Sitapur News: कोल्हुआ बरेठी से मिश्रिख पहुंचा, अंतिम पड़ाव मिश्रिख पहुंचा रामादल,शुरू की पंच कोसी परिक्रमा

महर्षि दधीचि कुंड में स्नान व पूजन के बाद श्रद्धालु पंच कोसी परिक्रमा शुरू करते हैं। परिक्रमा की विशेषता यह है कि इसे मिश्रिख में किसी भी स्थान से शुरू कर सकते हैं। परिक्रमा कर उसी स्थान पर पहुंच..

Mar 11, 2025 - 23:18
 0  50
Sitapur News: कोल्हुआ बरेठी से मिश्रिख पहुंचा, अंतिम पड़ाव मिश्रिख पहुंचा रामादल,शुरू की पंच कोसी परिक्रमा

By INA News Sitapur.

Report: संदीप चौरसिया INA NEWS ब्यूरो Sitapur

चौरासी कोसी परिक्रमा का रामादल अंतिम 11वें पड़ाव महर्षि दधीचि की नगरी मिश्रिख पहुंच गया है। मंगलवार की सुबह भजन-कीर्तन और सियाराम के जयकारे लगाते श्रद्धालुओं ने पौराणिक दधीचि कुंड व सीता कुंड में स्नान किया। इसी क्रम में विश्राम के बाद मिश्रिख की पंच कोसी परिक्रमा शुरू कर दी। पंच कोसी परिक्रमा के बाद श्रद्धालु अपने घरों के लिए रवाना होंगे। सुबह कोल्हुआ बरेठी, चित्रकूट से श्रद्धालु मिश्रिख के लिए रवाना हुए थे। साधु-महात्मा व संत अपने विशेष रथों पर सवार थे। हाथी-घोड़ा तो कोई पालकी पर सवार था। परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओ ने परिक्रमा पथ पर दंडवत करते दिखे विभिन्न प्रांतों से पहुंचे श्रद्धालु अपनी पारंपरिक शैली में संगीतमय भजन गाते चल रहे थे।

  • कोल्हुआ बरेठी से मिश्रिख तक पहुँचने पर व्यासपीठाधीश के स्वागत में जगह-जगह भंडारे आयोजित

अपने अंतिम पड़ाव महाऋषि दधीचि की नगरी मिश्रिख पहुचे पर व्यासपीठाधीश अनिल कुमार शास्त्री का भव्य स्वागत अरविंद पांडये द्वारा किया गया व प्रसाद वितरण किया गया शनिवार से श्रद्धालुओं का यहां आवागमन होने लगा था। लेकिन,ज्यादातर परिक्रमार्थी मंगलवार को मिश्रिख पहुंचे,जिन्होंने अपना डेरा लगाया। साधु-महात्मा और संतों के डेरे भी लगे थे।विभिन्न परंपरा के साधु व महात्मा अपनी शैली में साधना में लीन दिखे। वहीं, दधीचि कुंड और सीता कुंड पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहा। स्नान व ध्यान के बाद श्रद्धालुओं ने पंच कोसी परिक्रमा शुरू की पंच कोसी परिक्रमा पथ राम-नाम के जयकारों से गुंजायमान था।

  • यह है प्रमुख दर्शनीय स्थल 

मिश्रिख में महर्षि दधीचि कुंड, दधीचि मंदिर, अष्टभुजा मंदिर, सीता कुंड, नर्मदेश्वर मंदिर, शेषनाथ मंदिर, बड़ा हनुमान मंदिर, शिव मंदिर, काली मंदिर आदि प्रमुख स्थान हैं। 

  • यह है पंच कोसीय परिक्रमा का महत्व 

महर्षि दधीचि कुंड में स्नान व पूजन के बाद श्रद्धालु पंच कोसी परिक्रमा शुरू करते हैं। परिक्रमा की विशेषता यह है कि इसे मिश्रिख में किसी भी स्थान से शुरू कर सकते हैं। परिक्रमा कर उसी स्थान पर पहुंचकर इसकी पूर्णाहुति होती है। कथाव्यास रंजीत दीक्षित बताते है कि जो श्रद्धालु चौरासी कोसीय परिक्रमा में भाग नही ले पाते है व पंच कोसीय कर लेते है जिससे उनको वही पुण्य की प्राप्ति होती है।

महाऋषि दधीचि परिक्रमा महामहोत्सव के मुख्य यजमान मनोज जोशी हल्द्वानी उत्तराखंड निवासी के लिए सन्तो ने की मंगलकामना कर प्रति वर्ष ऐसे ही परिक्रमा में भाग लेते रहे और सनातन धर्म की रक्षा के लिए तत्पर रहे ऐसा आशीर्वाद दिया।हुँचने पर व्यासपीठाधीश के स्वागत में जगह-जगह भंडारे आयोजित किए गए।

Also Read: Ballia News: दीवानी न्यायालय परिसर में स्वास्थ्य परीक्षण एवं रक्तदान शिविर का हुआ आयोजन

अपने अंतिम पड़ाव महाऋषि दधीचि की नगरी मिश्रित पहुचने पर व्यासपीठाधीश अनिल कुमार शास्त्री का भव्य स्वागत अरविंद पांडये द्वारा करके प्रसाद वितरण किया गया। शनिवार से श्रद्धालुओं का यहां आवागमन होने लगा था। लेकिन , ज्यादातर परिक्रमार्थी मंगलवार को मिश्रित पहुंचे,जिन्होंने अपना डेरा लगाया। साधू महात्मा और संतों के डेरे भी लगे थे। विभिन्न परंपरा के साधू व महात्मा अपनी शैली में साधना में लीन दिखे। वहीं, दधीचि कुंड और सीता कुंड पर श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहा। स्नान व ध्यान के बाद श्रद्धालुओं ने पंच कोसी परिक्रमा शुरू की पंच कोसी परिक्रमा पथ राम-नाम के जयकारों से गुंजायमान होता रहा।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow