Delhi Blast : दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके में मिले दो जिंदा कारतूस और दो प्रकार के विस्फोटक के सैंपल

जांच में अब यह नया तथ्य सामने आया है कि फॉरेंसिक टीम ने कार से संबंधित इलाके में दो जिंदा कारतूस तथा दो प्रकार के विस्फोटक सर्वेक्षण योग्य सैंपल भी जुटाए हैं

Nov 11, 2025 - 22:35
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Delhi Blast : दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके में मिले दो जिंदा कारतूस और दो प्रकार के विस्फोटक के सैंपल
Delhi Blast : दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके में मिले दो जिंदा कारतूस और दो प्रकार के विस्फोटक के सैंपल

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के पुराने शहर के हिस्से में स्थित लाल किला के बाहर सोमवार शाम हुए कार धमाके की जांच अब उग्र मोड़ पर है। अधिकारियों के मुताबिक, घटनास्थल से दो जिंदा कारतूस, इसके अलावा दो अलग किस्म के विस्फोटक पदार्थों के सैंपल बरामद हुए हैं, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं बल्कि जानबूझकर किया गया हमला होने की संभावना अधिक है।

घटना सोमवार शाम करीब 6 50 बजे उस समय हुई जब एक सफेद रंग की कार (जानकारी के अनुसार Hyundai i20) लाल किले के निकट मेट्रो स्टेशन के पास रेड सिग्नल पर रुकी थी। उसी दौरान उसमें अचानक विस्फोट हुआ। इस धमाके में कई लोगों की जान चली गई और आसपास की dozens वाहन क्षतिग्रस्त हो गए।

जांच में अब यह नया तथ्य सामने आया है कि फॉरेंसिक टीम ने कार से संबंधित इलाके में दो जिंदा कारतूस तथा दो प्रकार के विस्फोटक सर्वेक्षण योग्य सैंपल भी जुटाए हैं। इन सैंपल में एक में अमोनियम नाइट्रेट जैसे उर्वरक से तैयार किए गए विस्फोटक संकेत हैं और दूसरे में इलेक्ट्रॉनिक साइग्नल के साथ संलिप्त संरचना पाई गई है जिससे निष्कर्ष यह निकल रहा है कि धमाका साधारण नहीं था बल्कि योजनाबद्ध था।

जांच एजेंसियों ने बताया कि मामला तुरंत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दिया गया है। पुलिस ने पहले ही इस घटना को भारत की उग्रवाद-विरोधी धारा Unlawful Activities (Prevention) Act (यूएपीए) और विस्फोटक अधिनियम के अंतर्गत दर्ज किया है।

उन स्रोतों के अनुसार जिनकी पहचान नहीं की गई है, वे बताते हैं कि इस मामले में दो अलग तरीके के विस्फोटक उपकरण इस्तेमाल किए गए हो सकते हैं पहला एक सीधे कार में रखा गया विस्फोटक जो गाड़ी के भीतर या उसके नीचे था, दूसरा एक समयरहित या दूरस्थ नियंत्रित उपकरण जिसे शायद गाड़ी के बाहर किसी स्थान पर रखा गया था। इस तरह की जटिलता इस बात की ओर इशारा कर रही है कि आतंकी नेटवर्क इस हमले में शामिल हो सकता है।

कारतूस मिलने की जानकारी इस प्रकार मिली कि जब फॉरेंसिक एवं पुलिस टीम ने कार को नियंत्रित क्षेत्र में ले जाकर उसकी तलाशी ली, तो सीट के नीचे एक पाउच में दो जिंदा राउंड पाए गए। इन्हें बाद में बम निरोधक दस्ते के सुपुर्द कर दिया गया। साथ ही, आसपास के सीसीटीवी फुटेज, टोल प्लाजा रिकार्ड एवं वाहन रजिस्ट्रेशन-डेटा जानने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है।

जांच में अब तक सामने आए कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं :

  • घटना के समय कार लगभग तीन घंटों तक पुरानी दिल्ली के इलाके में पार्क या नियंत्रित गति से चल रही थी। बाद में रेड सिग्नल पर रुकी और उसी दौरान धमाका हुआ।

  • धमाके में इस्तेमाल गाड़ी हरियाणा राज्य से पंजीकृत थी और इसके मालिक या ड्राइवर के संबंध जम्मू-कश्मीर के पुलवामा क्षेत्र से होने की संभावना जताई गई है।

  • जांच टीम ने यह पाया है कि विस्फोटक का प्रकार साधारण ज्वलनशील गैस या सीएनजी टैंकर विस्फोट जैसा नहीं था बल्कि उन्नत तकनीक का इस्तेमाल हुआ है क्योंकि घटनास्थल पर लाइट क्रेटर, तार-वायर या कील-पेंच जैसे सामान्य बम विस्फोट के लक्षण नहीं मिले।

  • इस बीच, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने पूरे शहर तथा सीमावर्ती इलाकों में सुरक्षा-चौकसी बढ़ा दी है। प्रमुख रेलवे स्टेशन, मेट्रो स्टेशन और हवाई अड्डे पर विशेष निगरानी का निर्देश जारी किया गया है।

सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया तेज है। गृह मंत्री अमित शाह ने निर्देश दिए हैं कि सभी सैंपल तुरंत विश्लेषण हेतु भेजे जाएँ और जिन शवों की पहचान नहीं हो पाई है, उनके डीएनए परीक्षण कराया जाए। उन्होंने कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। इसी क्रम में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इस हमले के मुख्य संदिग्ध के माता-पिता को डीएनए परीक्षण के लिए हिरासत में लिया है, ताकि यह पता चल सके कि उस संदिग्ध की मृत्यु हुई है या वह अभी जीवित है।

हालांकि यह अभी तय नहीं हुआ है कि यह घटना एक आतंकी हमला थी या फिर एक बेहद संगठित कट-सपाट के तहत की गई घटना। लेकिन दो कारतूस व दो तरह के विस्फोटक सैंपल मिलने से इस बात की संभावना बहुत मजबूत हो गई है कि इसमें एक बड़ी साजिश शामिल है। इसके कारण लोगों में भय का माहौल है और यही वजह है कि पूरे देश में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है।

इसके आगे क्या हुआ है और क्या होने वाला है :

  • फॉरेंसिक लैब में दोनों प्रकार के विस्फोटक पदार्थों की जांच जारी है। विस्फोटक की रसायन-प्रोफाइल जानने के बाद ही यह तय होगा कि किस तरह का प्लेटफॉर्म इस्तेमाल हुआ जैसे वाहन में छुपा बम, टाइमर बम, या इलेक्ट्रॉनिक ट्रिगर विस्फोटक।

  • सीसीटीवी फुटेज एवं टोल-बॉक्स रिकार्ड्स की मदद से गाड़ी के सबसे पहले प्रवेश का समय, पार्किंग-मोड और विस्फोट तक की गतिविधि का ट्रैक तैयार किया जा रहा है।

  • संदिग्ध नेटवर्क का पता लगाने के लिए दूसरे राज्यों में चल रही गिरफ्तारी-तलाशी तेज की गई है। कुछ जिंदा गवाहों से पूछताछ जारी है और तमाम डेटा लिंक को मिलाकर यह खोज चल रही है कि क्या यह स्थानीय स्तर का हमला था या अन्तर-राज्यीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठित था।

  • नागरिक सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुरानी दिल्ली तथा लाल किले के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई है। पुलिस और होमगार्ड की पेट्रोलिंग में वृद्धि हुई है, मेट्रो स्टेशन के आसपास बैरिकेडिंग लगाई गई है और वाहन जांच-केंद्र स्थापित किए गए हैं।

  • अभी तक मीडिया में यह दावा नहीं किया गया है कि किसी संगठन ने जिम्मेदारी ली है। लेकिन सुरक्षा एजेंसियाँ स्रोतों के माध्यम से यह जानकारी जुटा रही हैं कि फौरी तौर पर दो अलग-अलग विस्फोटक का हिस्सा खोजे गए सैंपल किसी बड़े संगठन के काम से मिलते-जुलते हैं या नहीं।

इस पूरे घटनाक्रम से यह बात स्पष्ट हो गई है कि राजधानी में इस तरह की बड़े पैमाने की घटना की संभावना को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए थी। सुरक्षा-तंत्र को विशेष रूप से मजबूत करने की आवश्यकता अब पहले से अधिक महसूस की जा रही है। शहरवासियों के लिए यह समय चेतावनी का है कि अधिक सतर्क रहें, संदिग्ध आवाज-व्यवहार का तुरंत संज्ञान लें और आशंका आने पर स्थानीय पुलिस को तुरंत सूचित करें।

घटना ने यह भी दिखाया है कि जैसे-जैसे तकनीक बढ़ रही है, वैसे-वैसे सुरक्षा चुनौतियाँ भी जटिल होती जा रही हैं। एक कारामात्र वाहन धमाका अब सिर्फ “गाड़ी फट गई” जैसा नहीं कहा जा सकता; बल्कि इसमें वायर, टाइमर, इलेक्ट्रॉनिक ट्रिगर व विस्फोटक सामग्री का समावेश हो सकता है। इस दिशा में जांच आगे बढ़ेगी और जब तक पूरी रिपोर्ट सामने नहीं आती, तब तक निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगा।

कुल मिलाकर, लाल किले के बाहर हुए इस धमाके की जांच ने एक नया मोड़ लिया है। दो जिंदा कारतूस और दो प्रकार के विस्फोटक पदार्थों की पहचान ने इसे दुर्घटना से बदतर, संगठित हमला बना दिया है। अब वक्त इसकी सच्चाई सामने लाने का है कि कौन इस हमले के पीछे था, उसका नेटवर्क क्या था और भविष्य में ऐसे खतरों से कैसे निपटा जाए। चालू जांच अगले कुछ दिनों में महत्वपूर्ण सुराग दे सकती है, जिनके आधार पर सुरक्षा-नीति में परिवर्तन करना अपरिहार्य हो जाएगा।

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