हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में भूस्खलन से बस पर मलबा गिरा: 18 लोगों की मौत, तीन बचाए गए, पीएम ने दो लाख रुपये मुआवजे की घोषणा की।
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में मंगलवार की शाम एक दर्दनाक हादसा हो गया। झंडूता उपमंडल के भालूगढ़ क्षेत्र में भल्लू पुल के पास पहाड़ी से अचानक भारी मलबा और चट्टानें खिसक
हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में मंगलवार की शाम एक दर्दनाक हादसा हो गया। झंडूता उपमंडल के भालूगढ़ क्षेत्र में भल्लू पुल के पास पहाड़ी से अचानक भारी मलबा और चट्टानें खिसक गईं। इसकी चपेट में आ गई एक प्राइवेट बस, जो मारोटन से घुमारवीं की ओर जा रही थी। बस में सवार 30 से 35 लोगों में से 18 की मौके पर ही मौत हो गई। तीन लोगों को बचाने में सफलता मिली, जबकि कई अन्य घायल बताए जा रहे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है, क्योंकि कुछ लोग मलबे में फंसे हो सकते हैं। यह हादसा भारी बारिश के कारण हुआ, जिसने पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन का खतरा बढ़ा दिया था।
घटना शाम करीब 6:30 बजे की बताई जा रही है। बस का नाम संतोषी था, जो पथांकोट-मंडी नेशनल हाईवे पर चल रही थी। अचानक पहाड़ी से विशाल चट्टानें और मिट्टी का ढेर बस पर गिर पड़ा। बस पूरी तरह मलबे के नीचे दब गई। चश्मदीदों ने बताया कि बस के ड्राइवर को आखिरी पल में कुछ संभलने का मौका मिला, लेकिन वह भी बच नहीं सका। स्थानीय लोग पहली नजर में ही रेस्क्यू में जुट गए। उन्होंने हाथों से मलबा हटाया और कुछ यात्रियों को बाहर निकाला। एक बच्चे को सुरक्षित बचाया गया, जिसकी हालत गंभीर है। घायलों को घुमारवीं कम्युनिटी हेल्थ सेंटर और झंडूता अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों ने बताया कि कई लोगों को सिर और छाती में गंभीर चोटें आई हैं।
हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन ने तुरंत रेस्क्यू टीम भेजी। एनडीआरएफ की दो टीमें मौके पर पहुंचीं। जेसीबी और अन्य मशीनरी से मलबा हटाने का काम चल रहा है। बिलासपुर के डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि रात भर ऑपरेशन चलेगा, ताकि किसी को भी फंसा न रह जाए। स्थानीय विधायक जे.आर. कटवाल ने खुद साइट का दौरा किया। उन्होंने बताया कि 18 शव बरामद हो चुके हैं, लेकिन संख्या बढ़ सकती है। सड़क को अवरुद्ध कर दिया गया है, जिससे आसपास के इलाकों में ट्रैफिक जाम हो गया। राहत कार्यों के लिए हेलिकॉप्टर की व्यवस्था भी की गई है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी थी कि भारी बारिश के बाद भूस्खलन का खतरा है, लेकिन इतना बड़ा हादसा किसी ने न सोचा था।
यह हादसा हिमाचल प्रदेश के लिए एक बड़ा झटका है। राज्य में मानसून के बाद भी बारिश जारी है। मंगलवार को बिलासपुर में 12.7 मिलीमीटर बारिश हुई, जो सामान्य से ज्यादा थी। इससे पहाड़ियां कमजोर हो गईं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हादसे पर गहरा शोक जताया। उन्होंने कहा कि यह खबर ने उन्हें हिला दिया है। सीएम ने तुरंत राहत कार्यों के निर्देश दिए। उन्होंने मृतकों के परिवारों को पांच लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता का ऐलान किया। सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार हर संभव मदद करेगी। उन्होंने रेस्क्यू टीमों को तेजी से काम करने का आदेश दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हादसे पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि बिलासपुर में हुए हादसे से स्तब्ध हूं। मेरी संवेदनाएं प्रभावित परिवारों के साथ हैं। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। पीएम ने मृतकों के परिजनों को दो लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की एक्स ग्रेटिया की घोषणा की। यह राशि पीएम राष्ट्रीय राहत कोष से दी जाएगी। गृह मंत्री अमित शाह ने भी शोक संदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ टीमें मौके पर हैं और रेस्क्यू में जुटी हैं। शाह ने परिवारों के प्रति संवेदना जताई। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी दुख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यह दुखद घटना है। प्रार्थना करती हूं कि घायल जल्द ठीक हों।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी हादसे पर शोक जताया। उन्होंने ट्वीट में कहा कि हिमाचल के बिलासपुर में भूस्खलन से हुए हादसे से आहत हूं। शोक संतप्त परिवारों के साथ हूं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हिमाचल के लोगों के साथ हैं। कई अन्य राज्यों के नेता जैसे पंजाब के भगवंत मान ने भी मदद का भरोसा दिया। सोशल मीडिया पर लोग हादसे की तस्वीरें शेयर कर रहे हैं। कई यूजर्स ने सरकार से सड़कों की मरम्मत की मांग की। एक पोस्ट में लिखा गया कि पहाड़ी इलाकों में बारिश के मौसम में सतर्कता जरूरी है।
हिमाचल प्रदेश में भूस्खलन की घटनाएं आम हैं। पिछले साल 2024 में मानसून के दौरान 100 से ज्यादा भूस्खलन हुए थे। मंडी और किन्नौर में सड़कें बंद हो गई थीं। 2023 में भी कुल्लू में एक बस हादसे में 10 लोग मारे गए थे। विशेषज्ञ कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन से बारिश का पैटर्न बदल गया है। पहाड़ियां कटाई और निर्माण से कमजोर हो रही हैं। सरकार ने भूस्खलन चेतावनी प्रणाली लगाई है, लेकिन जमीनी स्तर पर लागू करने में कमी है। एनजीटी ने कई बार हिमाचल सरकार को चेतावनी दी है। राज्य में 500 से ज्यादा भूस्खलन संवेदनशील क्षेत्र हैं। इस हादसे के बाद फिर जांच के आदेश दिए गए हैं।
बिलासपुर जिला गोविंद सागर झील के किनारे बसा है। यहां कृषि और पर्यटन प्रमुख हैं। झंडूता एक पहाड़ी इलाका है, जहां सड़कें संकरी हैं। भल्लू पुल नेशनल हाईवे पर महत्वपूर्ण है। हादसे के बाद स्थानीय लोग सदमे में हैं। एक ग्रामीण ने कहा कि बस में उनके रिश्तेदार थे। परिवार रो रहे हैं। एक महिला ने बताया कि बच्चे को बचाने वाले को सलाम। रेस्क्यू में एनजीओ भी मदद कर रहे हैं। अस्पतालों में खून की जरूरत है। ब्लड डोनेशन कैंप लगाए गए हैं। स्कूलों में प्रार्थना सभा हुई।
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