूप में उनके यहाँ जन्म लिया तथा इसी स्थान पर उन्हें भगवान के स्वरुप के दर्शन किए थे। इसी कड़ी में श्री वेदव्यास महाराज के द्वारा अठारह पुराणों की रचना भी इसी स्थान पर की गई थी और सूत जी महाराज जी के दोवारा सर्व प्रथम इसी स्थान पर सत्य नारायण भगवान की कथा का सुनना व सुनना प्रारम्भ हुआ था, साथ ही नैमिष के अरण्यवन में स्तिथ मिश्रिख तीर्थ में महर्षि दधीचि ने ब्रतासुर को मारने के लिए अपनी अस्तिया दान की थी।पृथ्वी की धूरी पर भगवान नारायण की चक्र को स्थिर करने वाली माँ जगत जननी ललिता देवी का भव्य मंदिर स्तिथ हैं जो देवीभागवत पुराणों में 108 शक्ति पीठों में आता है एवं श्री विष्णु भगवन का चक्र जो अब चक्रतीर्थ कुंड नाम से जाना जाता जो अभी भी नैमिषारण्य में विराजमान है। नैमिषारण्य महाऋषियों की एक तपोभूमि है। ऐसे में नैमिषारण्य के लिए विभिन्न जिलों से व देश के गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान,हरियाणा,केरल, तमिलनाडु,आंध्र प्रदेश से श्रद्धालु लोग यहां पहुंचते हैं।
- कुछ माह पहले ही हुआ था एक बड़ा हादसा
अभी कुछ माह पहले ही एक बड़ा हादसा हुआ था जिसमे एक 70 वर्ष के एक बुजुर्ग ट्रेन की चपेट में आने से घयाल हो गया था उसको मरणासन की हालत में जिला अस्पताल रेफर किया गया था ऐ घटना भी रेलवे क्रासिंग के निकट बने गार्ड रूम से 200 मीटर की दुरी पर हुआ था ऐसे में नैमिषारण्य स्थ्ति रेलवे विभाग के कर्मचारिओं के द्वारा लापरवाही का होना कही बड़े हादसे होने की सम्भवना का कारण न बन जाये।
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