Varanasi News: वाराणसी में कमिश्नरेट पुलिसिंग रिव्यू ने खोली सब इंस्पेक्टर्स की पोल: 589 में से 145 फेल, 25% अंक भी नहीं ला सके

पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने इस प्रणाली के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए मासिक रिव्यू शुरू किया। मई 2025 में आयोजित यह पहला व्यापक रिव्यू था, जिसमें वाराणसी ...

May 18, 2025 - 23:03
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Varanasi News: वाराणसी में कमिश्नरेट पुलिसिंग रिव्यू ने खोली सब इंस्पेक्टर्स की पोल: 589 में से 145 फेल, 25% अंक भी नहीं ला सके

उत्तर प्रदेश में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद वाराणसी में पहली बार पुलिसिंग का व्यापक रिव्यू किया गया, जिसने कई सब इंस्पेक्टर्स की कार्यक्षमता पर सवाल खड़े कर दिए। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल द्वारा आयोजित इस मासिक रिव्यू में 589 सब इंस्पेक्टर्स शामिल हुए, जिनमें से 145 ने 100 में से 25 अंक भी हासिल नहीं किए। यह खुलासा न केवल पुलिस विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाता है, बल्कि वाराणसी जैसे महत्वपूर्ण शहर में कानून-व्यवस्था और जनता की सुरक्षा को लेकर भी चिंता पैदा करता है। इस रिव्यू के बाद फेल हुए दरोगाओं को प्रशिक्षण के लिए पुलिस लाइन में भेजा गया है, ताकि उनकी कार्यशैली में सुधार किया जा सके।

रिव्यू की पृष्ठभूमि

वाराणसी, जो न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है, में मार्च 2021 से पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू की गई थी। इस प्रणाली का उद्देश्य पुलिस को अधिक स्वायत्तता और जिम्मेदारी देकर तेजी से निर्णय लेने और कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाना था। कमिश्नरेट प्रणाली के तहत पुलिस कमिश्नर को मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्राप्त होती हैं, जिससे वे बिना जिला प्रशासन की अनुमति के कई कानूनी कार्रवाइयां कर सकते हैं।

पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने इस प्रणाली के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए मासिक रिव्यू शुरू किया। मई 2025 में आयोजित यह पहला व्यापक रिव्यू था, जिसमें वाराणसी कमिश्नरेट में तैनात 589 सब इंस्पेक्टर्स की पुलिसिंग क्षमता, जनता से व्यवहार, और कार्य निष्पादन की जांच की गई। रिव्यू का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि पुलिसकर्मी बुनियादी पुलिसिंग, जैसे FIR दर्ज करना, जन शिकायतों का निवारण, और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने में सक्षम हों।

रिव्यू के चौंकाने वाले परिणाम

रिव्यू के परिणामों ने पुलिस प्रशासन को हिलाकर रख दिया। 589 सब इंस्पेक्टर्स में से:

  • 145 सब इंस्पेक्टर्स 100 में से 25 अंक (25%) भी नहीं ला सके, जो न्यूनतम पासिंग अंक 33% से भी काफी कम है। इनमें से कई को बुनियादी पुलिसिंग की जानकारी, जैसे FIR सही तरीके से दर्ज करना, तक नहीं थी।
  • 107 सब इंस्पेक्टर्स को मुख्यमंत्री शिकायत निवारण प्रणाली (IGRS) और जनता की शिकायतों के निपटारे में शून्य अंक मिले, जो दर्शाता है कि वे जनता की समस्याओं के प्रति पूरी तरह उदासीन थे।
  • 100 सब इंस्पेक्टर्स को जनता से व्यवहार (पब्लिक डीलिंग) में कमजोर पाया गया, जिससे पुलिस की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
  • 345 सब इंस्पेक्टर्स दहाई का आंकड़ा (10 अंक) भी पार नहीं कर सके, जो उनकी कार्यक्षमता की गंभीर कमी को दर्शाता है।
  • केवल 444 सब इंस्पेक्टर्स ने संतोषजनक अंक प्राप्त किए, लेकिन इनमें भी कुछ को कार्यशैली में सुधार की जरूरत बताई गई।

X पर एक पोस्ट में इस स्थिति को "हैरान करने से ज्यादा परेशान करने वाला" बताया गया, जिसमें कहा गया कि ऐसे पुलिसकर्मियों पर जनता को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी है।

कमिश्नर की सख्त कार्यवाही

इन निराशाजनक परिणामों के बाद पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने फेल हुए 145 सब इंस्पेक्टर्स को तत्काल प्रभाव से एक महीने के लिए पुलिस लाइन में अटैच कर दिया। इस दौरान उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें बुनियादी पुलिसिंग, FIR दर्ज करने की प्रक्रिया, जनता से संवाद, और IGRS शिकायतों के निपटारे पर ध्यान दिया जाएगा। इसके अलावा:

  • इन सब इंस्पेक्टर्स को परेड और फुट पेट्रोलिंग का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि उनकी शारीरिक और मानसिक चुस्ती बढ़े।
  • रिव्यू में शीर्ष प्रदर्शन करने वाली एक महिला इंस्पेक्टर से भी उनकी चौकी छीन ली गई, क्योंकि उनकी कार्यशैली में कुछ कमियां पाई गईं।
  • कमिश्नर ने स्पष्ट किया कि भविष्य में भी ऐसे रिव्यू नियमित रूप से होंगे, और जो पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

कमिश्नरेट प्रणाली और इसकी चुनौतियां

वाराणसी में कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद पुलिस को अधिक शक्तियां और स्वायत्तता मिली है। इस प्रणाली में पुलिस कमिश्नर (ADG या IGP रैंक) जिले में पुलिस का सर्वोच्च अधिकारी होता है, जो सीधे राज्य सरकार को रिपोर्ट करता है। यह प्रणाली जटिल शहरी क्षेत्रों में त्वरित निर्णय लेने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई है।

हालांकि, इस रिव्यू ने कुछ गंभीर चुनौतियों को उजागर किया है:

  • प्रशिक्षण की कमी: कई सब इंस्पेक्टर्स को बुनियादी पुलिसिंग की जानकारी नहीं है, जो उनके प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर सवाल उठाता है।
  • जनता के प्रति उदासीनता: IGRS शिकायतों में 107 सब इंस्पेक्टर्स को शून्य अंक मिलना दर्शाता है कि वे जनता की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहे।
  • कार्यशैली में सुस्ती: रिव्यू में यह भी सामने आया कि कई दरोगा नियमित गश्त, अपराध जांच, और कानूनी प्रक्रियाओं में लापरवाही बरत रहे हैं।

इस खबर ने सोशल मीडिया, खासकर X पर, तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा कीं। कई यूजर्स ने वाराणसी पुलिस की कार्यक्षमता पर सवाल उठाए और इसे कानून-व्यवस्था की विफलता का प्रतीक बताया। एक यूजर ने लिखा, "50 दरोगा FIR तक नहीं लिख पाते! यह वाराणसी पुलिस की हालत है, जहां PM का क्षेत्र है।" एक अन्य पोस्ट में कहा गया, "589 दरोगाओं को CM विंडो की शिकायतों में कोई रुचि नहीं। यह जनता के साथ धोखा है।"

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कुछ यूजर्स ने कमिश्नर मोहित अग्रवाल की सख्ती की तारीफ की, लेकिन साथ ही मांग की कि पुलिस भर्ती और प्रशिक्षण प्रक्रिया में सुधार किया जाए। एक पोस्ट में लिखा गया, "ऐसे पुलिसवालों के हाथ में लोगों को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी? यह परेशान करने वाली खबर है।"

प्रशासनिक और सामाजिक निहितार्थ

यह रिव्यू वाराणसी जैसे शहर में पुलिस सुधारों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करता है, जहां पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ के कारण कानून-व्यवस्था बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। 145 सब इंस्पेक्टर्स का फेल होना न केवल उनकी व्यक्तिगत विफलता है, बल्कि यह पुलिस प्रशिक्षण, भर्ती प्रक्रिया, और कार्य संस्कृति में गहरी खामियों को भी दर्शाता है।

पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली को लागू करने का दावा था कि यह पुलिस को अधिक जवाबदेह और कुशल बनाएगी, लेकिन यह रिव्यू दर्शाता है कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस सुधारों के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए:

  • नियमित प्रशिक्षण: पुलिसकर्मियों को समय-समय पर बुनियादी पुलिसिंग और जनता से संवाद का प्रशिक्षण दिया जाए।
  • प्रदर्शन आधारित मूल्यांकन: रिव्यू जैसे उपायों को नियमित और पारदर्शी बनाया जाए, ताकि कमजोर प्रदर्शन करने वालों की जवाबदेही तय हो।
  • तकनीकी उपयोग: IGRS और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए पुलिसकर्मियों को प्रशिक्षित किया जाए।

पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने स्पष्ट किया है कि यह रिव्यू एक शुरुआत है, और भविष्य में भी पुलिसकर्मियों की कार्यक्षमता की नियमित जांच की जाएगी। फेल हुए सब इंस्पेक्टर्स के लिए एक महीने का प्रशिक्षण शुरू हो चुका है, और इसके बाद उनकी दोबारा जांच होगी। यदि वे फिर से फेल होते हैं, तो उनके खिलाफ और सख्त कार्यवाही, जैसे निलंबन या स्थानांतरण, की जा सकती है।

यह घटना उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए एक चेतावनी है कि कमिश्नरेट प्रणाली की सफलता केवल शक्तियों के हस्तांतरण पर नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर पुलिसकर्मियों की कार्यक्षमता और जवाबदेही पर निर्भर करती है। वाराणसी जैसे शहर में, जहां हर साल लाखों लोग दर्शन के लिए आते हैं, पुलिस की कार्यक्षमता न केवल स्थानीय निवासियों, बल्कि देश की छवि के लिए भी महत्वपूर्ण है।

वाराणसी में पुलिसिंग रिव्यू ने पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली की हकीकत को सामने ला दिया है। 589 में से 145 सब इंस्पेक्टर्स का 25% अंक भी न ला पाना एक गंभीर चिंता का विषय है। यह स्थिति पुलिस प्रशिक्षण, कार्य संस्कृति, और जनता के प्रति जवाबदेही में सुधार की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती है। कमिश्नर मोहित अग्रवाल की सख्ती और प्रशिक्षण के प्रयास एक सकारात्मक कदम हैं, लेकिन यह तभी प्रभावी होगा जब इसे दीर्घकालिक सुधारों के साथ जोड़ा जाए। यह घटना न केवल वाराणसी, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में पुलिस सुधारों के लिए एक सबक है।

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