Deoband News: अन्याय के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन कर आवाज बुलंद करना गलत नहीं- मौलाना अरशद मदनी
उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि अगर सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया तो हो सकता है कि सांप्रदायिक ताकतें कभी भी आपको निशाना बना सकती हैं। माहौल के मद्देनजर सभी को चाहिए कि वह ....

By INA News Deoband.
देवबंद: वक्फ संशोधन कानून को लेकर मुस्लिम समाज में भारी आक्रोष बना हुआ है। अलग-अलग प्रांतों में इसको लेकर विरोध प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने मुल्क की आवाम (जनता) से सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन न करने की अपील की है। मौलाना अरशद मदनी ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि अन्याय के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन कर आवाज बुलंद करना गलत नहीं है। लेकिन इसका तरीका सही होना चाहिए।
उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि अगर सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया तो हो सकता है कि सांप्रदायिक ताकतें कभी भी आपको निशाना बना सकती हैं। माहौल के मद्देनजर सभी को चाहिए कि वह अपने जज्बातों पर काबू रखे। मौलाना मदनी ने कहा कि कहा कि शांतिपूर्वक विरोध दर्ज कराने के बहुत से तरीके हैं। जिसके जरिये अपनी बात रखी जा सकती है।
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उन्होंने कहा कि रमजान माह में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया था। इसमें जमीयत ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। अब बोर्ड की तरफ से दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सभा की जा रही है।
हमने भी अपने लोगों से कहा कि इसमें भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लें। मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सड़कों पर उतरने के बजाए शांतिपूर्वक तरीके से अपनी बात सरकार देश व दुनिया के सामने रखें। इससे सांप्रदायिक ताकतों की साजिशें भी नाकाम हो जाएंगी।
- वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ याचिका पर 16 अप्रैल को होगी सुनवाई
वक्फ संशोधन कानून-2025 के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में 16 अप्रैल को सुनवाई होगी। सोमवार को जमीयत उलमा-ए-हिंद की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना से इस मामले की शीघ्र सुनवाई करने का अनुरोध किया था।
जमीयत के प्रेस सचिव फजलुर्रहमान कासमी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार की ओर से एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड फ़ुजैल अय्यूबी को दी गई जानकारी के अनुसार मौलाना अरशद मदनी की ओर से दाखिल याचिका पर 16 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी। जमीयत अध्यक्ष मौलाना मदनी ने इसे एक उत्साहजनक प्रगति बताते हुए कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि इस मामले में अदालत से हमें न्याय मिलेगा। क्योंकि इस कानून की कई धाराएं न केवल देश के संविधान के खिलाफ हैं, बल्कि इससे नागरिकों के मौलिक और धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन भी होता है।
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