Barabanki : बाराबंकी में सीएम योगी ने प्रगतिशील किसान सम्मेलन और किसान पाठशाला का शुभारंभ किया, कई किसानों को दिए सम्मान
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का सबसे ज्यादा लाभ उत्तर प्रदेश के किसानों को मिल रहा है। 2 करोड़ 86 लाख किसान इससे जुड़े हैं। उन्नत नस्ल के बीज समय पर उपलब्ध क
बाराबंकी जिले के दौलतपुर गांव में प्रगतिशील किसान सम्मेलन 'खेती की बात खेत पर' तथा किसान पाठशाला के आठवें संस्करण का शुभारंभ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। इस कार्यक्रम में उन्होंने पद्मश्री से सम्मानित प्रगतिशील किसान राम सरन वर्मा तथा अन्य किसानों को सम्मानित किया। विभिन्न योजनाओं के लाभार्थियों को प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान दिया गया। मुख्यमंत्री ने कृषि विभागों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का दौरा किया, किसानों से बातचीत की तथा खेतों का मुआयना भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डबल इंजन सरकार किसानों को सभी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। 'खेती की बात खेत पर' के सिद्धांत के साथ हम लखनऊ के सचिवालय में बैठकर फैसले नहीं लेंगे, बल्कि किसान के खेत पर जाकर योजनाओं का लाभ सीधे अन्नदाता किसानों तक पहुंचाएंगे। उन्होंने जोर दिया कि किसान समृद्ध होगा तो प्रदेश समृद्ध होगा, प्रदेश समृद्ध होगा तो देश विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पिछले 11 वर्षों में उत्तर प्रदेश ने समग्र विकास की दिशा में बड़ी प्रगति की है। यहां उर्वर भूमि, पर्याप्त जल संसाधन और बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध है।
डबल इंजन सरकार के प्रयासों से उत्तर प्रदेश देश के शीर्ष कृषि उत्पादक राज्यों में शामिल हो गया है। प्रदेश में देश की कुल कृषि योग्य भूमि का केवल 11 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन यह 21 प्रतिशत खाद्यान्न आपूर्ति करता है। यह सब बीज से बाजार तक की सुविधाओं के कारण संभव हुआ है। पिछले आठ वर्षों से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का लाभ मिल रहा है। बिचौलियों को हटाकर किसान सीधे अपनी उपज बेच सकते हैं। स्वॉयल हेल्थ कार्ड और फसल बीमा जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। गन्ना मूल्य का भुगतान समय पर हो रहा है, जो ऐतिहासिक उपलब्धि है।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कृषि मंडियों और गांवों तक सड़क नेटवर्क का विस्तार हो रहा है। वैल्यू चेन, स्टोरेज, प्रोसेसिंग में निवेश बढ़ रहा है। किसानों को बाजार और निर्यात से जोड़ा जा रहा है। हर खेत को सिंचाई की सुविधा देने के लिए नहरों, पाइपलाइन, माइक्रो इरिगेशन और सोलर पंप का विस्तार किया जा रहा है। जल संरक्षण अभियान चल रहा है। ड्रोन डोजिंग, सौर ऊर्जा, एफपीओ, स्टार्टअप्स के जरिए फसल और मूल्य संवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रदेश में खरपतवार नियंत्रण, मिट्टी परीक्षण और प्राकृतिक खेती पर विशेष ध्यान दिया गया है। किसानों को कृषि उद्यमिता के लिए प्रेरित किया जा रहा है। राम सरन वर्मा इसका बेहतरीन उदाहरण हैं।
फूड प्रोसेसिंग, कोल्ड स्टोरेज, लॉजिस्टिक्स और डिजिटल मंडी में युवाओं को रोजगार के कई अवसर पैदा हुए हैं। एक्सप्रेसवे और लॉजिस्टिक्स पार्क से किसानों की उपज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार तक आसानी से पहुंच रही है। विश्व बैंक के सहयोग से 'यूपी एग्रीकल्चर ग्रोथ एंड रूरल एंटरप्राइजेज इकोसिस्टम स्ट्रेंथनिंग प्रोजेक्ट' यानी यूपी एग्रीज परियोजना शुरू हो चुकी है। 4,000 करोड़ रुपये की लागत से 6 वर्षों के लिए 28 कम कृषि विकास वाले जनपदों को जोड़ा गया है, जिनमें पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड शामिल हैं। बाराबंकी पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रवेश द्वार है। बुंदेलखंड में पहले जल की कमी थी, अब पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को तकनीक से जोड़ने का काम तेजी से हो रहा है। ओडीओपी योजना, एसएचजी, बीसी सखी, ड्रोन दीदी जैसे कार्यक्रम रोजगार के मजबूत साधन बन चुके हैं। प्रदेश के 9 जलवायु क्षेत्रों के अनुसार तकनीक, बीज आदि उपलब्ध कराए जा रहे हैं। 2017 से पहले किसानों को ज्यादा लागत पर कम लाभ मिलता था। सिंचाई परियोजनाएं धीमी थीं, बिचौलियों का बोलबाला था। अब डीबीटी के जरिए पारदर्शी तरीके से योजनाओं का लाभ मिल रहा है। बिचौलिया मुक्त खाद्यान्न खरीद हो रही है। पिछले आठ वर्षों में कृषि विकास दर 8.6 प्रतिशत से बढ़कर 17.7 प्रतिशत हो गई है।
उत्तर प्रदेश देश के कुल गेहूं उत्पादन का 35 प्रतिशत योगदान देता है, जो प्रथम स्थान है। राष्ट्रीय खाद्यान्न उत्पादन में 21 प्रतिशत और गन्ना उत्पादन में 55 प्रतिशत हिस्सा है। गन्ने का एसएपी 400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है। पिछले आठ वर्षों में 2 लाख 92 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा गन्ना मूल्य भुगतान किया गया। 122 चीनी मिलें संचालित हैं। एथेनॉल उत्पादन 41 करोड़ लीटर से बढ़कर 182 करोड़ लीटर हो गया, जो देश में नंबर एक है। आलू, केला, उद्यानिक और जैविक फसलों का उत्पादन अभूतपूर्व रूप से बढ़ा है। फल और सब्जियों के उत्पादन में भी प्रदेश शीर्ष पर है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि का सबसे ज्यादा लाभ उत्तर प्रदेश के किसानों को मिल रहा है। 2 करोड़ 86 लाख किसान इससे जुड़े हैं। उन्नत नस्ल के बीज समय पर उपलब्ध कराने के लिए भारत रत्न चौधरी चरण सिंह के नाम पर लखनऊ में सीड पार्क बन रहा है। प्रदेश में 79 कृषि विज्ञान केंद्र सक्रिय हैं, शेष 10 पर तेजी से काम हो रहा है। इन केंद्रों में आधुनिक तकनीक और फसल प्रदर्शन की सुविधा है। कई केंद्र 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस' के रूप में काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री हमेशा जोर देते हैं कि किसान की आय बढ़ाने का पहला सूत्र कम लागत और ज्यादा उत्पादन है। इसके लिए समय पर बीज-खाद, बेहतर सिंचाई और वैज्ञानिक खेती जरूरी है। प्रयासों और नवाचारों से प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया गया। राम सरन वर्मा के कृषि फार्म पर एकत्रित हुए। 2019 में उन्हें पद्मश्री मिला। एफपीओ के जरिए को-ऑपरेटिव खेती को बढ़ावा देने का मॉडल राम सरन वर्मा ने दौलतपुर में दिखाया। यहां एक एकड़ में 250 क्विंटल आलू और 2 लाख केला उत्पादन कम लागत पर हो रहा है। सभी प्रकार की सब्जियां भी उगाई जा रही हैं।
यह मॉडल व्यावहारिक है। किसानों को थोड़ा प्रयास कर तकनीक अपनानी होगी। अगर हम वर्मा जी की तरह नवाचार अपनाएं तो प्रगतिशील किसान बनकर विकसित भारत के लक्ष्य में योगदान दे सकेंगे। बीज से बाजार की दूरी कम करने के साथ मिट्टी माता के स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण का अभियान चल रहा है। इसमें किसानों की बड़ी भूमिका है। मिट्टी हमें अन्न देती है, अगर उसका स्वास्थ्य ठीक रहेगा तो मानव और जीव जगत बचेगा। प्रधानमंत्री का 'नेशनल मिशन फॉर नेचुरल फार्मिंग' इसी का हिस्सा है।
इस अवसर पर कृषि विकास पर आधारित लघु फिल्म दिखाई गई। कार्यक्रम को कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने भी संबोधित किया। कृषि राज्य मंत्री बलदेव सिंह ओलख, खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री सतीश चंद्र शर्मा, कारागार राज्य मंत्री सुरेश राही सहित अन्य प्रमुख व्यक्ति मौजूद रहे।
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