वाराणसी में वोटर लिस्ट से सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा और परिवार के नाम गायब, निर्वाचन कार्यालय पहुंचा प्रतिनिधिमंडल, धांधली का आरोप। 

वाराणसी के सिगरा स्थित निर्वाचन कार्यालय में 5 दिसंबर 2025 को समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल पहुंचा, जहां पार्टी के स्नातक श्रेणी के

Dec 6, 2025 - 12:25
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वाराणसी में वोटर लिस्ट से सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा और परिवार के नाम गायब, निर्वाचन कार्यालय पहुंचा प्रतिनिधिमंडल, धांधली का आरोप। 
वाराणसी में वोटर लिस्ट से सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा और परिवार के नाम गायब, निर्वाचन कार्यालय पहुंचा प्रतिनिधिमंडल, धांधली का आरोप। 

वाराणसी के सिगरा स्थित निर्वाचन कार्यालय में 5 दिसंबर 2025 को समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल पहुंचा, जहां पार्टी के स्नातक श्रेणी के एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने गंभीर आरोप लगाए। सिन्हा ने कहा कि स्नातक श्रेणी की एमएलसी मतदाता सूची से उनका नाम और उनके परिवार के तीन सदस्यों के नाम गायब हैं। यह घटना स्नातक श्रेणी के उपचुनाव की तैयारी के बीच हुई, जहां वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन हो चुका है। प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन अधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें नाम शामिल करने और धांधली की जांच की मांग की गई। सिन्हा ने कहा कि यह सुनियोजित साजिश है, जो विपक्षी दलों को कमजोर करने के लिए की गई है। निर्वाचन कार्यालय ने मामले को संज्ञान में ले लिया है और जांच का आश्वासन दिया है। यह विवाद उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले वोटर लिस्ट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है।

आशुतोष सिन्हा, जो समाजवादी पार्टी के स्नातक श्रेणी से एमएलसी हैं, ने वाराणसी के सिगरा निर्वाचन कार्यालय में पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि स्नातक मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है, जबकि वे वर्षों से इस श्रेणी के मतदाता हैं। इसके अलावा, उनके परिवार के तीन सदस्यों- पत्नी, बेटे और बेटी- के नाम भी सूची से हटाए गए हैं। सिन्हा ने कहा कि सूची का अंतिम प्रकाशन 4 दिसंबर को हुआ, और जब उन्होंने जांच की तो सभी नाम गायब पाए। प्रतिनिधिमंडल में सपा के जिला अध्यक्ष, अन्य नेता और कार्यकर्ता शामिल थे। उन्होंने निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात की और एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें नाम बहाली और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की गई। सिन्हा ने कहा कि यह केवल उनके साथ नहीं, बल्कि कई विपक्षी नेताओं के साथ हो रहा है।

निर्वाचन कार्यालय के अधिकारियों ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि शिकायत की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट में नाम हटाने या शामिल करने की प्रक्रिया चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार होती है। यदि कोई त्रुटि हुई है, तो उसे सुधारने के लिए फॉर्म 6 के माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। सिन्हा ने इस पर असंतोष जताया और कहा कि अंतिम सूची प्रकाशित होने के बाद सुधार का समय नहीं बचा। उन्होंने मांग की कि तत्काल नाम शामिल किए जाएं, ताकि एमएलसी उपचुनाव में वे मतदान कर सकें। प्रतिनिधिमंडल ने कार्यालय के बाहर धरना देने की चेतावनी भी दी। निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि मामले की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी जाएगी।

यह घटना स्नातक श्रेणी के एमएलसी उपचुनाव से जुड़ी है, जो दिसंबर 2025 में होने वाला है। उत्तर प्रदेश में स्नातक और शिक्षक श्रेणी के एमएलसी चुनावों के लिए वोटर लिस्ट का प्रकाशन नवंबर में शुरू हुआ था। सिगरा निर्वाचन केंद्र वाराणसी जिले के स्नातक मतदाताओं का प्रमुख केंद्र है, जहां हजारों नाम दर्ज हैं। सिन्हा ने आरोप लगाया कि भाजपा समर्थक अधिकारियों ने विपक्षी मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए हैं। उन्होंने कहा कि सपा कार्यकर्ताओं ने सूची की जांच की, तो कई अन्य नाम भी गायब पाए गए। सिन्हा ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए खतरा है, क्योंकि वोटर लिस्ट में हेराफेरी से चुनाव परिणाम प्रभावित होते हैं। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वे इस मुद्दे को राज्य स्तर पर उठाएंगे।

आशुतोष सिन्हा का राजनीतिक सफर समाजवादी पार्टी से जुड़ा है। वे 2022 में स्नातक श्रेणी से एमएलसी चुने गए थे। वाराणसी में सपा का मजबूत आधार है, और सिन्हा स्थानीय मुद्दों पर सक्रिय रहते हैं। परिवार के सदस्य भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं, और उनके नाम सूची में होना आवश्यक था। सिन्हा ने कहा कि नाम गायब होने से वे चुनाव प्रक्रिया में भाग नहीं ले पाएंगे। प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन कार्यालय में घंटों इंतजार किया, और अंत में मीटिंग हुई। ज्ञापन में विस्तार से मामले का उल्लेख किया गया, जिसमें नाम हटाने की तारीख और प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए। सिन्हा ने कहा कि वे चुनाव आयोग को भी शिकायत भेजेंगे।

उत्तर प्रदेश में वोटर लिस्ट से नाम गायब होने की शिकायतें पहले भी आई हैं। हाल के महीनों में कई जिलों में विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने समान आरोप लगाए। सिगरा केंद्र पर सपा प्रतिनिधिमंडल की पहुंच ने स्थानीय स्तर पर हलचल मचा दी। कार्यालय के बाहर सपा कार्यकर्ता इकट्ठे हो गए, लेकिन शांतिपूर्ण रहा। निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि नाम हटाने की प्रक्रिया फॉर्म 7 के आधार पर होती है, जिसमें मृत्यु या स्थानांतरण के कारण नाम हटाए जाते हैं। सिन्हा ने खारिज करते हुए कहा कि उनके परिवार के सदस्य जीवित और स्थानीय निवासी हैं। प्रतिनिधिमंडल ने दस्तावेज सौंपे, जो नाम सत्यापन के लिए थे।

सपा ने प्रदेश स्तर पर इस मुद्दे को उठाने का फैसला किया। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि यह सिस्टमेटिक धांधली है, जो विपक्ष को वोटिंग से वंचित करने के लिए की गई। सिन्हा ने कहा कि स्नातक श्रेणी में सपा के कई मतदाता प्रभावित हुए हैं। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि सूची का पुनः प्रकाशन हो। निर्वाचन कार्यालय ने 48 घंटे में जांच पूरी करने का वादा किया। सिन्हा ने कहा कि यदि नाम बहाल नहीं हुए, तो वे अदालत का रुख करेंगे। यह घटना एमएलसी चुनाव की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है, जहां स्नातक मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

वाराणसी जिले में स्नातक मतदाता सूची में कुल 1.5 लाख नाम हैं। सिगरा केंद्र पर 20,000 से अधिक मतदाता दर्ज हैं। सिन्हा ने कहा कि नाम गायब होने से सपा को नुकसान होगा। प्रतिनिधिमंडल में 10 से अधिक नेता शामिल थे। ज्ञापन में नाम हटाने के पीछे की साजिश का जिक्र किया गया। निर्वाचन अधिकारी ने प्रतिनिधिमंडल को सुना और नोट्स लिए। सिन्हा ने बाहर आकर कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सपा इस अन्याय के खिलाफ लड़ेगी।

यह विवाद स्नातक चुनाव से जुड़ा है, जहां उम्मीदवारों की सूची जल्द जारी होनी है। सपा ने कई प्रत्याशी उतारने की योजना बनाई है। सिन्हा ने कहा कि वोटर लिस्ट की सफाई का नाम पर धांधली हो रही है। प्रतिनिधिमंडल ने स्थानीय प्रशासन से भी मुलाकात की। निर्वाचन कार्यालय ने कहा कि त्रुटि सुधार योग्य है। सिन्हा ने कहा कि समय की कमी है। पार्टी ने अन्य जिलों में भी जांच के आदेश दिए।

उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट अपडेट पर दिशानिर्देश जारी किए हैं। नाम हटाने के लिए जांच अनिवार्य है। सिन्हा ने कहा कि कोई जांच नहीं हुई। प्रतिनिधिमंडल ने दस्तावेज जमा किए। निर्वाचन अधिकारी ने उच्चाधिकारियों को सूचित किया। सपा ने कहा कि यह पूरे प्रदेश में हो रहा है। सिन्हा ने परिवार के नामों का जिक्र किया।

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