Deoband : मुसलमान मर्द और औरतें एक्सरसाइज़ के नाम पर शरीअत न भूलें - क़ारी इसहाक़ गोरा

मगर अफ़सोस की बात यह है कि इस ट्रेंड ने हमारे समाज में नई मुश्किलें पैदा कर दी हैं। देखा जा रहा है कि मर्द और औरतें खल्त-मल्त होकर जिम में एक्सरसाइज़ कर

Sep 14, 2025 - 14:09
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Deoband : मुसलमान मर्द और औरतें एक्सरसाइज़ के नाम पर शरीअत न भूलें - क़ारी इसहाक़ गोरा
मुसलमान मर्द और औरतें एक्सरसाइज़ के नाम पर शरीअत न भूलें - क़ारी इसहाक़ गोरा

देवबंद : प्रसिद्ध देवबंदी उलेमा व जमीयत दावतुल मुस्लिमीन के संरक्षक मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने अपने हालिया वीडियो संदेश में मुसलमानों को शरीयत के उन अहकाम की तरफ़ तवज्जोह दिलाई जो आज के दौर में नज़रअंदाज़ किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आजकल जिम और एक्सरसाइज़ का ट्रेंड तेज़ी से बढ़ रहा है। मर्द भी इस में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और औरतें भी। सेहत की देखभाल करना यक़ीनन इस्लाम की तालीमात के मुताबिक़ है, क्योंकि मज़बूत और तंदरुस्त मोमिन अल्लाह के नज़दीक ज़्यादा पसंदीदा है।

मगर अफ़सोस की बात यह है कि इस ट्रेंड ने हमारे समाज में नई मुश्किलें पैदा कर दी हैं। देखा जा रहा है कि मर्द और औरतें खल्त-मल्त होकर जिम में एक्सरसाइज़ कर रहे हैं। यह बात क़तन शरीअत और इस्लामी उसूलों के खिलाफ़ है। मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने साफ़ लफ़्ज़ों में कहा कि पर्दा सिर्फ़ औरत के लिए ही नहीं, बल्कि मर्द के लिए भी ज़रूरी है। जब पर्दे की हिफ़ाज़त छोड़ दी जाती है तो समाज में गुनाह और बेज़ाबती फैलती है, और यही वह रास्ता है जो हमें धीरे-धीरे दीन से दूर ले जाता है।

उन्होंने यह भी कहा कि लोग इसको ‘मॉडर्न ज़माना’ कहकर फ़ख़्र कर रहे हैं, लेकिन हक़ीक़त यह है कि यह कोई मॉडर्निटी नहीं, बल्कि इल्म की कमी और मज़हबी ग़फ़लत है। मॉडर्न होना बुरा नहीं, लेकिन मज़हबी उसूलों को तोड़कर मॉडर्निटी के नाम पर हराम चीज़ों को हलाल कर लेना न तो अक़्लमंदी है और न ही इस्लाम की रूह के मुताबिक़।

मौलाना गोरा ने ज़ोर देकर कहा कि मुसलमानों को चाहिए कि जिस्म की सेहत का ख्याल रखने के साथ-साथ दीन और ईमान की सेहत का भी ख्याल रखें। तंदरुस्ती सिर्फ़ जिस्मानी ताक़त का नाम नहीं, बल्कि रूहानी और ईमानी ताक़त भी ज़रूरी है। जब तक इंसान का दिल और नफ़्स इस्लामी उसूलों से जुड़ा रहेगा, तभी असली कामयाबी और तंदरुस्ती हासिल होगी।

आख़िर में मौलाना क़ारी इसहाक़ गोरा ने यह दुआ की कि अल्लाह तआला हमें शरीयत के अहकाम पर अमल करने की तौफ़ीक़ दे,और हमारे समाज को फ़ितनों और गुमराही से महफ़ूज़ रखे।

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