Baitul : आजादी के 75 सालों बाद भी ग्रामीण तरस रहे पक्की सड़क के लिए, भाजपा के खोखले विकास के दावों की खुल रही पोल

रास्ते से स्कूल कॉलेज की छात्राएं आशा कार्यकर्ता और अन्य ग्रामीणों रोजाना सैकड़ों की संख्या में निकलते है स्कुली छात्राएं साइकिल से निकलने पर गिर जाती है और ड्रेस खराब होने से घर वापस लौटना

Sep 17, 2025 - 13:19
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Baitul : आजादी के 75 सालों बाद भी ग्रामीण तरस रहे पक्की सड़क के लिए, भाजपा के खोखले विकास के दावों की खुल रही पोल
आजादी के 75 सालों बाद भी ग्रामीण तरस रहे पक्की सड़क के लिए, भाजपा के खोखले विकास के दावों की खुल रही पोल

  • भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के गृह जिले ग्रामीण जन अब तक कर रहे पक्की सड़क की मांग,दलदल और तालाब में बदल जाती है गांव की सड़कें
  • मुलताई विधानसभा में ग्रामीणों में भारी आक्रोश,स्कुली छात्राओं के साथ परिजन पहुँचे कलेक्टर के पास की पक्की सड़क की मांग

Report : शशांक सोनकपुरिया, बैतूल- मध्यप्रदेश

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में विकास के दावे तो बड़े-बड़े किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का जिला होने के बावजूद यहां सड़कें और पुलियां आज भी बदहाल हैं।मुलताई विधानसभा क्षेत्र से लगातार ऐसी शिकायतें आ रही हैं, जहां ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। हाल ही में खड़गवार गांव के लोगों ने सड़क और पुलिया बनाने की मांग को लेकर कलेक्टर के पास धरना दिया था।उसके बाद अब ग्राम पिसाटा के देहगुड से पोहर तक के तीन किलोमीटर लंबे रास्ते की समस्या ने जोर पकड़ लिया है। इस रास्ते की हालत इतनी खराब है कि पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। स्कूली छात्राओं ने अपने परिजनों के साथ कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर समस्या बताई और तुरंत सुधार की गुहार लगाई।इस रास्ते से रोजाना सैकड़ों ग्रामीण गुजरते हैं, जिनमें स्कूल-कॉलेज जाने वाली छात्राएं, आशा कार्यकर्ता और अन्य लोग शामिल हैं। बारिश के मौसम में तो हालात और भी बिगड़ जाते हैं, क्योंकि कीचड़ और गड्ढों से भरा रास्ता वाहनों के लिए नामुमकिन हो जाता है।छात्राओं को साइकिल चलाने पर बार-बार गिरना पड़ता है, जिससे उनकी ड्रेस खराब हो जाती है। इसके चलते वे घर लौट आती हैं और पढ़ाई का नुकसान होता है। बस का कोई साधन न होने से पैदल ही जाना पड़ता है, जहां चोट लगने का खतरा बना रहता है।एक छात्रा ने बताया कि इस रास्ते से गुजरते हुए कई बार घुटने और हाथों पर चोटें लग चुकी हैं, लेकिन सुधार का नामोनिशान नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक को कई बार शिकायत की गई, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिले। भाजपा विधायक होने के बावजूद सरकार से कोई ठोस मदद नहीं पहुंची।कलेक्टर कार्यालय में पहुंची छात्राओं ने स्पष्ट कहा कि अगर समस्या का जल्द समाधान न हुआ, तो आने वाले ग्रामीण चुनावों का बहिष्कार करेंगी। उन्होंने कलेक्टर से मांग की कि रास्ते की मरम्मत या नई सड़क बनाने का काम तुरंत शुरू हो। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह समस्या सालों से चली आ रही है। ऑनलाइन पोर्टल पर विकास के आंकड़े तो चमकदार दिखाए जाते हैं, लेकिन हकीकत में ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचा कमजोर है।

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