Hardoi : हरदोई का स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, जहां रात के अँधेरे में सजती है दलालों की मंडी, अव्यवस्थाओं का है अड्डा, इलाज से ज्यादा दलाली का है राज

हरदोई मेडिकल कॉलेज का महिला अस्पताल जिले की महिलाओं के लिए प्रमुख प्रसव केंद्र है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती हैं। लेकिन हालात ऐसे हैं कि

Nov 11, 2025 - 00:24
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Hardoi : हरदोई का स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, जहां रात के अँधेरे में सजती है दलालों की मंडी, अव्यवस्थाओं का है अड्डा, इलाज से ज्यादा दलाली का है राज
Hardoi : हरदोई का स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, जहां रात के अँधेरे में सजती है दलालों की मंडी, अव्यवस्थाओं का है अड्डा, इलाज से ज्यादा दलाली का है राज

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में स्थित स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, जिसे आम बोलचाल में हरदोई मेडिकल कॉलेज के नाम से जाना जाता है, यहां का महिला अस्पताल मरीजों के लिए किसी दर्दनाक कहानी से कम नहीं। यह संस्थान, जो महिलाओं और नवजातों की देखभाल का केंद्र होना चाहिए, आज अव्यवस्थाओं, दलाली और बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है।हाल की घटनाओं और स्थानीय रिपोर्टों से पता चलता है कि रात के अंधेरे में यहां दलालों की मंडी सज जाती है, जहां प्राइवेट एम्बुलेंस चालक से लेकर आशा कार्यकर्ता तक मरीजों को लूटने का धंधा चला रहे हैं। अस्पताल की नई इमारतें भी मरम्मत की गुहार लगा रही हैं, जबकि डॉक्टरों की कमी और पुरुष चिकित्सकों द्वारा डिलिवरी जैसे संवेदनशील कार्यों को संभालना महिलाओं की गरिमा पर सवाल खड़ा कर रहा है। ये समस्याएं नई नहीं हैं, लेकिन हाल के महीनों में इन्होंने और तीव्र रूप धारण कर लिया है, जिससे मरीजों की जान पर बन आई है।हरदोई मेडिकल कॉलेज का महिला अस्पताल जिले की महिलाओं के लिए प्रमुख प्रसव केंद्र है। यहां प्रतिदिन सैकड़ों गर्भवती महिलाएं इलाज के लिए पहुंचती हैं। लेकिन हालात ऐसे हैं कि कई बार महिलाओं को उचित देखभाल के अभाव में निजी अस्पतालों की ओर धकेल दिया जाता है। एक हालिया घटना में, मल्लावां तहसील की रहने वाली सूरजमुखी नाम की महिला को डीएनसी (डाइलेशन एंड क्योरेटेज) के लिए मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। आरोप है कि अस्पताल के दलालों ने उसे गुमराह कर एक निजी अस्पताल, धन्वन्तरी हॉस्पिटल, में भेज दिया।वहां मात्र 24 घंटों में 56 हजार रुपये का बिल थमा दिया गया। जब परिवार ने भुगतान का प्रमाण मांगा, तो अस्पताल प्रबंधन ने धमकियां देनी शुरू कर दीं। यह मामला स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत को उजागर करता है। स्थानीय पत्रकारों और सोशल मीडिया पोस्ट्स के अनुसार, ऐसी घटनाएं आम हैं। रात के समय प्राइवेट एम्बुलेंस वाले मरीजों को लाने के बहाने अस्पताल के बाहर इंतजार करते हैं और फिर उन्हें महंगे निजी केंद्रों में ले जाते हैं, जहां बिलें हजारों में उछल जाती हैं।अस्पताल के लेबर रूम में स्थिति और भी चिंताजनक है। यहां डिलिवरी के दौरान महिला डॉक्टरों की कमी के कारण पुरुष चिकित्सक ही मरीजों को देखते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कई महिलाओं ने शिकायत की है कि संवेदनशील प्रक्रिया जैसे डिलिवरी और टांके लगाने का काम पुरुष डॉक्टर कर रहे हैं, जो गोपनीयता और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के खिलाफ है।जून 2025 में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें आईसीयू वार्ड में बिजली गुल होने से मरीज और तीमारदार पंखे से हवा झलने को मजबूर थे। यह वीडियो हरदोई के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलता है। डॉक्टरों की कमी इतनी गंभीर है कि ओपीडी में चैंबर तक उपलब्ध नहीं हैं। मरीज घंटों इंतजार करते हैं, और कई बार इलाज अधर में लटक जाता है।सितंबर 2024 में स्वास्थ्य मंत्री असीम अरुण ने अस्पताल का दौरा किया था। उन्होंने कमीशनखोरी के आरोप लगाते हुए डीएम से तीन घंटे में जांच रिपोर्ट मांगी। जांच में पाया गया कि दवाएं बाहर से लिखी जा रही थीं, अल्ट्रासाउंड जैसी सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद निजी केंद्रों को भेजा जा रहा था।

अस्पताल की भौतिक स्थिति भी दयनीय है। नई इमारत का प्लास्टर टूटकर गिर रहा है, टाइलें उखड़ गई हैं, और दीवारें दरक रही हैं। ये निर्माण हाल ही में पूरे हुए थे, लेकिन रखरखाव की कमी से ये जल्दी ही जीर्ण-शीर्ण हो गए। तीमारदारों के लिए लगाई गई कुर्सियां टूटी पड़ी हैं, जिन पर बैठना जोखिम भरा है। वॉश बेसिन तो सजे हुए हैं, लेकिन उनमें नल के फिटिंग्स गायब हैं, जिससे ये केवल दिखावे के लिए रह गए हैं। लिफ्टें ऐसी हैं मानो कभी चालू ही न हुई हों। बुजुर्ग मरीजों और गर्भवताओं को सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।अस्पताल के भीतर सीढ़ियां तो साइकिल स्टैंड की तरह इस्तेमाल हो रही हैं, जहां स्टाफ अपनी साइकिलें खड़ी करता है। पीने के पानी की मशीनें खराब पड़ी हैं, और मरीजों को बाहर से पानी लाना पड़ता है। ये सभी समस्याएं जून 2025 की एक रिपोर्ट में उजागर हुईं, जब कांग्रेस नेता ने वीडियो शेयर कर सरकार पर सवाल उठाए।

हरदोई जिला अस्पताल, जो अब मेडिकल कॉलेज के अधीन है, की ये अव्यवस्थाएं जिले भर में फैल रही हैं। सवायजपुर तहसील में डॉक्टर तो हैं, लेकिन मरीजों को जल्दी रेफर कर दिया जाता है। बिलग्राम, माधौगंज और शाहाबाद के स्वास्थ्य केंद्रों में भी पानी और दवाओं की किल्लत है। अक्टूबर 2024 में समाजवादी पार्टी ने ट्वीट कर बताया कि फर्रुखाबाद के पास अल्ट्रासाउंड मशीन चार महीने से खराब पड़ी है, जबकि हरदोई में व्हीलचेयर और स्ट्रेचर की कमी से मरीजों को गोद में उठाकर ले जाना पड़ता है। नवंबर 2025 में एक अन्य घटना में, फतेहपुर के जिला अस्पताल में ओपीडी से डॉक्टर गायब थे, और दलाल एक्स-रे रूम में सक्रिय पाए गए। सीएमएस ने दो संदिग्धों को पकड़ा, लेकिन समस्या जड़ से खत्म नहीं हुई। हरदोई में भी एक्स-रे के लिए मरीजों को 72 किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है, क्योंकि रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती 10 महीने से नहीं हुई।ये हालात मरीजों के लिए घातक साबित हो रहे हैं। एक गर्भवती महिला को निजी अस्पताल में लापरवाही से मृत भ्रूण निकाल दिया गया, लेकिन प्लेसेंटा गर्भाशय में छोड़ दिया गया, जिससे ब्लीडिंग शुरू हो गई। अंततः मेडिकल कॉलेज महिला अस्पताल में पहुंचकर उसकी जान बची। परिवार ने शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कार्रवाई धीमी है। जिले में सड़क हादसों के शिकार मरीजों के लिए ट्रॉमा सेंटर की कमी है। विशेषज्ञ डॉक्टर जैसे जनरल सर्जन, एनेस्थीसियोलॉजिस्ट और कार्डियोलॉजिस्ट के पद खाली पड़े हैं। 25 स्वीकृत डॉक्टरों में से केवल 12 तैनात हैं। ओटी टेक्नीशियन, वार्ड बॉय और चपरासी जैसे स्टाफ की कमी से सेवाएं चरमरा गई हैं।सरकार की ओर से कई घोषणाएं हुई हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने का वादा किया है, लेकिन जमीन पर स्थिति उलटी है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, जो स्वास्थ्य मंत्री हैं, के दौरे के बावजूद मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा। जिला मजिस्ट्रेट अनुनय झा ने कहा कि स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक कर सुधार किए जाएंगे। लेकिन स्थानीय लोग आश्वासनों से तंग आ चुके हैं। एक तीमारदार ने बताया, "यहां आकर लगता है कि अस्पताल को ही इलाज की जरूरत है।" यहां दलाली रोकने के लिए सख्त निगरानी और सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए।

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