बेंगलुरु भगदड़ में मृत 13 वर्षीय दिव्यांशी की मां का आरोप, पोस्टमॉर्टम के दौरान चोरी हुए 1 लाख के गहने, पुलिस में शिकायत दर्ज।
Bengaluru News: बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून 2025 को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान हुई भगदड़ में....
बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून 2025 को रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान हुई भगदड़ में 13 वर्षीय दिव्यांशी की दुखद मृत्यु हो गई। इस त्रासदी के बाद, उनकी मां अश्विनी शिवकुमार ने एक गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी बेटी के शव से पोस्टमॉर्टम के दौरान 1 लाख रुपये की कीमत के सोने के गहने चोरी हो गए। अश्विनी ने 24 जुलाई 2025 को कमर्शियल स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की, जिसमें कहा गया कि जब दिव्यांशी का शव बोवरिंग और लेडी कर्जन अस्पताल के शवगृह में ले जाया गया, तब उसने 6 ग्राम की सोने की बालियां और 5-6 ग्राम की सोने की चेन पहनी थी, लेकिन पोस्टमॉर्टम के बाद ये गहने गायब थे। अश्विनी ने बताया कि ये गहने उनके परिवार द्वारा उपहार में दिए गए थे और इनका भावनात्मक महत्व था। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 303(2) के तहत अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस घटना ने न केवल दिव्यांशी के परिवार को दुखी किया, बल्कि अस्पताल की प्रक्रियाओं और सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं।
4 जून 2025 को बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर RCB की पहली आईपीएल जीत का जश्न मनाने के लिए लाखों प्रशंसक जमा हुए थे। इस दौरान भीड़ अनियंत्रित हो गई, जिसके कारण भगदड़ मच गई। इस त्रासदी में 11 लोगों की मृत्यु हो गई, जिनमें 13 वर्षीय दिव्यांशी भी शामिल थी। वह अपने माता-पिता और चाची के साथ स्टेडियम के बाहर अपने पसंदीदा क्रिकेटर विराट कोहली को देखने आई थी। अश्विनी ने बताया कि वे स्टेडियम में प्रवेश करने की योजना नहीं बना रहे थे, बल्कि केवल बाहर से जश्न का हिस्सा बनना चाहते थे। लेकिन अचानक भीड़ ने धक्का-मुक्की शुरू कर दी, और दिव्यांशी भीड़ में गिर गई। उनकी मां और चाची भीड़ से बाहर निकल पाए, लेकिन जब तक वे दिव्यांशी को खोज पाते, वह गंभीर रूप से घायल हो चुकी थी। उसे बोवरिंग और लेडी कर्जन अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।
- गहनों की चोरी का आरोप
दिव्यांशी की मृत्यु के बाद, उनके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए बोवरिंग और लेडी कर्जन अस्पताल के शवगृह में ले जाया गया। अश्विनी ने अपनी शिकायत में कहा कि जब उनकी बेटी का शव अस्पताल पहुंचा, तब उसने 6 ग्राम की सोने की बालियां और 5-6 ग्राम की सोने की चेन पहनी थी, जिनकी कुल कीमत लगभग 1 लाख रुपये थी। ये गहने परिवार के लिए भावनात्मक रूप से महत्वपूर्ण थे, क्योंकि इन्हें उनके रिश्तेदारों ने उपहार में दिया था। अश्विनी ने बताया कि उनकी बेटी, जिसे परिवार प्यार से डिंपल बुलाता था, हमेशा ये बालियां पहनती थी। लेकिन जब शव पोस्टमॉर्टम के बाद परिवार को सौंपा गया, तब गहने गायब थे।
अश्विनी ने कहा, “हम अपनी बेटी को खो चुके हैं, और ये गहने उसकी याद का एक हिस्सा थे। ये बालियां उसके चाचा ने डेढ़ साल पहले उपहार में दी थीं। हमने अस्पताल के डीन और कई पुलिस स्टेशनों से संपर्क किया, लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला। हम सिर्फ अपनी बेटी की यादों को संजोना चाहते हैं।” उन्होंने मांग की कि गहनों की चोरी की जांच की जाए और दोषियों को सजा दी जाए।
- पुलिस और अस्पताल की प्रतिक्रिया
अश्विनी की शिकायत के आधार पर, कमर्शियल स्ट्रीट पुलिस स्टेशन ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 303(2) (चोरी के लिए सजा) के तहत एक अज्ञात 25 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की। पुलिस ने बताया कि जांच शुरू कर दी गई है, और वे अस्पताल के कर्मचारियों और शवगृह की प्रक्रियाओं की जांच कर रहे हैं। बोवरिंग और लेडी कर्जन अस्पताल के अधिकारियों ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार, अस्पताल प्रशासन ने कहा कि वे पुलिस जांच में पूरा सहयोग करेंगे।
दिव्यांशी येलहंका, बेंगलुरु की निवासी थी और कक्षा 9 में पढ़ती थी। वह एक होनहार छात्रा थी, जो तैराकी में चैंपियन थी और स्वर्ण पदक जीत चुकी थी। वह क्रिकेट की दीवानी थी और विराट कोहली की बहुत बड़ी प्रशंसक थी। उनकी मां ने बताया कि दिव्यांशी उस दिन स्कूल जाने की तैयारी कर रही थी, लेकिन RCB की विजय परेड की खबर सुनकर वह उत्साहित हो गई और स्टेडियम जाने का फैसला किया। अश्विनी ने कहा, “वह बहुत समझदार थी। वह मेरे लिए प्रेरणा थी। उसने सचिन तेंदुलकर, कपिल देव और अन्य खिलाड़ियों के बारे में सब कुछ जानती थी।”
अश्विनी ने उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार पर भी निशाना साधा, जिन्होंने उनकी मां से मुलाकात की थी और बेहतर इलाज का वादा किया था। उन्होंने कहा, “उपमुख्यमंत्री ने मेरी मां से कहा था कि डिंपल को बेहतर इलाज और दवाइयां दी जा रही हैं। लेकिन अब डिंपल कहां है? शवगृह में उसका इलाज कैसे हो सकता है?”
चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ को कर्नाटक सरकार और आयोजकों की लापरवाही का परिणाम माना जा रहा है। स्टेडियम की क्षमता केवल 35,000 लोगों की थी, लेकिन अनुमान के अनुसार 2 से 3 लाख लोग जमा हो गए थे। आयोजकों, RCB, कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA), और डीएनए नेटवर्क्स पर भीड़ प्रबंधन में विफलता का आरोप लगा। कर्नाटक सरकार ने मृतकों के परिवारों के लिए 25 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की, लेकिन परिवारों ने इसे अपर्याप्त बताया और जवाबदेही की मांग की।
विपक्षी दल बीजेपी ने इस घटना को लेकर कांग्रेस सरकार पर “आपराधिक लापरवाही” का आरोप लगाया। बीजेपी नेता अमित मालवीय और तेजस्वी सूर्या ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने खिलाड़ियों के साथ फोटो खिंचवाने में ज्यादा रुचि दिखाई, जबकि भीड़ की सुरक्षा की अनदेखी की गई।
इस घटना ने सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा छेड़ दी। कई लोगों ने अश्विनी के दुख को साझा किया और शवगृह में चोरी जैसे कृत्य की निंदा की। एक यूजर ने लिखा, “यह कितना नीच कार्य है कि किसी की मृत्यु के बाद उसके गहने चोरी किए जाएं।” दूसरों ने मांग की कि अस्पतालों में शवगृह की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निगरानी बढ़ाई जाए।
कुछ लोगों ने इस घटना को भगदड़ की लापरवाही से जोड़ा और कहा कि सरकार और आयोजकों की गलती ने पहले 11 लोगों की जान ली, और अब परिवारों को और दुख दिया जा रहा है। एक यूजर ने लिखा, “पहले भगदड़ में लापरवाही, और अब शवगृह में चोरी। क्या यह हमारी व्यवस्था का हाल है?”
पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है और बोवरिंग अस्पताल के शवगृह के कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है। सीसीटीवी फुटेज और अन्य सबूतों की जांच की जा रही है। कर्नाटक सरकार ने भगदड़ की घटना की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग गठित किया है, जिसने RCB, KSCA, और डीएनए नेटवर्क्स को जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि, आयोजकों ने इस रिपोर्ट को “पक्षपातपूर्ण” बताकर कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी है।
इस हादसे ने अस्पतालों में शवगृह प्रक्रियाओं की सुरक्षा और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि शवगृहों में सीसीटीवी निगरानी, कर्मचारियों की जवाबदेही, और सख्त प्रोटोकॉल लागू किए जाएं। इसके अलावा, भविष्य में ऐसी भगदड़ से बचने के लिए भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है।
दिव्यांशी की मृत्यु और उसके बाद उनके गहनों की चोरी ने उनके परिवार को दोहरा दुख दिया है। यह घटना न केवल चिन्नास्वामी स्टेडियम में भीड़ प्रबंधन की विफलता को दर्शाती है, बल्कि अस्पतालों में शवगृह प्रक्रियाओं की कमियों को भी सामने लाती है। अश्विनी की शिकायत और पुलिस की जांच से उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी और परिवार को उनकी बेटी की यादों का एक हिस्सा वापस मिलेगा। यह हादसा समाज और प्रशासन को यह सोचने पर मजबूर करता है कि ऐसी त्रासदियों और लापरवाहियों को रोकने के लिए और क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
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