1500वें ईद मिलादुन्नबी पर गरीबों की मदद का आह्वान, सम्भल में पाँच सितंबर को निकाला जाएगा ईद मिलादुन्नबी का जुलूस। 

Sambhal: आगामी पाँच सितंबर को ईद मिलादुन्नबी का जुलूस शहर में बड़े ही अकीदत और अमन-चैन के साथ निकाला जाएगा। इस अवसर पर उलेमाओं ने मुस्लिम समाज से खास अपील

Aug 27, 2025 - 16:44
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1500वें ईद मिलादुन्नबी पर गरीबों की मदद का आह्वान, सम्भल में पाँच सितंबर को निकाला जाएगा ईद मिलादुन्नबी का जुलूस। 
1500वें ईद मिलादुन्नबी पर गरीबों की मदद का आह्वान, सम्भल में पाँच सितंबर को निकाला जाएगा ईद मिलादुन्नबी का जुलूस। 

उवैस दानिश, सम्भल

Sambhal: आगामी पाँच सितंबर को ईद मिलादुन्नबी का जुलूस शहर में बड़े ही अकीदत और अमन-चैन के साथ निकाला जाएगा। इस अवसर पर उलेमाओं ने मुस्लिम समाज से खास अपील करते हुए कहा है कि सभी लोग अपने-अपने घरों पर झंडे लगाएं और इस दिन कारोबार को बंद रखकर जुलूस में शरीक हों। ईद मिलादुन्नबी का दिन पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब की पैदाइश का दिन है, जिसे दुनिया भर के मुसलमान बड़े जज़्बे और मोहब्बत के साथ मनाते हैं।

जुलूस को लेकर उलेमा कारी वसी अशरफ व मुफ्ती आलम रज़ा नूरी ने कुछ खास हिदायतें भी जारी की हैं। उन्होंने कहा कि जुलूस में डीजे बजाने से परहेज़ किया जाए, क्योंकि यह मौका ईमान और मोहब्बत का है, न कि शोर-शराबे का। इसके अलावा जुलूस में शामिल होने वाले लोग पान, गुटका और तंबाकू खाकर शामिल न हों, ताकि पवित्र माहौल बना रहे और कोई असुविधा न हो। इस बार सम्भल में 1500वें ईद मिलादुन्नबी के मौके पर गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने की भी अपील की गई है। उलेमा ने कहा कि इस मुबारक मौके पर गरीबों को खाना खिलाना, उनकी आर्थिक मदद करना और बीमार मरीजों की सहायता करना सबसे बड़ा नेक काम होगा।

यही असल में ईद मिलादुन्नबी का पैग़ाम भी है कि इंसानियत की सेवा की जाए और मोहब्बत का पैग़ाम फैलाया जाए। जुलूस के दौरान अमन-शांति बनाए रखने और भाईचारे का संदेश देने पर भी जोर दिया गया है। उलेमाओं ने कहा कि सभी लोग जुलूस में शामिल होकर पैग़म्बर साहब की सीरत को याद करें और दूसरों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करें। उन्होंने युवाओं से खास अपील की है कि जुलूस में अनुशासन और तमीज़ बनाए रखें, क्योंकि यही हमारी असल पहचान है। शहर में निकाले जाने वाले जुलूस की तैयारियां जोरों पर हैं। उलेमाओं का कहना है कि ईद मिलादुन्नबी सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि इंसानियत, भाईचारे और मोहब्बत का संदेश है। इसलिए हर मुसलमान को चाहिए कि वह इस दिन को पूरी सज्दगी और नेकनीयती के साथ मनाए।

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