Sitapur : धरने का कारण बना एडीओ पंचायत की घोर लापरवाही- सरोज सिंह
जांच व कार्यवाही हेतु तत्कालीन बीडीओ ने एडीओ पंचायत को लिखा। फिर भी पंचायत भवन नहीं खुला। जो गांव के विकास का केन्द्र होने के साथ साथ मुख्यमंत्री की प्रथम वरी
इमलिया सुल्तानपुर सीतापुर विकास खण्ड ऐलिया के अंतर्गत ग्राम पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन अन्तर्गत 47 शौचालय का धन का गमन हो गया, ग्राम पंचायत सदस्यों की लिखित मांग के बावजूद ग्राम सचिवालय/पंचायत भवन का उपयोग नहीं हुआ, विद्यालय कायाकल्प न कराकर पक्के कार्य पर धन व्यय कर दिया। 16 जनवरी 2024 को उचितदर विक्रेता चयन बैठक की फाइल गायब कर दी गई। बीडीओ कार्यालय से लेकर आईजीआरएस के माध्यम से समय समय पर शिकायतें होती रहीं। राज्य/केन्द्रीय वित्त व एसबीएम निधि पंचायत विभाग के आधीन होने के चलते एडीओ पंचायत को जांच मिलती रही। जांच के नाम पर मात्र खाना पूर्ति कर अपने अधीनस्थ को बचाते रहे। मामला तो तब बिगड़ा जब एडीओ पंचायत ने कोटा चयन बैठक हेतु अगली तिथि न देने की पैरवी करते हुये अपने पद का दुरूपयोग करके रिस्तेदारी निभाने लगे। उक्त आरोप धरने की अगुवाई कर रहे वरिष्ठ पत्रकार सरोज सिंह का है। सिंह ने बताया कि वर्ष 2020/21 में स्वच्छ भारत मिशन अन्तर्गत बनने वाले व्यक्ति गत शौंचालय की धनराशि तत्कालीन प्रधान व सचिव ने निकाली थी। उक्त धनराशि से बनने वाले 47 शौंचालय न बनवाकर धन व्यपहरण कर लिया था।
जिसकी शिकायत ग्राम पंचायत के सरांयजीत निवासी उमेश पाल सिंह ने पहले बीडीओ कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई। जब जांच नहीं हुई तो 27-10-2023 को आईजीआरएस संख्या 40015423072301 के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई। तो अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुये उन्हे पंचायतराज शासनादेश 18 अप्रैल 2019 का हवाला देकर निस्तारण रिपोर्ट प्रेषित कर दी। जब उक्त शासनादेश के अन्तर्गत उमेश पाल सिंह ने पुन: 2 फरवरी 2024 को शपथ पत्र व साक्ष्य के साथ शिकायत दर्ज कराई तो शिकायती पत्र सहित फाइल गायब कर दी गई। श्री सिंह ने बताया कि पंचायत भवन संचालित करने के लिये मेरे साथ चार सदस्यों ने बीडीओ कार्यालय में दिनांक 08-01-2024 को प्रार्थना पत्र दिया।
जांच व कार्यवाही हेतु तत्कालीन बीडीओ ने एडीओ पंचायत को लिखा। फिर भी पंचायत भवन नहीं खुला। जो गांव के विकास का केन्द्र होने के साथ साथ मुख्यमंत्री की प्रथम वरीयता में भी है। वहीं 14 मई 2025 को बीडीओ कार्यालय में शिकायती पत्र रिसीव कराते हुये मैने जूनियर विद्यालय सरांयजीत में शौंचालय निर्माण कराने, टायलीकरण के धन दुरूपयोग आदि की शिकायत मेरे द्वारा दर्ज कराई गई। जांच एडीओ पंचायत को मिली, इसके अतिरिक्त आईजीआरएस के माध्यम से भी शिकायत दर्ज कराई। जांच के नाम पर मुझ शिकायत कर्ता को बिना बताये ही एडीओ पंचायत ने फर्जी रिपोर्ट लगा दी। यह कहां का नियम है। जबकि राज्य वित्त/केन्द्रीय वित्त, एसबीएम व एसएलडब्लूएम जैसी योजनाओं पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी स्वयं एडीओ पंचायत की होती है। जिसके एवज में भ्रमण भत्ता भी तयं है। एडीओ पंचायत की इसी लापरवाही ने ग्रामीणों को अनिश्चित कालीन धरने व भूंख हड़ताल करने पर मजबूर किया है। भूंख हड़ताल पर बैठे दो लोग धीरे धीरे गंभीर होने लगे हैं। धरने पर बैठे हम ग्रामीणों के साथ यदि कोई अप्रिय घटना होती है। तो हम सीधे डीपीआरओ को जिम्मेदार मानेगे।
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