गीत- नारी : अस्तित्व या बीज,  संरचना या सृजन, भूल गया ईश्वर भी...

एक रूप से दूसरे रूप में लड़कपन से औरत बनते कितने रूप कितने रंग....

Mar 8, 2025 - 18:08
 0  32
गीत- नारी : अस्तित्व या बीज,  संरचना या सृजन, भूल गया ईश्वर भी...

गीत- नारी 

रचना- मीतू मिश्रा

नारी 
अस्तित्व या बीज
 संरचना या सृजन
भूल गया ईश्वर भी
खोते देखा कितनी बार
एक रूप से दूसरे रूप में
लड़कपन से औरत बनते
कितने रूप कितने रंग 
संग संग चलते लेकर 
अनजाने सतरंगी सपने
बिंदास अल्हड़ शहजादी सी 
पिता की रियासत में 
आजाद परिंदे मानिन्द
घूमती इठलाती करती मनमानी
मासूम खो जाती है एक ही पल में
धारण कर मौन बंधी बन्धन में 
बनी परिणिता ,
उबलती चाय और कुकर की सीटी में
हो जाती गुम बेटी से पत्नी में
बिना किसी शिकायत के ,
अनजान गली से डरने वाली नन्ही कली
रख लेती है पांव  अजनबी के साथ 
एक नई दुनियां में अनजानों के बीच
बसा कर नई गृहस्थी ले लेती है एक नया स्वरूप
पत्नी  भाभी  बहु ,जीती है खुशी से 
बिना डरे एक नए संसार मे
 शनैः शनैः भूलती स्वयं का नाम
पसंद सपने बदलते रंगों के संग 
एक नई सृष्टि के संग नारी
करती सृजन 
नए फूलों का,नई कोंपलों का
एक नया आधार सृष्टि का
नारी बन स्तम्भ शक्ति का 
देती नया आयाम ईश्वर की सृष्टि को
खोकर स्वयं को 
नारी देती है नया रूप ईश्वर को..

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

INA News_Admin आई.एन. ए. न्यूज़ (INA NEWS) initiate news agency भारत में सबसे तेजी से बढ़ती हुई हिंदी समाचार एजेंसी है, 2017 से एक बड़ा सफर तय करके आज आप सभी के बीच एक पहचान बना सकी है| हमारा प्रयास यही है कि अपने पाठक तक सच और सही जानकारी पहुंचाएं जिसमें सही और समय का ख़ास महत्व है।