अच्छी खबर: लखीमपुर खीरी के वैज्ञानिक मुनीर खान ने तैयार किया ख़ास चश्मा, दृष्टि दिव्यांगों की जिंदगी में भरेंगे नये रंग व रोशनी
बताया कि पूर्ण रूप से दृष्टि दिव्यांगजनों के लिए जिस चश्मे पर शोध कर रहे थे वह अब तैयार हो गया है। उम्मीद है कि अप्रैल 2025 तक वह बाजार में आ जाएगा। यह चश्मा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक पर आधारित होगा। इस चश्मे की मदद से दृष्टि दि...

By INA News Lakhimpur Kheri.
लखीमपुर खीरी के वैज्ञानिक मुनीर खान ने खास चश्मा तैयार किया है। यह चश्मा दृष्टि दिव्यांगों के लिए बेहद कारगर साबित होगा। दावा किया गया है कि इस चश्मे के जरिए दृष्टि दिव्यांग दुनिया देख सकेंगे। दृष्टि दिव्यांगजनों को दुनिया दिखाने वाला चश्मा अगले वर्ष अप्रैल तक बाजार में आ जाएगा। इस खास चश्मे को लखीमपुर खीरी के युवा वैज्ञानिक मुनीर खान ने करीब 11 माह शोध करने के बाद तैयार किया है। इसकी तकनीकी विकसित करने में सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने भी उनका सहयोग किया। मंगलवार को चश्मे का ट्रायल आईआईटी मुंबई में किया गया। मुनीर इस समय अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में कैंसर के इलाज पर शोध कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पूर्ण रूप से दृष्टि दिव्यांगजनों के लिए जिस चश्मे पर शोध कर रहे थे वह अब तैयार हो गया है। उम्मीद है कि अप्रैल 2025 तक वह बाजार में आ जाएगा। यह चश्मा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीक पर आधारित होगा। इस चश्मे की मदद से दृष्टि दिव्यांगजन अपनी दिनचर्या के कार्य बिना किसी मदद के आसानी से कर सकेंगे। इसमें व्यक्ति की पहचान करने, किताबें पढ़ने जैसे तमाम कार्य करने में उन्हें मदद मिलेगी।
लखीमपुर खीरी जिले के मूल निवासी अमेरिकी शोधविज्ञानी मुनीर खान के मुताबिक यह चश्मा दृष्टि दिव्यांगजनों के लिए उनका डाटाबेस तैयार करता रहेगा। चश्मा लगाने वाला व्यक्ति जो वस्तु, व्यक्ति या रास्ता एक बार देख लेगा, उसका डाटा सदा के लिए विजन-प्रो. डिवाइस में संग्रह हो जाएगा। इसी तरह रोशनी, तापमान, चूल्हे की लपट और तरह-तरह की आवाज का डाटा भी चश्मे की डिवाइस के डाटाबेस में जमा होता जाएगा। उनके अनुसार कुछ दिन के अभ्यास के बाद चश्मा लगाने वाला दृष्टि दिव्यांग व्यक्ति घंटी बजने पर दरवाजा खोलना, पहचान वाले शख्स को ही अंदर आने देना और दैनिक क्रियाएं खुद करना आसानी से सीख जाएगा।
जैसे-जैसे डाटाबेस बढ़ता जाएगा, चश्मा लगाने वाले दृष्टि दिव्यांगजनों के लिए सहूलियत बढ़ती जाएगी। वह अपने आप तय समय पर तय जगह रखी दवाई तक ले सकेगा। दृष्टि दिव्यांगजनों के लिए तैयार किया गया यह चश्मा भारतीय बाजार में 12 से 15 हजार रुपये में उपलब्ध होगा। इसके लिए मुनीर ने कैडर टेक्नोलॉजी सर्विसेज एलएलसी नामक कंपनी की स्थापना की है। कैडर टेक (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड नाम से इसका एक ऑफिस नवी मुंबई महाराष्ट्र में खोला है। मुनीर ने बताया कि 17 से 19 दिसंबर तक चलने वाले एशिया के सबसे बड़े तकनीकी उत्सव में आईआईटी मुंबई में लोग इस चश्मे की कार्यप्रणाली और तकनीकी की जांच कर रहे हैं। इस दौरान मंगलवार को पहले दिन महाराष्ट्र के विभिन्न भागों से कई परिवार कुछ दृष्टि दिव्यांगजनों के साथ आए और चश्मे को लगाकर टेस्ट किया है। लोगों ने इसके ट्रायल के बाद अच्छा फीडबैक दिया।
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