Sitapur News: भोर होते ही डंका बजने के साथ (84) चौरासी कोसी परिक्रमा का हुआ भव्य शुभारंभ साधु संतों और श्रद्धालुओं पर हुई पुष्पवर्षा। 

विश्व प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक तीर्थ नगरी नैमिषारण्य (naimisharanya) मे शनिवार को 88 हजार ऋषि मुनियों की तपोस्थली नैमिषारण्य से (84) चौरासी कोसी परिक्रमा ...

Mar 1, 2025 - 16:51
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Sitapur News: भोर होते ही डंका बजने के साथ (84) चौरासी कोसी परिक्रमा का हुआ भव्य शुभारंभ साधु संतों और श्रद्धालुओं पर हुई पुष्पवर्षा। 

रिपोर्ट:- सुरेन्द्र कुमार INA न्यूज़ नीमसार

नैमिषारण्य/ सीतापुरः- विश्व प्रसिद्ध हिन्दू धार्मिक तीर्थ नगरी नैमिषारण्य मैं शनिवार को 88 हजार ऋषि.मुनियों की तपोस्थली नैमिषारण्य से (84) चौरासी कोसी परिक्रमा का आज शुभारंभ हो गया। इस दौरान परिक्रमा में आये हुये सभी श्रद्धालु व भक्तगण भक्तिमय के सराबोर मैं डूबे नजर आए। ब्रह्म मुहूर्त में घंटा-घड़ियाल व शंख की ध्वनि के साथ आदि शक्ति मां ललिता मंदिर के पास चौराहे पर (84) चौरासी कोसी समिति के अध्यक्ष महंत नन्हुकु दास के  दोवारा डंका बजा कर परिक्रमा का शुभारम्भ हुआ , इस दौरान साधु-संत, महंत और श्रद्धालुओं पर फूलों की बारिश की गई. नैमिषारण्य से आज (84) चौरासी कोसी परिक्रमा शुरू हुई  परिक्रमार्थी अपने पहले पड़ाव कोरौना के लिए बोल कड़कड़ सीताराम का जयघोष करते हुए रामादल कूच करेगा। पड़ने वाले सभी पड़ाव स्थलों पर सीतापुर पुलिस प्रशासन एवं हरदोई पुलिस प्रशासन की कड़ी सुरक्षा की निगरानी मैं रहेगी। अलग अलग राज्यों व देश और विदेश से आकार श्रद्धालु नैमिषारण्य,मिश्रिख में परिक्रमा करते हैं ।

अमावस्या स्नान के चलते दो दिन पहले से ही परिक्रमार्थी और श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया जो अगले दिन अमावस्या की शाम तक आना जाना चलता ही रहा ,आये हुए श्रद्धालुओं अमावस्या स्नान के लिये ब्रम्हमुहर्त मैं ही उठकर नैमिषारण्य के राज घाट और देव देवेश्वर घाट पर गोमती गंगा में स्नान दान व पूजन किया, हजारों की संख्या मैं नैमिषारण्य के राजघाट,अदि गंगा गोमती एवं चक्रतीर्थ कुण्ड मैं स्नान के लिए पहुंचे थे श्रद्धालु । शनिवार सुबह ब्रह्म मुहूर्त में ही श्रद्धालुओं ने नैमिषारण्य के राजघाट एवं देवदेवेश्वर घाट पर आदि गंगा गोमती में स्नान किया ,फिर सर्व प्रथम श्री गणेश जी का पूजन कर ,सभी श्रद्धालुओं माँ ललिता देवी मंदिर ,नैमिष नाथ मंदिर, भूतेश्वर नाथ मंदिर सूत गद्दी ,व्यास गद्दी, हनुमान गढ़ी आदि मन्दिरों मैं पूजन अर्चन कर माथा टेका और अपने परिकर्मा को पूर्ण होने का आशीर्वाद लिया । और फिर अपने प्रथम पड़ाव को चल दिए ।

  • नैमिषारण्यः 84 लाख योनियों से मुक्ति प्रदान करती हैं 84 कोसी परिक्रमा।

नैमिषारण्य में शनिवार से 84 कोसी परिक्रमा शुरू हो गई है। इसका धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व है। नैमिष के पुरोहित पांडा समाज के अनुसार बताते हैं कि यह परिक्रमा मनुष्य को (84) लाख योनियों से मुक्ति देती है। बताया जाता हैं की प्रभु श्री राम त्रेतायुग मैं रावण वध करने के पश्चात जव उनको ब्राम्हण हत्या का दोष लगा तब नैमिष में प्रभु श्रीराम ने अपने परिवारजन व गुरुजनों एवं अयोध्यावासिओं के साथ (84) कोसी परिक्रमा पूर्ण की थी। इसी लिए परिक्रमार्थियों के समूह को रामादल भी कहा जाता हैं।  फाल्गुन मास की प्रतिपदा से शुरू होने वाली नैमिष की (84) कोसी परिक्रमा शनिवार 1 मार्च से शुरू हो रही है। इस 15 दिवसीय परिक्रमा का समापन 11 मार्च को मिश्रिख में दधीचि के आश्रम पर पहुंचकर समाप्ती होगी . हालांकि अगले दिन से यहां पर पंचकोसी परिक्रमा को प्रारंभकर, इसका पूर्ण समापन होलिका दहन को होगा. जिसमे दधीचि कुंड तीर्थ में आस्था की डूबकी लगाकर सभी परिक्रमार्थी अपने घर को चले जाएंगे. यह 84 कोसी परिक्रमा दो जिला सीतापुर और हरदोई से होकर गुजरती हैं परिक्रमा में कुल 11 पड़ाव आते है जिनमें सात सीतापुर में तथा चार हरदोई जिले में आते हैं। 

  • मुस्लिम समुदाय के लोगों ने परिक्रमार्थी का किया भव्य स्वागत।

84 कोसी परिक्रमा नैमिषारण्य से चलकर जैसे ही औरंगाबाद गांव से गुजरी तो औरंगाबाद में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने परिक्रमा का भव्य स्वागत किया. गाँव के लोंगो ने परिक्रमार्थी,श्रद्धालु, एवं साधु संतों को माला पहनाकर अभिन्दन वंदन किया. इतना ही नहीं मुस्लिम समुदाय के लोगों ने परिक्रमा मैं सम्मलित साधु संत,श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की. औरंगाबाद कस्बे में हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल भी देखने को मिली. औरंगाबाद कस्बे के ग्रामीणों ने बताया की हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल प्राचीन काल से चली आ रही हैं जिसको समय समय पर आने वाली पीड़ी बड़ी धूम धाम से भव्य स्वागत करती हैं जिसमे दोनों समुदाय की तरफ से मेलमिलाप होता हैं ,यहाँ से चलकर परिक्रमा का पहला पड़ाव कोरौना होगा वह रात्रि विश्राम कर अगले दिन मंगलवार के ब्रम्हामूर्त में सभी परिक्रमार्थी दूसरे पड़ाव हरैया के लिए निकल जाएंगे।

पहले पड़ाव के रूप में यह परिक्रमार्थी 1 मार्च की रात कोरौना में विश्राम करते हैं। इस 84 कोसिये  परिक्रमा में प्रति वर्ष लाखों की संख्या में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा मध्य प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, छतीसगढ़ ,हरियाणा ,पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली और कर्नाटक राज्यों के संत महात्मा ,ऋषि मुनियों समेत लाखों की संख्या में गृहस्थ श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है। इसके अलावा इस परिक्रमा में बड़ी संख्या में नेपाल व भूटान के श्रद्धालु शामिल होते हैं। परिक्रमा के दौरान अधिकांश परिक्रमार्थी लगभग 252 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय करते हैं। इसके अलावा कई परिक्रमार्थी वाहनों से तो तमाम साधू संत, ऋषि मुनि और महंत हाथी, घोड़ा व पालकी से इसे पूरा करते हैं। 

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  • नैमिषारण्य से चलकर कब और कहां परिक्रमार्थी डालेंगे अपना पड़ाव। 

1 मार्च शनिवार प्रथम पड़ाव कोरौना
2 मार्च रविवार हरैया
3 मार्च सोमवार नगवा कोथावां
4 मार्च मंगलवार गिरधरपुर उमरारी
5 मार्च बुधवार साकिन गोपालपुर
6 मार्च गुरुवार देवगवां
7 मार्च शुक्रवार मडेरुवा
8 मार्च शनिवार जरिगवां
9 मार्च रविवार नैमिषारण्य
10 मार्च सोमवार कोल्हुवा बरेठी
11 मार्च मंगलवार मिश्रिख मैं रात्रि को विश्राम करके अगले दिन से पंचकोसिय परिक्रमा का आरम्भ होकर होलिका दहन को पूर्ण समापन होगा जिसमे आये हुए सभी परिक्रमार्थी.श्रद्धालु,भक्तगण महर्षि दधीचि कुंड तीर्थ में आस्था की डूबकी लगाकर सभी परिक्रमार्थी अपने घर चले जाएंगे। 

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