राजस्थान विश्वविद्यालय में RSS शस्त्र पूजा कार्यक्रम पर NSUI का विरोध, तोड़फोड़ और पुलिस लाठीचार्ज से तनाव

स्थिति बिगड़ते ही पुलिस पहुंची। जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के तहत तैनात फोर्स ने हल्का लाठीचार्ज किया। इसमें तीन NSUI कार्यकर्ता घायल हो गए, जिन्हें एसएमएस ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया। पुलिस ने

Oct 1, 2025 - 13:33
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राजस्थान विश्वविद्यालय में RSS शस्त्र पूजा कार्यक्रम पर NSUI का विरोध, तोड़फोड़ और पुलिस लाठीचार्ज से तनाव
राजस्थान विश्वविद्यालय में RSS शस्त्र पूजा कार्यक्रम पर NSUI का विरोध, तोड़फोड़ और पुलिस लाठीचार्ज से तनाव

जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर में सोमवार को एक छोटे से कार्यक्रम ने बड़ा बवाल खड़ा कर दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में शस्त्र पूजा कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम का विरोध करने पहुंचे भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने बैनर फाड़े, स्टेज पर हंगामा किया और तोड़फोड़ मचाई। जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई छात्र घायल हो गए। विपक्षी नेता अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने इसे निंदनीय बताते हुए सरकार पर राजनीतिक दबाव का आरोप लगाया। यह घटना न केवल छात्र राजनीति की कड़वाहट को उजागर करती है, बल्कि शिक्षा संस्थानों में राजनीतिक गतिविधियों पर बहस को भी जन्म दे रही है।

घटना दोपहर करीब एक बजे की है। विश्वविद्यालय के सेंट्रल पार्क में RSS के स्वयंसेवक शाखा लगा रहे थे। बारिश होने पर वे एक कवर वाले स्थान पर शिफ्ट हो गए। वहां शस्त्र पूजा का कार्यक्रम निर्धारित था, जो RSS के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य भी मौजूद थे। तभी NSUI के करीब 50-60 कार्यकर्ता नारों के साथ पहुंचे। उनका कहना था कि शिक्षा का मंदिर राजनीतिक या वैचारिक प्रचार का स्थान नहीं हो सकता। NSUI प्रदेश अध्यक्ष विनोद जाखड़ ने बताया कि उन्होंने शांतिपूर्ण विरोध की योजना बनाई थी, लेकिन जब वे बैनर के पास पहुंचे तो हल्की धक्कामुक्की हुई। वीडियो फुटेज में दिखा कि कुछ NSUI कार्यकर्ताओं ने RSS के बैनर को फाड़ दिया, जिसमें भारत माता, भगवा ध्वज और RSS संस्थापक डॉ. हेडगेवार की तस्वीरें लगी थीं। इससे गुस्साए RSS स्वयंसेवकों ने लाठियां उठाईं और NSUI कार्यकर्ताओं को खदेड़ा।

स्थिति बिगड़ते ही पुलिस पहुंची। जयपुर पुलिस कमिश्नरेट के तहत तैनात फोर्स ने हल्का लाठीचार्ज किया। इसमें तीन NSUI कार्यकर्ता घायल हो गए, जिन्हें एसएमएस ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया। पुलिस ने 20 से ज्यादा NSUI सदस्यों को हिरासत में लिया। एक वाहन के शीशे टूटे और परिसर में कुछ तोड़फोड़ हुई। NSUI के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश कुमार भाटी ने कहा कि पुलिस ने छात्रों पर बेरहमी से लाठियां बरसाईं और उनके वाहनों को नुकसान पहुंचाया। उन्होंने इसे असहनीय बताया और कहा कि यह छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश है। वहीं, RSS और ABVP के पक्ष में सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिसमें दिखाया जा रहा है कि NSUI कार्यकर्ता भागते नजर आ रहे हैं। ABVP के एक सदस्य ने कहा कि उनका कार्यक्रम शांतिपूर्ण था और NSUI ने बिना वजह हंगामा किया।

राजनीतिक रंग तुरंत ही इस घटना पर चढ़ गया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर RSS पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि शस्त्र पूजा जैसा कार्यक्रम विश्वविद्यालय में रखना आपत्तिजनक है। शिक्षा के स्थान को राजनीतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करना गलत है। NSUI के विरोध पर पुलिस का बल प्रयोग और RSS कार्यकर्ताओं द्वारा मारपीट को उन्होंने कानून व्यवस्था के खात्मे का संकेत बताया। गहलोत ने आरोप लगाया कि RSS एक्स्ट्रा-कॉन्स्टिट्यूशनल अथॉरिटी बन गई है और पुलिस उसके दबाव में है। उन्होंने कहा कि यह घटना पुलिस की मौजूदगी में हुई, जो शर्मनाक है। इसी तरह, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने ट्वीट कर लाठीचार्ज को निंदनीय कहा। उन्होंने घायल छात्रों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की और कहा कि शिक्षण संस्थान राजनीति का केंद्र न बनें। पायलट ने NSUI की पहल को छात्र अधिकारों की रक्षा का प्रयास बताया।

विपक्ष के नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी दोपहर को ही एसएमएस अस्पताल पहुंचकर घायल छात्रों से मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से अपील की कि हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किया जाए। जूली ने कहा कि BJP-RSS की नफरत भरी राजनीति के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध पर यह दमन अस्वीकार्य है। वाहनों की तोड़फोड़ और गिरफ्तारियां लोकतंत्र पर हमला हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने भी बयान जारी कर कहा कि RSS को बिल में घुसा देंगे, जैसे बयान के बाद यह घटना संयोग नहीं लगती। दूसरी ओर, BJP ने इसे कांग्रेस की साजिश बताया। राज्य BJP अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि NSUI की गुंडागर्दी छात्र राजनीति को कलंकित कर रही है। उन्होंने RSS के कार्यक्रम को सांस्कृतिक बताया और कहा कि विरोध के नाम पर तोड़फोड़ जायज नहीं।

विश्वविद्यालय प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठे। कुलपति ने RSS को अनुमति दी थी, जिसे NSUI ने पक्षपातपूर्ण बताया। विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि कार्यक्रम के लिए पहले अनुमति ली गई थी और यह शाखा का हिस्सा था। लेकिन विपक्ष का कहना है कि ऐसे आयोजनों से कैंपस का माहौल खराब होता है। राजस्थान विश्वविद्यालय, जो 1947 में स्थापित हुआ, पहले भी छात्र आंदोलनों का केंद्र रहा है। 2024 में NSUI ने 12 मांगों पर प्रदर्शन किया था, जिसमें छात्र संघ चुनाव बहाल करने की बात थी। लेकिन इस बार मामला वैचारिक टकराव का लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि कैंपस में राजनीतिक संगठनों की मौजूदगी स्वाभाविक है, लेकिन हिंसा कहीं से जायज नहीं।

सोशल मीडिया पर यह घटना ट्रेंड कर रही है। RSSGoBack और RajasthanUniversity जैसे हैशटैग वायरल हैं। कुछ यूजर्स NSUI को कायर बता रहे हैं, तो कुछ पुलिस की बर्बरता पर सवाल उठा रहे हैं। वीडियो में दिखा कि बारिश के बीच छात्र भाग रहे हैं और लाठियां चल रही हैं। NSUI ने कहा कि वे आगे भी विरोध जारी रखेंगे। पुलिस ने कहा कि जांच चल रही है और दोषियों पर कार्रवाई होगी। मुख्यमंत्री कार्यालय से अभी कोई बयान नहीं आया, लेकिन विपक्ष दबाव बना रहा है।

यह घटना राजस्थान की राजनीति को और गर्म कर सकती है। 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद BJP सत्ता में है, लेकिन कांग्रेस लगातार मुद्दे उठा रही है। छात्र संगठन जैसे NSUI और ABVP अक्सर आमने-सामने आते हैं। NSUI, जो 1971 में इंदिरा गांधी ने स्थापित किया, कांग्रेस का छात्र विंग है। वहीं ABVP RSS से जुड़ा है। ऐसे टकराव कैंपस को अस्थिर करते हैं। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शांति बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन यह घटना एक सबक है कि वैचारिक मतभेदों को हिंसा में नहीं बदलना चाहिए।

परिवारों का दर्द भी जुड़ा है। घायल छात्रों के परिजन अस्पताल पहुंचे। एक मां ने कहा कि बेटा पढ़ाई के लिए गया था, हिंसा के लिए नहीं। प्रशासन ने आश्वासन दिया कि जांच होगी। उम्मीद है कि यह विवाद शांत हो और कैंपस पढ़ाई का केंद्र बने। अन्य राज्यों में भी ऐसे मामले देखे गए हैं, जैसे 2022 में कर्नाटक में NSUI का विरोध। लेकिन राजस्थान में यह राजनीतिक रंग ज्यादा गहरा है। कुल मिलाकर, यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि शिक्षा और राजनीति की सीमा कहां होनी चाहिए। छात्रों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दोनों जरूरी हैं। तभी लोकतंत्र मजबूत होगा।

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