Hardoi : कस्बा बावन में स्वामी श्रद्धानंद की 99वीं जयंती पर कार्यक्रम
स्वामी श्रद्धानंद का जन्म 1856 में पंजाब के जालंधर जिले के तलवान गांव में मुंशी राम के नाम से एक खत्री परिवार में हुआ था। उनके पिता नानक चंद ब्रिटिश शासन में पुलिस अधिकारी थे
कस्बा बावन में स्वामी श्रद्धानंद की 99वीं जयंती के अवसर पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर एक सभा आयोजित की गई। आरएसएस के जिला सह प्रशासन प्रमुख सौरभ अग्निहोत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि स्वामी श्रद्धानंद स्वराज्य, स्वधर्म और स्वाभिमान की जीती-जागती मिसाल थे। उनका पूरा जीवन देश और धर्म के लिए समर्पित रहा।
स्वामी श्रद्धानंद का जन्म 1856 में पंजाब के जालंधर जिले के तलवान गांव में मुंशी राम के नाम से एक खत्री परिवार में हुआ था। उनके पिता नानक चंद ब्रिटिश शासन में पुलिस अधिकारी थे। युवावस्था में वे स्वामी दयानंद सरस्वती के प्रभाव में आए, जिनके हरिद्वार सम्मेलन में पिता के साथ गए और उनके भाषण से बहुत प्रभावित हुए। इसके बाद उन्होंने वैदिक धर्म के प्रचार, शुद्धि आंदोलन और समाज सुधार के कार्य शुरू किए। आर्य समाज के प्रमुख नेता बनकर उन्होंने गुरुकुल कांगड़ी जैसे शिक्षा संस्थान स्थापित किए, दलित उत्थान किया, महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा दिया और लाखों लोगों को हिंदू धर्म में वापस लाने का काम किया। 1926 में दिल्ली में कट्टर मुस्लिम युवक अब्दुल रशीद ने उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी।
सौरभ अग्निहोत्री ने बताया कि स्वामी श्रद्धानंद ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई और अछूतों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने कहा कि आज भी कई लोग ऐसे महापुरुषों के वास्तविक योगदान से अनजान हैं, जबकि आजाद भारत में उनकी भूमिका को इतिहास में उचित स्थान नहीं मिला। इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के कमलेश सोनी, बबलू शुक्ला, भूपेंद्र अवस्थी, अंजनी पांडेय, उमाकांत पाठक, सचिन शुक्ला, पुनीत मिश्रा, रामवीर यादव, राजीव शुक्ला, राजेश यादव, गौरव सिंह समेत अन्य लोग उपस्थित रहे।
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