अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: गरीब, होनहार और दिव्यांग बच्चों को खेल क्षेत्र में आगे बढ़ा रहीं अंतर्राष्ट्रीय पदक विजेता पूनम तिवारी, पढ़िए संघर्षों की कहानी
दो भाइयों और 3 बहनों सबसे बड़ी होने के नाते पूरे घर की जिम्मेदारी उनके ऊपर थी। क्योंकि, उनके पिता हृदय रोग से पीडि़त थे और माताजी भी बीमार रहती थीं। हालांकि, उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाने का पूरा प्रयास किया। लेकिन आगे ....
Reported By: Vijay Laxmi Singh(Editor-In-Chief)
Edited By: Saurabh Singh
International Women's Day.
पूरी दुनिया आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रही है। इस मौके पर मिलिए हरदोई की एक ऐसी साहसी महिला से जिसका जीवन संघर्षों की कहानी है। लेकिन, हौसलों की उड़ान और सपनों में जान होने की वजह से इस महिला ने सफलता की नई इबारत लिख दी। हरदोई ही नहीं यह देश-प्रदेश में वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) और पावर लिफ्टिंग (Power Lifting) की जानी पहचानी नाम बन चुकी हैं।
कोच पूनम तिवारी अपनी मां अन्नपूर्णा तिवारी के साथ
उनके इरादे बुलन्द हैं। वह खेल की दुनिया में गरीब बच्चों को खासतौर से दिव्यांग बच्चों को सफलता का नया स्वाद चखा रही हैं। उन्हें सपने तो दिखा ही रही हैं बल्कि उनके हौसलों में जान भरने का भी काम कर रही हैं। वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) और पावर लिफ्टिंग (Power Lifting) कोच पूनम तिवारी (Poonam Tiwari) अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ढेर सारे पदक जीतकर भारत की झोली में डाल चुकी हैं।
इस समय वह हरदोई स्टेडियम में वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) कोच होने के साथ-साथ देश के विभिन्न हिस्सों में होने वाले आयोजनों में मैच रेफरी की भूमिका निभाती हैं। पूनम तिवारी (Poonam Tiwari) ने कहा कि ‘उस पथ के पथिक की धैर्य परीक्षा क्या जिस पथ पर पड़े शूल न हों, नाविक की धैर्य परीक्षा क्या जब धाराएं प्रतिकूल न हों।
यह कहते-कहते पूनम तिवारी (Poonam Tiwari) अपनी पुरानी यादों में खो जाती हैं। पूनम तिवारी (Poonam Tiwari) का खेल करियर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफलता के बाद पहचान और धन-संपत्ति की आम कहानी नहीं रहा।
इसके बजाय, उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले की पूनम तिवारी (Poonam Tiwari) को अपने पूरे सफर में संघर्ष करना पड़ा, पहले एक भारोत्तोलक के रूप में, फिर एक कोच के रूप में - गांव के एथलीटों को प्रशिक्षित करना जिन्होंने राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर प्रशंसा अर्जित की - सरकार से कोई सहायता नहीं मिली। नम आंखों के साथ जब बीते दिनों को याद करती हैं तो उनकी संघर्ष की एक लंबी प्रेरणादायक कहानी सामने आती है।
पूनम तिवारी का बेटा कृष्णेन मिश्रा
पूनम बताती हैं कि दो भाइयों और 3 बहनों सबसे बड़ी होने के नाते पूरे घर की जिम्मेदारी उनके ऊपर थी। क्योंकि, उनके पिता हृदय रोग से पीडि़त थे और माताजी भी बीमार रहती थीं। हालांकि, उनके माता-पिता ने उन्हें पढ़ाने का पूरा प्रयास किया। लेकिन आगे की जिम्मेदारी पूनम तिवारी (Poonam Tiwari) को खुद उठानी पड़ी। पूनम तिवारी (Poonam Tiwari) बताती हैं, गंगा देवी इंटर कॉलेज में कक्षा 6 में पढऩे के दौरान तो उनकी रुचि हाकी में हुई।
उन्होंने खेलना शुरू किया। माता-पिता और टीचर ने सहयोग दिया जिसके कारण स्टेट लेबल तक पहुंची। लेकिन, स्टेट टीम में जगह न मिल पाने के कारण रूख वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) की ओर कर दिया। और 90 के दशक में बहुत कम उम्र में मुरादाबाद में वेटलिफ्टिंग (Weightlifting) प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त किया।
उन्होंने दो राष्ट्रीय चैंपियनशिप स्ट्रेंथ लिफ्टिंग की हरदोई जनपद में आयोजित कराई तथा दिव्यांग महिला और पुरुष खिलाड़ियों को भी आगे बढ़ाने में सहयोग किया। माता-पिता और टीचर के सहयोग ने बेहतरीन प्रदर्शन ने पूनम को आगे बढने के लिए प्रेरित किया। ऐसे में वह समय भी आया जब उनका चयन लगातार 1996 और 1999 में हुआ। एक समय ऐसा भी आया जब विदेश में होने वाली प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आर्थिक तंगी आड़े आई।
2001 में उनका फिर से अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयन हुआ। उनके खेल करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा में उनका पहला अनुभव है - 2002 में दक्षिण कोरिया में आयोजित एशियाई पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप।
उन्होंने देश के लिए रजत पदक जीता। तब से, पिछले कई वर्षों से, वह राष्ट्रीय और कभी-कभी अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में खेल टूर्नामेंटों में कोच और रेफरी की भूमिका निभा चुकी हैं। तमाम समस्याओं से जूझते हुए और खेल में मिलने वाले पुरस्कारों से जैसे-तैसे घर परिवार चलता रहा इसी बीच उनके हमसफऱ बने अंतर्राष्ट्रीय पावर लिफ्टर खिलाड़ी आरडी तिवारी ने भी साथ दिया।
इसके बाद पूनम को एशियाई देशों की वेट लिफ्टिंग खेलों में रेफरी की भूमिका के लिए चुना गया। इस बीच पूनम तिवारी (Poonam Tiwari) जिले में वेट लिफ्टिंग कोच बन गईं। इसके बाद से वह गरीब और होनहार बच्चों को खास तौर से दिव्यांग बच्चों को आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं।
कई बच्चों का बैच वेट लिफ्टिंग और पावर लिफ्टिंग (Power Lifting) की शिक्षा ले रहा है। इससे पहले के तमाम खिलाड़ी प्रदेश और देश स्तर पर खेल चुके हैं। उनके द्वारा प्रशिक्षित खिलाड़ियों में से कई ने राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है तथा राज्य स्तर पर भी पदक प्राप्त किए हैं।
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